पटना। हिंदी दिवस पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) और केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी पखवारा का शुभारंभ गुरुवार को कर्पूरी ठाकुर सदन में पीआईबी के अपर महानिदेशक एसके मालवीय, साहित्यकार शिवदयाल, पीआईबी के निदेशक आशीष एके लाकरा और सीबीसी के प्रमुख एवं उपनिदेशक संजय कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पीआईबी-सीबीसी के अपर महानिदेशक एसके मालवीय ने कहा कि हिंदी पूरे हिंदुस्तान की भाषा है। सरकारी कामकाज में हिंदी का सर्वाधिक प्रयोग होना चाहिए। हमें कम से कम अपना हस्ताक्षर हिंदी में करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंगेजी एक विशेष वर्ग की भाषा बनी हुई है जो हमें भाषायी गुलाम बनाये हुए हैं। इससे बाहर निकलने की जरूरत है। श्री मालवीय ने कहा कि कई देशों में वहां की मातृभाषा राष्ट्रभाषा है। हमें भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए, क्योंकि हिंदी हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाती है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता साहित्यकार शिवदयाल ने कहा कि हिंदी के प्रयोग को लेकर हमें अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है। आजादी के 75 साल बाद भी हम आज हिंदी के प्रयोग की पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को प्राथमिकता दी गई है। यह एक अच्छी पहल है, यह हमें अंग्रेजी भाषा की मानसिक गुलामी से मुक्ति दिलाएगी। साथ ही, आने वाली पीढ़ी को भी इससे फायदा होगा। उन्होंने कहा कि जहां तक सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग की बात है, तो यह हिंदी भाषी क्षेत्रों में हो ही रहा है। हमें अहिंदी क्षेत्रों में पहल और तेज करने की जरूरत है, क्योंकि हिंदी पूरे देश में बोली और समझी जाती है।
पीआईबी के निदेशक आशीष एके लाकरा ने अपने संबोधन में कहा कि अहिंदी क्षेत्रों में संचार के लिए हिंदी के प्रयोग पर बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सेवा में देशभर में तबादले होते रहते हैं, ऐसे में अहिंदी क्षेत्र में संचार के लिए अधिकारी और सहयोगी आपस में हिंदी भाषा में ही संपर्क करते हैं। हालांकि वह टूटी-फूटी होती है। जरूरत है अहिंदी भाषी अधिकारी व सहयोगियों के बीच हिंदी के प्रचार-प्रसार की। सीबीसी पटना के प्रमुख एवं उपनिदेशक संजय कुमार ने कहा कि संविधान सभा ने लंबी चर्चा के बाद 14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा स्वीकारा था। इसके बाद संविधान के अनुच्छेद-343 से 351 तक राजभाषा के संबंध में व्यवस्था की गयी। इस स्मृति को याद रखने और हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों एवं कार्यालय सहयोगियों के बीच एक पखवारे तक हिंदी को सरकारी कामकाज में बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी। प्रतियोगिता में विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया जाएगा।
मौके पर सीबीसी पटना के कार्यक्रम प्रमुख पवन कुमार सिन्हा ने कहा कि हिंदी संपर्क भाषा है और इसे बनाने में हिंदी फिल्म, साहित्य और टीवी की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि हिंदी बहुत आगे निकल चुकी है। इसका प्रयोग विश्वव्यापी और ठीक-ठाक हो रहा है। दक्षिण और उत्तर-पूर्व में हिंदी लोग बोलते और समझते हैं। जरूरत है इसे और सबल बनाने की। इस अवसर पर कई अन्य गणमान्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किये।