मेरा नाम गीतिका है। मेरी उम्र 23 साल है। जब मैं 21 साल की थी , तब अचानक से मेरा वजन बढ़ने लगा। 23 वर्ष तक आते- आते मेरा वजन करीब 70 किलो हो गया। वजन बढ़ने के साथ- साथ मेरे पीरियड्स भी इर्रेगुलर हो गए। इर्रेगुलर पीरियड्स में दो महीने के गैप में पीरियड्स आने लगे। इसके साथ ही हेवी फ्लो जैसी दिक्कत भी होने लगी। डॉक्टर को जब इस संबंध में बताया तो पता चला कि मैं पीसीओडी के जूझ रही हूं। पीसीओडी की वजह से मेरे शरीर में इस तरह के बदलाव आए है। गीतिका की तरह ही कई और महिलाएं तथा लड़कियां इर्रेगुलर पीरियड्स तथा पीसीओडी से जूझ रही है। गलत लाइफस्टाइल की वजह से आमतौर पर फीमेल्स को इस तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा कभी- कभी जैनेटिकली भी फीमेल्स इस परेशानी से ग्रसित हो जाती है, ऐसे में डॉक्टर्स महिलाओं को डाइट में बदलाव करने तथा एक्सरसाइज करने की सलाह देते है।
यंग गर्ल्स को होती है ज्यादा परेशानी
यंग गर्ल्स को सबसे ज्यादा इस परेशानी का सामना करना पड़ता है। वर्तमान समय में ऑउटडोर एक्टिविटी न के बराबर है। इसके अलावा फास्ट फूड आदि भी इर्रेगुलर पीरियड्स का कारण बनती है। यदि समय रहते इसे ठीक नहीं किया जाए तो आगे प्रेग्नेंसी में भी दिक्कत आती है। इसके अलावा जिन महिलाओं का मिसकैरिज होता है तो उन्हें भी इर्रेगुलर पीरियड्स की शिकायत होती है। टीनेज गर्ल्स में हैवी फ्लो भी अलग डिसऑर्डर है। इसमें क्लॉटिग सिस्टम ठीक से काम नहीं कर पाता है। पीसीओडी में अंडाशय में इग्श का निर्माण तो होता है लेकिन वह रिलीज नहीं हो पाते। इस वजह से सिस्ट जैसी दिक्कत भी हो जाती है। प्रेग्नेंसी में यह सिस्ट परेशानी उत्पन्न करती है। इस डिसऑर्डर की वजह से कंसीविग भी नहीं हो पाती है। समय रहते लाइफस्टाइल में बदलाव करें, इस डिसऑर्डर से बचा जा सकता है।
फीमेल्स को नहीं होती जानकारी
आमतौर पर किसी भी स्वस्थ महिला के पीरियड्स की अवधि 21 से 35 दिन के बीच होती है। इससे ज्यादा समय लगता है तो उसे हम अनियमित पीरियड्स कहते हैं। इसे सही उपचार और जीवनशैली और खान-पान में बदलाव से ठीक किया जा सकता है। अधिक तनाव की वजह से भी अनियमित पीरियड्स की समस्या होती है। इसके अलावा पीसीओडी महिलाओं में होने वाला एक बेहद ही आम रोग है। 70 प्रतिशत महिलाओं को इस बात की जानकारी नहीं होती कि वे पीसीओडी से पीड़ित हैं। साथ ही यदि उन्हें इस बात का पता भी होता है तो वे सिर्फ दवाओं के सहारे ही रहती हैं जबकि इस बीमारी का इलाज सही खान-पान और हेल्थी लाइफस्टाइल है।
डाइट में खाएं यह चीजें
पीसीओडी तथा इर्रेगुलर पीरियड्स से बचाव के लिए हैल्थी डाइट का होना जरुरी है। डाइट में मैदा, चीनी व पैक्ड फूड से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा भोजन के बीच गैप ज्यादा नहीं रखना चाहिए। सुबह खाली पेट भीगे हुए मेवे खाएं। खाने में ब्रोकोली, सरसों का साग, पालक, शकरकंद, हरी बींस, फूल गोभी, लौकी, गाजर, केला, सेब का सेवन करना चाहिए। वजन में कंट्रोल रखें। प्रतिदिन फल खाना तथा ब्रिस्क वॉकिग करना। साथ ही योग और सैर को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। तनाव से दूर रहें।
रोजी सिन्हा पीआर प्रोफेशन्लस के साथ सीनियर एग्जीक्यूटिव -कंटेंट डेवलपमेंट के रूप में काम करती हैं। उन्हेंं पत्रकारिता का करीब चार साल का अनुभव है और उन्होंने नवभारत टाइम्स में दो साल काम किया है। वह रियल एस्टेट, सामाजिक मुद्दों, जीवन शैली, एजुकेशन और स्वास्थ्य पर लिखती हैं।