महाराष्ट्र में तमाम उठापटक के बाद शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस की सरकार तो बन गयी है लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर मामला फंस गया है . विधानसभा का अधिवेशन 16 से 21 दिसंबर तक नागपुर में होना है लेकिन अभी सरकार में मुख्यमंत्री के अलावा केवल 6 मंत्री ही और बने है . सवाल उठाया जा रहा है कि इतने कम समय में ये मंत्री सारे विभागों के सवाल जवाब की तैयारी कैसे कर लेंगे .
दरअसल तीनों दलों में विधायकों के मंत्री बनने पर होड लगी है .हालत एक अनार सौ बीमार की तरह है. शिवसेना ने पिछली सरकार में ज्यादातर मंत्री विधानपरिषद से बनाये थे लेकिन इस बार दवाब है कि केवल चुन कर आये विधायक ही मंत्री बनाये जायें. फिर बाहर से समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक भी मंत्री पद की आस लगाये बैठे हैं .शिवसेना ने मुख्यमंत्री उदधव ठाकरे के साथ अपने दो वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई को तो शपथ दिला दी लेकिन दिवाकर रावते , रामदास कदम ,रविंद्र वायकर जैसे तमाम दिग्गज उदधव के साथ पैरवी कर रहे हैं.
एनसीपी में दिग्गज जयंत पाटिल और छगन भुजबल तो मंत्री बन गये हैं लेकिन वहां अभी अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री पद को लेकर पेंच फंसा है. अजीत पवार ने बगावत कर बीजेपी को समर्थन दे दिया था उनको बडी मुश्किल से वापस लाया गया . पार्टी में दिलीप वलसे पाटिल . धनंजय मुंडे .नवाब मलिक . जितेन्द्र आव्हाड जैसे सीनियर को एडजस्ट करने की चुनौती है .
कांग्रेस में भी बवाल कम नही है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण को कुछ ना कुछ देना है. उनके अलावा विजय वडेट्टीवार . वर्षा गायकवाड ,यशोमती ठाकुर ,अमीन पटेल .जैसे नेताओं को मंत्री बनाना मजबूरी है. कांग्रेस में कई नये पुराने भी जीत कर आये हैं. इसके अलावा सपा के अबू आजमी ,राजू शेटटी और निर्दलीयों को भी एडजस्ट करना है. इसलिए सब कुछ टाल दिया गया है ।