अगर ग्राहक ने एक अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच में फ्लैट बुक कराया है या फिर फ्लैट कैंसल कराया है तो बिल्डर उस पर लिए गए जीएसटी भुगतान का रिफंड करेगा.
एक अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच में फ्लैट बुक कराया है या फिर फ्लैट कैंसल कराया है तो बिल्डर आपको उस पर लिए गए जीएसटी भुगतान का रिफंड करेगा. जिस बिल्डर्स के प्रोजेक्ट 1 अप्रैल 2019 के पहले से चल रहे हैं उनके मामले में उन्हें नई व्यवस्था अपनाने का विकल्प दिया गया है. ऐसे प्रोजेक्ट के लिये या तो वह पुरानी जीएसटी व्यवस्था को जारी रख सकते हैं या फिर 1 फीसदी और 5 फीसदी की नई दर को अपना सकते हैं.
केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी)ने बताया है कि रियल एस्टेट सेक्टर को लेकर आमतौर पर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब’ में यह स्प्ष्टीकरण दिया है.
इस बदलाव के तहत बिल्डरों को अब बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट सुविधा का लाभ उठाये सस्ती आवासीय परियोजनाओं पर 1 फीसदी और अन्य श्रेणियों की आवासीय इकाइयों पर पांच प्रतिशत की दर से GST लगाने की अनुमति दी गई है. नई व्यवस्था एक अप्रैल 2019 से लागू हो गई है.
इससे पहले की पुरानी व्यवस्था में सस्ती आवासीय परियोजनाओं के लिये 8 फीसजदी और अन्य श्रेणियों की आवासीय इकाइयों के लिये 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगाने का प्रावधान है.
इसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट सुविधा का लाभ भी बिल्डर उठा सकते हैं जबकि नई व्यवस्था में दरें घटा दी गईं हैं और इनपुट टैक्स क्रेडिट सुविधा को समाप्त कर दिया गया है.