देश के 140 करोड़ लोगों को ईश्वर मानकर चलता हूं, वही मेरे भगवान हैं
न्यूज 18 को दिए गए खास साक्षात्कार के दौरान जब प्रधानमंत्री से पूछा गया कि मुसलमानों को घुसपैठिया और अधिक बच्चे पैदा करने वाला बताने की क्या जरूरत थी, तो उन्होंने कहा, ”मैं हैरान हूं। जब ज्यादा बच्चों की बात हो तो मुसलमान का नाम जोड़ देते हैं। आप मुसलमानों के साथ अन्याय क्यों करते हैं? हमारे यहां गरीब परिवारों का यही हाल है। उनके बच्चों को भी पढ़ा नहीं पा रहे हैं, किसी भी समाज के हों, जहां गरीबी है, वहां बच्चे भी ज्यादा हैं। मैंने न हिंदू कहा है न मुसलमान कहा है; मैंने कहा है उतने ही बच्चे होने चाहिए जितने का आप पालन-पोषण कर सकें। (यह काम) सरकार को करना पड़े, ऐसी स्थिति मत पैदा करो।”
इस सवाल पर कि क्या मुसलमान इस बार उन्हें वोट देंगे, पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है, देश के लोग उन्हें वोट देंगे, “जिस दिन मैं हिंदू- मुसलमान करने लगूंगा, उस दिन सार्वजनिक जीवन के लिए उपयुक्त नहीं रहूंगा। जब मैं घर देता हूं तो जाति-धर्म नहीं देखता। यदि 60 लाख लाभार्थी हैं तो उन सभी के 100 प्रतिशत सैचुरेशन का मतलब है, सच्चा सामाजिक न्याय। 100% सैचुरेशन का मतलब है, सच्ची धर्मनिरपेक्षता। लोगों को पता है, अगर किसी को इस सोमवार कुछ मिला है, तो अगले सोमवार मेरा नंबर आएगा। ”
पीएम मोदी ने मुस्लिम समुदाय के साथ अपने संबंधों की धारणा के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, “यह मुद्दा मुसलमान का नहीं है। इंडीविजुअल मुसलमान कितना ही मोदी के साथ होगा, लेकिन एक निश्चित विचार का प्रभाव है, जो उन्हें आदेश देता है कि आप ये करो, आप वो करो। उसके आधार पर वे निर्णय लेते हैं। जहां तक मोदी का सवाल है तो मेरे घर के बगल में कई मुस्लिम परिवार रहते थे। हमारे घर में ईद भी मनती थी और अन्य त्यौहार भी मनते थे।”
“हमारे घर में ईद के दौरान सभी मुस्लिम परिवारों से खाना आ जाता था। मुहर्रम के दौरान जुलूस भी निकलता था, तो हमारा पक्का होता था, उसके नीचे से निकलना, जैसे मंदिरों की परिक्रमा करते हैं। आज भी मेरे कई पुराने मुस्लिम दोस्त हैं। 2002 के गोधरा कांड के बाद मेरी छवि काफी खराब कर दी गई थी। फिर मैंने सोचा कि रियलिटी जाननी चाहिए। मैंने 30 कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया और उन्हें सिखाया था कि कैसे सर्वेक्षण करना है, न केवल संख्या-आधारित सर्वेक्षण, बल्कि संवाद कैसे करना है। अहमदाबाद में मानेक चौक नामक एक जगह है, जहां लोग खाना खाने जाते थे। वहां सारे व्यापारी मुस्लिम हैं, और खरीदार हिंदू हैं। यह बहुत यूनिक बाज़ार है। इतनी भीड़ हो जाती है कि आप चल नहीं सकते। अगर आप दिवाली के दौरान अंदर चले जाते हैं तो दो घंटे से कम समय में बाहर नहीं निकल सकते। उस बाज़ार में हर तरह की चीज़ें बिकती हैं। मैंने कहा कि उसी बाजार का सर्वे करना है। लड़कों को वहां भेजो और मैं रोज रिपोर्ट लेता था। वे वहां जाकर पूछते थे, “कैसी है दिवाली?” वे कहते, “मोदी का नाम मत लो, ये बच्चा है ना? इसकी मां सुन लेगी तो रात को खाना नहीं खिलाएगी। मोदी नहीं आए तब तक बच्चा स्कूल नहीं जाता था। मोदी आए, तो स्कूल जा रहे हैं। ये दिवाली की छुट्टियाँ हैं, इसलिए वह मेरी दुकान पर आया है। उनकी मां इतनी खुश है। लगभग 90% दुकानदारों के पास अलग तर्क होगा, लेकिन जवाब एक ही था।”
