अब ये साफ हो गया है कि इस बार का महाराष्ट्र चुनाव केवल कश्मीर से 370 हटाये जाने और ट्रिपल तलाक पर ही होगा . खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी नींव रखते हुए चुनाव प्रचार की शुरुआत की . प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रचार के अपने पहले ही दौरे में पूरा फोकस केवल इन दो मुददों पर ही रखा .इतना ही नहीं विपक्ष को चुनौती भी दे दी कि हिम्मत है तो इन दोनों कानून को वापस करके दिखाये .
भाजपा की पूरी रणनीती विधानसभा चुनाव को इन दो राष्ट्रीय मुददो पर ही लडने की है.शायद भाजपा को इस बात का अहसास है कि भले ही पांच साल लगातार सरकार चलाकर मुखयमंत्री देवेन्द्र फणनवीस लोकप्रिय तो हुये हैं लेकिन इतने भी नहीं कि उनके नाम पर फिर से सरकार आजाये .इसलिए बीजेपी अपने आजमाये हुए फार्मूले राष्ट्रवाद और अल्पसंख्यक तुष्टीकरण पर ही चुनाव को ले आना चाहती है.
भाजपा के रणनीतीकार और गृहमंत्री अमित शाह भी अपनी हर रैली में केवल कशमीर .आतंकवाद और 370 को हटाये जाने की बात ही करते है . वो कहते है कि केवल 56 इंच वाले मोदी ही ऐसा कर सकते है किसी में हिम्मत नहीं .दोनों ही बडे नेता इस बार विकास पर बात नहीं कर रहे और न ही किसान कर्जमाफी से लेकर रोजगार जैसे मुददों पर कोई बात हो रही है . जब केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंदी को लेकर बालीवुड की फिल्मों की कमाई की तुलना कर दी उनको अगले ही दिन सफाई देने भी कह दिया . बीजेपी के रणनीतीकार भी जानते है कि अर्थव्यवस्था की मंदी की बात होगी तो फिर बात नोटबंदी और जीएसटी की भी होने लगेगी जिससे सब परेशान है .इसलिए बीजेपी नेताओं को साफ कहा गया है कि चुनाव में केवल 370 और ट्रिपल तलाक की बात ही कही जाये.
बीजेपी का अपना सर्वे भी कह रहा है कि 370 को हटाये जाने के कारण उसके वोटबैंक में इजाफा हुआ है और इस पर जोर दिया जाये तो सरकार के खिलाफ नाराजगी को रोका जा सकता है. मुशिकल ये है कि विपक्ष अब भी इस रणनीती के खिलाफ अपनी कोई बडी कोशिश नही कर पाया है . विपक्ष अगर पूरी तरह से स्थानीय मुददों पर फोकस कर दे और केवल रोजगार .मंदी .किसान आत्महत्या . सडको की खराब हालत , कर्जमाफी में कमी जैसे मुददों पर ही बात करे तो उसे कुछ फायदा मिल सकता है. हालांकि इसमें बहुत देर हो गयी है . विपक्ष पहले से ही लडाई के लिए तैयार नही दिख रहा है.