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भारत को डिटिजल बाजार क्यों बनाना चाहते हैं मोदी ..

भारत को डिटिजल बाजार क्यों बनाना चाहते हैं मोदी

भारत इस समय दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है.. हर बात में यहां तक कि मोबाईल चलाने वालों और उस पर दिन भर बिताने वालों में भी भारत दुनिया में नंबर एक हैं.. करीब 140 करोड की आबादी वाले देश में 80 करोड़ के आस पास मोबाईल यूजर हैं. ऐसे में पीएम मोदी ने मुंबई में एक से चार मई तक दुनिया भर के मनोरंजन उघोग और डिटिजल तकनीक के सबसे बडे सम्मेलन वेव्स 2025 का आयोजन किया .. इसमें क्या हासिल हुआ बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार संदीप सोनवलकर

मुंबई के व्यापारिक हब माने जाने वाले जियो सेंटर बीकेसी मे एक से चार मई तक अगर आप एक नजर दौड़ाते तो आपको लगता कि मनोरंजन की दुनिया और डिटिजल की दुनिया का एक साथ मिलन हो रहा है . चार दिन में यहां जुटे एक लाख से ज्यादा लोगों और शाहरुख से लेकर आलिया भटट और रणबीर सिंह से लेकर सैफ अली खान जैसे सितारों ने डिजीटल होने के कारण बदल रही मनोरंजन की दुनिया पर बात की और ये भी तय किया कि भारत को दुनिया का सबसे बड़ा डिटिजल कंटेट क्रिएटर बनाना है .इसके लिए बाकायदा एक अलग यूनिवर्सिटी बनाने का ऐलान भी किया गया. लेकिन ये सवाल हमेशा तैरता रहा कि ऐसा क्या है कि ऐसे समय में जब पाकिस्तान से आतंकवाद को लेकर भारत में जवाबी तैयारी चल रही है और तनाव बढ़ता जा रहा है तब मुंबई में ये डिजिटल आयोजन की जरुरत क्यों लगी और हर बात सोच समझकर करने वाले पी एम मोदी ये सब क्यों कर रहे है.
तमाम विशेषग्यों की बातचीत में कुछ बातें निकलकर आयी वो इस तरह है कि ..

1. मोदी समझते है कि भारत में मोबाईल और उसके मनोरंजन ने किस हद तक पैठ बना ली है और भारत में कंटेट क्रिएटर का बाजार तेजी से बढ रहा है .भारत के अधिकतर युवा रील और शार्ट दिन में एक बार तो देखते हैं. पीएम मोदी को लगता है इस फोर्स को दो तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है पहला कंटेट क्रिएटर के रोजगार के तौर पर इससे बड़ी संख्या मे युवाओं को रोजगार मिल सकता है .. दूसरा इन युवाओं को प्लेटफार्म देकर अपने साथ जोड़े रखना ताकि ये उनका समर्थक भी बना रहे ..

2. भारत मे ओटीटी ने अब काफी हद तक सिनेमाघऱ के पैरलल अपनी जगह बना ली है .बहुत से लोग वीकेंड में घर पर ही ओटीटी देखते हैं. यहां तक कि इस माध्यम पर फिल्में भी सीधे रिलीज होने लगी है लेकिन ये भी इतना ही सच है कि ओटीटी पर अब भी दो विदेशी प्लेटफार्म नेटफिल्क्स और अमेजान की ही पकड़ है. 70 फीसदी लोग इनको ही देखते हैं और इसमें कंटेट ज्यादातर विदेशी ही है.. पीएम मोदी औऱ संघ परिवार चाहता है कि मनोरंजन की इस दुनिया में भारतीय कहानियां और और भारतीय कंटेट हो.इसके जरिये भारतीय परंपरा और कहानियों को सीधे घरों तक पहुंचाया जा सकेगा. ये काफी हद तक भारतीय गौरव को फिर से स्थापित करने के लक्ष्य में काम आयेगा .. अंबानी घराना जियो के जरिये जल्दी ही 5 जी रोल आउट करना चाहता है उसके जरिये एक खालिस भारतीय ओटीटी को पहुंचाया जा सकता है और उसके लिए कंटेंट लगेगा . इस पर वेव्स में खासा जोर भी रहा और ब्रम्रहा जैसी तकनीकी कंपनियां भी रियल टाइम वर्चुअल क्रिएशन को प्रमोट करती रहीं. यहां तक कि एक बाक्स में अभिताभ बच्चन जियो की तरफ से रामायण का वाचन करते हुए वर्चुअल बने रहे ..

