- Title: Madhukar Shah: Bundelkhand Ka Nayak
- Hardcover: 128 pages
- Publisher: Rajkamal Prakashan
- Language: Hindi
भारत के स्वतंत्रता-आन्दोलन के ऐसे न जाने कितने अध्याय होंगे, जो इतिहास के पन्नों पर अपनी जगह नहीं बना पाए। देश के दूर-दराज हिस्सों में जनसाधारण ने अपने दम पर विदेशी शासकों से कैसे लोहा लिया, क्या-क्या झेला, उस सबको कलमबन्द करने की उस समय न किसी को इच्छा थी, न अवसर। लेकिन पीढिय़ों तक जीवित रहनेवाली किंवदन्तियों में इतिहास के ऐसे अदेखे सूत्र मिल जाते हैं। 1857 के स्वतंत्रता-संग्राम से पहले 1842 के बुन्देल-विद्रोह का प्रकरण भी ऐसा ही है। लिखित इतिहास में इस विषय पर विस्तार से कहीं कुछ भी उपलब्ध नहीं है, लेकिन कुछ सूचनाएँ अवश्य मिलती हैं। उन्हीं को आधार मानकर जुटाई हुई बाकी जानकारी को लेकर इस नाटक की रचना की गई है। कह सकते हैं कि यह रंगमंच के एक सिद्ध जानकार की कलम से निकली रचना है, जो इस ऐतिहासिक प्रकरण को इतनी सम्पूर्णता से एक नाटक में बदलती है कि इसे पढऩा भी इसे देखने जैसा ही अनुभव होता है। बुन्देलखण्ड की खाँटी ज़ुबान, अंग्रेज़ अफसरों की हिन्दी और लोकगीतों के साथ बुनी गई यह नाट्य-कृति एक समग्र नाट्य-अनुभव रचती है।