अहमदाबाद में 3-4 लाख मुसलमानों की आबादी वाले इलाके जोहापुरा की कुछ मुस्लिम महिलाओं के साथ एक बैठक को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ”उनसे पूछा कि कोई तकलीफ है क्या, तो उन्होंने बताया कि हम आपका अभिनंदन करने आई हैं और कुछ काम लाई हैं। उन्होंने कहा कि आपने बिजली प्रबंधन के संबंध में जो काम किए हैं,बहुत अच्छे हैं। महिलाओं ने कहा कि हमारे यहां भी एक बिजली मंत्री हैं, जो बिजली के एवज में पैसे लेते हैं। सरकार की बिजली चोरी करके, हमें बेचते हैं। अब उन्हें रेगुलर बिजली मिल रही है और कोई दादागिरी भी नहीं है। अखबारों में आया था कि मोदी ने जुल्म किया, बिजली की केबल उखड़वा दी। ऐसी मेरे साथ सैंकड़ों घटनाएं हुई हैं, लेकिन मैं मार्केटिंग नहीं करता। मेरा मंत्र है, सबका साथ, सबका विकास। मैं वोटबैंक के लिए काम नहीं करता, जो गलत है, उसे गलत कहकर रहूंगा ”
अगर उनकी सरकार मौजूदा आम चुनाव में 400 सीटें हासिल कर लेती है तो विपक्ष क्या करेगा, इस सवाल पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वह लोकतंत्र के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध हैं और एक मजबूत विपक्ष चाहते हैं, लेकिन विपक्ष एक मान्यता प्राप्त विपक्ष का गठन करने लायक पर्याप्त सीटें हासिल नहीं कर पाएंगे। यह सुझाव भी आया है कि छोटे दलों का कांग्रेस में विलय हो सकता है। “मजबूती का मतलब यह नहीं कि सदन न चलने दें, हुड़दंग करें या गैर-लोकतांत्रिक काम करें। भारत का दुर्भाग्य है कि पिछले एक दशक में ये लोग विपक्ष के तौर पर फेल हो गए। विपक्ष के नाते भी उनके खाते में एक काम नहीं है। अगर वे विपक्ष में सफल नहीं हो सकते, तो वे शासन में कैसे सफल होंगे? भारत में मजबूत लोकतंत्र और मजबूत विपक्ष की जरूरत है।”
मोदी ने कहा कि शरद पवार ने विपक्ष को मजबूत करने के लिए एक रचनात्मक विचार पेश किया है। वह इसका स्वागत करता हैं। मोदी ने कहा, “उन्होंने सभी छोटी पार्टियों को कांग्रेस में शामिल करने का सुझाव दिया। कांग्रेस में मर्ज करना, नहीं करना, कहां करना, ये मेरा विषय नहीं है। शायद उनकी चिंता यह है कि इतनी सीटें भी नहीं आएंगी कि मान्य विपक्ष भी नहीं बन पाएं। इसलिए मर्जर हो जाएगा, तो मान्य विपक्ष बन पाएंगे।”
उन्होंने जोर देकर कहा। “मैंने कानून में परिवर्तन किए हैं। हमारे पास कई योजनाएं और समितियां हैं, जहां विपक्ष के नेता भाग ले सकते हैं और महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं। मैंने यह सुनिश्चित करने के लिए कानून में संशोधन किया है कि हमारे यहां कोई नेता प्रतिपक्ष तो है नहीं तो सबसे बड़ी पार्टी के नेता को बैठाओ। मैं इतना लोकतांत्रिक हूं, अन्यथा मैं नहीं बैठाता।”
एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि काशी के घाट ही काशी की पहचान हैं। उन्होंने घाटों पर आधुनिकता की आवश्यकता पर जोर दिया। जिसके कारण नमामि गंगे घाट परियोजना की परिकल्पना की गई। शाम को घाटों पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं। उन्होंने कहा कि लोग नमामि गंगे के महत्व को समझते हुए परिवर्तन देखने आते हैं।
वह क्यों नहीं थकते, इस सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि जब तक उनकी मां जीवित थीं, उन्हें लगता था कि बायोलाजिकली मुझे जन्म दिया गया है, “मां के जाने के बाद, मैं इन सभी अनुभवों को जोड़कर देखता हूं, मैं कनविंस हो चुका हूं, लेफ्टिस्ट लोग मेरी धज्जियां उड़ा देंगे, मेरे बाल नोच लेंगे, लेकिन मैं कनविंस हो गया हूं कि मुझे परमात्मा ने भेजा है। यह ऊर्जा बायोलाजिकल शरीर से नहीं मिली है। ईश्वर ने मुझसे काम लेना है, इसलिए मुझे विधा भी दी है, सामर्थ्य भी दी है। नेकदिली भी मिली है। और प्रेरणा भी वही दे रहा है। और मैं कुछ नहीं हूं। एक औजार हूं। मैं जब भी कुछ करता हूं तो सोचता हूं कि ईश्वर मुझसे कुछ करवाना चाहता है। आपका नाम होगा, इसकी चिंता छोड़ो। मैं सिर्फ ईश्वर को समर्पित हूं। उस ईश्वर को मैं देख नहीं सकता। मैं तो केवल पुजारी हूं। मैं केवल भक्त हूं। देश के 140 करोड़ लोगों को ईश्वर मानकर चलता हूं। वही मेरे भगवान हैं।”