3. इन सबके साथ ही एक और मकसद इस पूरे आयोजन का रहा वो था गेमिंग बाजार को साधना.. भारत में फन गेम्स और वर्चुअल गेम्स का बाजार तेजी से बढ रहा है ..इस बाजार में अकेले ड्रीम स्पोर्टस का ही बाजार एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. इसके अलावा रमी और लूडो जैसे बाकी गेम्स भी जमकर कमाई कर रहे हैं. इनको स्पोर्टस का दर्जा देकर इन पर लगने वाली बोली को भी सटटे से बचाकर अलग कर दिया गया है. इस सबसे ही भारत सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपये की जीएसटी मिलती है.. हालांकि इस पर विवाद चल रहा है. गेमिंग स्पोर्टस कंपनियों का कहना है कि उन पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगायी जाये जबकि सरकारी विभाग अभी 28 फीसदी मांगता है.. ये एक बहुत बड़ा बाजार है और साथ ही लोग अगर लगातार गेम और बाकी चीजों में उलझे रहें तो बाकी सवाल पर बहुत कम ही उबाल आयेगा..

4. इसके साथ ही मनोरंजन की दुनिया का बाजार डिजीटल होने के कारण अब वैश्विक हो चला है . ये अब यूट्यूब और रील्स से भी आगे बढ चला है .इसमें रोजगार और कमाई दोनों की संभावना है और सरकार इसे एक बड़ा उघोग बनाकर युवाओं को अवसर देना चाहती है.. वेव्स में इस पर भी बहुत बात हुयी ..

5. वेव्स में एक नये सेंगमेंट कम्युनिटी रेडियो और पाडकास्ट पर भी अलग से चर्चा हुयी . कम्युनिटी रेडियो चलाने वाले देशभर के 350 लोगों को भी बुलाया गया और आईआईएमसी के जरिये इस पर परिचर्चा हुयी लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया कि इन कम्युनिटी रेडियो को किस तरह से आर्थिक तौर पर सक्षम बनाया जा सके ..ज्यादातर रेडियो अभी सरकारी मदद के सहारे ही चल रहे है और इनकी लाइसेंस की फीस भी बहुत ज्यादा है.जबकि विदेशों में ये बहुत लोकप्रिय है.. भारत में अभी इनकी पहुंच करीब पांच किलोमीटर ही है और कापीराइट से लेकर कंटेट बनाने तक सबके खर्चे बहुत है.. इसलिए इनकी चुनौतियां कम नहीं है ..पाडकास्ट जरुर यूटूब पर लोकप्रिय हो रहा है लेकिन मोबाईल पर आडियो पाडकास्ट को लेकर अब भी लोकप्रियता कम है और इसका बाजार भी बहुत बड़ा नही हैं. मोदी बहुत दूर की देख रहे हैं.

कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि यहां मुंबई में 100 से अधिक देशों के कलाकार, निवेशक और नीति निर्माता एक साथ एक ही छत के नीचे एकत्र हुए हैं। एक तरह से आज यहां वैश्विक प्रतिभा और वैश्विक रचनात्मकता के एक ईको-सिस्टम की नींव रखी जा रही है।

बीती एक सदी में भारतीय सिनेमा ने भारत को दुनिया के कोने-कोने में ले जाने में पाई सफलता

पीएम मोदी ने आगे कहा- ”वर्ल्ड ऑडियो विजुअल और एंटरटेनमेंट समिट यानी वेव्स.. ये सिर्फ एक ऐक्रोनिम नहीं है। ये एक वेव है- संस्कृति की, रचनात्मकता की। वेव्स एक ऐसा वैश्विक मंच है, जो आप जैसे हर कलाकार, हर निर्माता का है। जहां हर कलाकार, हर युवा एक नई योजना के साथ रचनात्मक दुनिया के साथ जुड़ेगा। आज 1 मई है। आज से 112 साल पहले 3 मई, 1913 को भारत में पहली फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र रिलीज हुई थी, इसके निर्माता दादासाहेब फाल्के जी थे और कल ही उनकी जन्म जयंती थी। बीती एक सदी में भारतीय सिनेमा ने भारत को दुनिया के कोने-कोने में ले जाने में सफलता पाई है।”

सभी का प्रयास आने वाले वर्षों में वेव्स को देगा नई ऊंचाई

उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा- ”आज वेव्स में इस मंच पर हमने भारतीय सिनेमा के अनेक दिग्गजों को डाक टिकट के माध्यम से याद किया है। बीते वर्षों में मैं कभी गेमिंग वर्ल्ड, कभी म्यूजिक की दुनिया के लोगों से, फिल्म मेकर्स से मिला, कभी स्क्रीन पर चमकने वाले चेहरों से मिला। इन चर्चाओं में अक्सर भारत की रचनात्मकता, सृजनात्मक क्षमता और वैश्विक सहयोग की बातें उठती थीं। लाल किले से मैंने ‘सबका प्रयास’ की बात कही है। आज मेरा ये विश्वास और पक्का हो गया है कि आप सभी का प्रयास आने वाले वर्षों में वेव्स को नई ऊंचाई देगा।”

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