The PM Narendra Modi comments on the Citizenship (Amendment) Act (CAA) from RKM’s platform have created a controversy in West Bengal. A section of the mission members condemned the visit and many wrote to the RKM officials questioning why Mr. Modi was allowed to visit the Math. Political parties condemned Mr. Modi’s comments too, while RKM distanced itself from Mr. Modi’s remarks.
Mr. Modi reached Belur Math late on Saturday and paid tributes to Sri Ramakrishna, the mystic saint of 19th century Bengal.
Here is the pm speech controversial part .
साथियों, बीते कुछ समय से देश में और युवाओं में बहुत चर्चा है सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट की। ये एक्ट क्या है, इसे लाना क्यों जरूरी था? युवाओं के मन में बहुत से सवाल भांति-भांति लोगों के द्वारा भर दिए गए हैं। बहुत से नौजवान जागरूक हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो अब भी इस भ्रम के शिकार हुए हैं, अफवाहों के शिकार हुए हैं। ऐसे हर युवा को समझाना भी हम सबका दायित्व है और उसे संतुष्ट करना भी हम सबकी ही जिम्मेदारी है।
और इसलिए आज राष्ट्रीय युवा दिवस पर मैं फिर से देश के नौजवानों को, पश्चिम बंगाल के नौजवानों को, नॉर्थ ईस्ट के नौजवानों को आज इस पवित्र धरती से और युवाओं के बीच खड़ा हो कर जरूर कुछ कहना चाहता हूं।
साथियों, ऐसा नहीं है कि देश की नागरिकता देने के लिए भारत सरकार ने रातो-रात कोई नया कानून बना दिया है। हम सबको पता होना चाहिए कि दूसरे देश से, किसी भी धर्म का कोई भी व्यक्ति, जो भारत में आस्था रखता है, भारत के संविधान को मानता है, भारत की नागरिकता ले सकता है। कोई दुविधा नहीं है इसमें… मैं फिर कहूंगा, सिटिजनशिप एक्ट, नागरिकता छीन लेने का नहीं, ये नागरिकता देने का कानून है और सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट, उस कानून में सिर्फ एक संशोधन है। ये संशोधन, ये अमेंडमेंट क्या है? हमने बदलाव ये किया है कि भारत की नागरिकता लेने की सहूलियत और बढ़ा दी है। ये सहूलियत किसके लिए बढ़ाई है? उन लोगों के लिए, जिन पर बंटवारे के बाद बने पाकिस्तान में, उनकी धार्मिक आस्था की वजह से अत्याचार हुआ, जुल्म हुआ, जीना मुश्किल हो गया, बहन-बेटियों की इज्जत असुरिक्षत हो गई। जीवन जीना ही एक सवाल या निशान बन गया। अनेक संकटों से ये जीवन ही घिर गया।
साथियों, स्वतंत्रता के बाद, पूज्य महात्मा गांधी से लेकर तब के बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं का यही कहना था कि भारत को ऐसे लोगों को नागरिकता देनी चाहिए, जिन पर उनके धर्म की वजह से पाकिस्तान में अत्याचार किया जा रहा है।
अब मैं आपसे पूछता हूं मुझे बताइए कि ऐसे शरणार्थियों को हमें मरने के लिए वापस भेजना चाहिए क्या? भेजना चाहिए क्या? क्या हमारी जिम्मेवारी है कि नहीं है, उनको बराबरी में हमारा नागरिक बनाना चाहिए कि नहीं बनाना चाहिए। अगर वो कानून के साथ, बंधनों के साथ रहता है, सुख-चैन की जिंदगी जीता है तो हमें संतोष होगा कि नहीं होगा… ये काम पवित्र है कि नहीं है…हमें करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए। औरों की भलाई के लिए काम करना अच्छा है कि बुरा है? अगर मोदी जी ये करते हैं तो आपका साथ है न… आपका साथ है न… हाथ ऊपर उठा करके बताइए आपका साथ है न।