इन दिनों महाराष्ट्र के मंत्रालय और उसके आसपास बसे कांग्रेस एनसीपी बीेजेपी और शिवसेना दफ्तरो में किसी भी पत्रकार को देखते ही नेता का बस एक ही सवाल हो रहा है कि अबकी बार किसकी सरकार .पत्रकार भी नेता और पार्टी देखकर जवाब बदल देते हैं और संभलकर बोलते हैं कि कोई देखता सुनता ना हो .लेकिन सब इस बात से सहमत है कि अभी तक साफ नही है कि कौन लोकसभा चुनाव जीत रहा है . कोई कहता है कि मोदी फिर आ जायेगें लेकिन मूड देखकर कह देता है कि बस कुछ कम रह जायेंगे नंबर .
सबके अपने अपने गणित और आंकडे हैं. सबसे ज्यादा उत्तेजना बीजेपी दफ्तर में हैं जहां कार्यालय प्रभारी और मीडिया रूम में प्रवक्ता ही मिल रहे हैं. प्रवक्ता भी बेचारे क्या करें . जब अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री ने ही 300 का आंकडा बोल दिया तो उससे कम कैसे जाये .वो तो गनीमत है कि उससे ज्यादा नहीं जा सकते .ऐसे में कोई पत्रकार धीमे से गुजरात के 160 के दावों और असल में 98 की याद दिला दे तो खींसे दिखाते हुए कहना ही पडता है कि अरे चुनाव में तो बोलना ही पडता है वरना कैडर क्या सोचेगा .
महाराष्ट्र के एक बडबोले मंत्री तो बुुधवार को अपने दफ्तर में बैठकर बीजेपी की 300 सीट के लिए शर्त लगाते दिखे और ये भी दावा करते रहे कि राज्य में भाजपा शिवसेना 48 में से कम से कम 42 सीट जीतेगी जब किसी ने सवाल उठाया तो कहना ही पडता है . ये अलग बात है कि शर्त भी पार्टी देने की हो रही है . वैसे भी पार्टी पत्रकार तो देते नहीं यानि नेता का ही खर्च होगा . पत्रकारों की मौज है हारे तो भी पार्टी और जीते तो फिर क्या कहने .
सबसे ज्यादा मजा देश के नंबर लगाने में हो रहा है सबके अपने दावे और आंकलन है . जो यूपी के पत्रकार हैं वो अलग अलग दावे कर रहे हैं कोई कह रहा है कि मोदी के सामने सब फेल देखा नही था पिछली बार क्या हुआ था तो कोई कह रहा है कि महागठबंधन का जाति कार्ड चलेगा . माईनारिटी का वोट कहां जा रहा है इस पर भी कई दावे हो रहे .
कुल मिलाकर सबके लिए बोलने के लिए कुछ ना कुछ है पर असल में सूत ना कपास और जुलाहों मे लठठमलठठा है .कोई नही बता सकता कि क्या होगा .पर नेता और पत्रकार दोनों चुप रहें ये तो हो नही सकता .
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