‘डीकार्बोनाइजेशन और बुनियादी ढांचे के विकास का महत्व और भूमिका’ विषय पर भिलाई में दो दिवसीय भारतीय इस्पात सम्मेलन का उद्घाटन हुआ। एस्सार मिनमेट प्राइवेट लिमिटेड के सीएमडी और पूर्व तकनीकी निदेशक (सेल) श्री एस एस मोहंती ने सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के निदेशक प्रभारी श्री अनिर्बान दासगुप्ता की उपस्थिति में दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया। श्री मोहंती ने इस्पात उद्योग में डीकार्बोनाइजेशन की चुनौती और शून्य कार्बन उत्सर्जन के महत्व पर बल दिया। श्री दासगुप्ता ने सस्टेनेबल स्टील उत्पादन के लिए कार्बन उत्सर्जन कम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। सीएमडी (आईएसआर इन्फोमीडिया प्राइवेट लिमिटेड) श्री संतोष महंती और आईआईएम रायपुर के निदेशक डॉ राम कुमार काकानी ने भी सम्मेलन में भाग लिया और भारतीय इस्पात उद्योग के स्थायित्व और पर्यावरण अनुकूलता की दिशा में रणनीतियों पर चर्चा की।
भिलाई इस्पात संयंत्र के निदेशक प्रभारी श्री अनिर्बान दासगुप्ता ने अपने संबोधन कहा कि आज सार्थक प्रयासों के माध्यम से हमें कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों के न्यूनतम उत्सर्जन के साथ उच्च गुणवत्ता वाले सस्टेनेबल स्टील का उत्पादन करने के तरीकों की खोज करने की आवश्यकता है।
आयरन एंड स्टील रिव्यू मैगजीन-कोलकाता, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स (आईआईएम), भिलाई चैप्टर और इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) भिलाई सेंटर द्वारा सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लौह और इस्पात उत्पादकों, देश के विभिन्न हिस्सों में इस्पात निर्माण से संबंधित अनुसंधान और प्रौद्योगिकी संस्थानों के टेक्नोक्रेट, विशेषज्ञ और प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
उद्घाटन सत्र के बाद डी-कार्बोनाइजेशन और बुनियादी ढांचे के विकास के महत्व और भूमिका पर एक पैनल चर्चा हुई। इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों और गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सम्मेलन की स्मारिका का अनावरण किया गया। तत्पश्चात सम्मेलन में भाग लेने वाली कंपनियों और आपूर्तिकर्ताओं द्वारा लगाए गए स्टॉल की एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया।
भारतीय इस्पात सम्मेलन के उद्घाटन समारोह का संचालन महाप्रबंधक (पर्यावरण प्रबंधन) श्रीमती बोन्या मुखर्जी और सहायक महाप्रबंधक (विजिलेंस) श्री हिमांशु दवे ने किया। मुख्य महाप्रबंधक प्रभारी (लौह) श्री तापस दासगुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्ताव प्रस्तुत किया।