गोवा में 35 हजार करोड का जुमला
नये साल के जश्न की तैयारी कर रहा पर्यटन राज्य गोवा में राजनीति का माहौल गर्म हो रहा है . इन दिनों राजनीतिक एजेंडा सेट हो रहा है ऐसे में नये नये आये राजनीतिक दल तृणमूल कांग्रेस ने गोवा की नई सुबह और 35 हजार करोड का नया नारा उछाल दिया है . इस मसले पर बीजेपी उलझ गयी है और उसे जवाब नहीं देते बन रहा है .
गोवा में पहली बार है जब चार पुराने दलो के अलावा पांचवे और छठे दल की भी एंटी हो गयी है . गोवा में अब तक बीजेपी . कांग्रेस .एनसीपी और शिवसेना ही बड़े दल थे चुनाव मैदान में लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस भी मैदान में उतर गयी है. सबसे ज्यादा खर्च तृणमूल कांग्रेस कर रही है और रणनीतीकार प्रशांत किशोर के कहने पर सब हो रहा है . गोवा एयरपोर्ट से उतरकर आप अगर पणजी तक का सफर करेंगे तो हर जगह आपको ममता बनर्जी के पोस्टर नजर आयेंगे. गोयेंची नवी सकाल . गोवा की नई सुबह ..
टीएमसी ने गोवा के पुराने क्रिश्चियन एनजीओ गोवा फाउंडेशन के साथ समझौता कर लिया है और इस संगठन ने पुराने कागज झाड़ पोंछकर एक नया जुमला 35 हजार करोड़ की वसूली और हर गोवा के खाते में तीन लाख रुपये जमा करने का नारा दिया है. पार्टी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा है कि गोवा में माइनिंग माफिया ने 35 हजार करोड़ का घोटाला किया था और उसे वापस लेकर हर गोवा वासी को तीन लाख रुपये दिये जायेगे . ये सब उनको गोवा फाउंडेशन के क्लाउड अलवारिस ने समझाया है . जो गोवा के हर विकास काम में रोड़ा लगाते रहे हैं.
क्या है ये 35 हजार करोड़ का खेल .
असल में गोवा फाउंडेशन की अपील पर सुप्रीम कोर्ट के जज एम बी शाह ने एक रिपोर्ट बनायी थी जिसमें कहा गया था कि अनुमान है कि गोवा में गलत खनन से करीब 35हजारकरोड़ का राजस्व नुकसान हुआ .. ये रिपोर्ट 2012 के चुनाव में बीजेपी ने उठा ली और अरुण जेटली के साथ मनोहर पर्रीकर ने इस पर खूब प्रचार किया . बाद में जब पर्रीकर की ही सरकार आ गयी तो वो फंस गये . गोवा सरकार ने इस पर एक जांच बिठाई तो खुद पर्रीकर को अधिकारिक तौर पर कहना पड़ा कि ये आंकड़ा करीब तीन हजार करोड़ का ही है 35 हजार करोड़ तो अनुमान था .. लेकिन मजे की बात जब चार्टड अकाउंटेंटस की एक कमेटी बनाकर जांच की गयी तो असल आंकड़ा 300 करोड़ से भी कम के रेवेन्यू लास का निकला. आखिर में वो भी पांच साल मे वसूल नही हो पाये . यानि 15 लाख करोड़ के काले धन और हर खाते में 15 लाख के जुमले की तरह इसका इस्तेमाल हो गया. अब तृणमूल कांग्रेस ने इसे लपक लिया है और लगातार बयानबाजी कर रहे है लेकिन मुश्किल ये है कि खुद बीजेपी सरकार भी इसका खंडन नहीं कर पा रही है. डर यही कि लोग अगर फिर से खाते में तीन लाख के झांसे मे आ गये तो क्या होगा.
गोवा की हालत खराब ..
गोवा में 14 लाख की आबादी में से 3 लाख लोग किसी न किसी तरह माइनिंग में लगे हैं जाहिर है माइनिंग बंद होने से बेरोजगारी भी बेतहाशा बढ़ी है और कोविड में पर्यटन ठप होने से ये कोड़ में खाज की तरह हो गयी है. अब चुनाव में फिर से मुददे और जुमले उछाले जा रहे है जबकि आम गोवा वासी जो बहुत साधारण रहते हैं कहीं वो इस जुमले की राजनीति में फंस ना जाये तो बीजेपी को बहुत मुश्किल होगी..