मध्यप्रदेश कांग्रेस के बड़े प्रवक्ता और अनुभवी नेता मुकेश नायक ने खुलकर मां लिया है कि प्रदेश में कांग्रेस में बंटवारा दिग्विजयसिंह के कारण हुआ है और दिग्विजय अब खुद की छवि को ठीक करने के लिए बिना पूछे ड्रामा कर रहे है।मुकेश नायक ने ये भी कहा कि बेंगलोर में बैठे विधायक किसी हाल में दिग्विजय सिह से नही मिलना चाहते अगर कोई जाए तो बात बन सकति है ।
मुकेश नायक खुद दिग्विजय की सरकार में एक बार मंत्री रह चुके है और कांग्रेस की राजनीति को जानते है।असल में तेजी से बूढ़े हो रहे दिग्विजय को अपने मंत्री बेटे जयवर्धन सिंह की राह में सिंधिया ही सबसे बड़ा रोड़ा लग रहे थे इसलिए सिंधिया को बाहर कर दिया। फिर गुरग्राम में अपने विधायक भेजकर खुद छुड़ाने का नाटक किआ । दिग्विजय की चाल अब खुल गयी है हमने 10 दिन पहले ही कहा था कि विधायको का गुरुग्राम का ड्रामा कही दिग्विजय का खेल तो नही ।
मध्यप्रदेश की राजनीती में अजब भूचाल आया है जहां राज्यसभा चुनाव के 21 दिन पहले ही ड्रामा शुरु हो गया है. कुछ लोग तो इसे होली के पहले का ड्रामा बता रहे है और कह रहे हैं कि बुरा ना मानो होली है . लेकिन पर्दे के पीछे से ये अटकलें भी सामने आ रही है कि कहीं ये खेला खुद दिग्विजय सिंह ने तो नही खेला है .ये बात इसलिए भी कही जा रही है क्योकि जितनी आसानी से कांग्रेस के 8 विधायक गुरुग्राम के एक होटल मे गये और उतने ही ड्रामेबाज तरीके से दिग्विजय सिंह खुद और अपने बेटे जयवर्धन के साथ उनको बाहर निकाल लाये. इससे बस इतना ही साबित होता है कि दिग्विजय अपना कद बढा रहे हैं.
असल में दिग्विजय सिंह इस बार राज्यसभा से रिटायर हो रहे हैं और 26 मार्च के चुनाव मे खुद को फिर से दावेदार मान रहे हैं .
लेकिन अंदर की खबर ये है कि ज्योतिरादित्य सिंधिंया ने इसमें टांग अडा दी है . सिंधिया खुद को राज्यसभा नहीं जाने की घोषणा कर चुके हैं.लेकिन लोग कह रहे हैं कि सिंधिया ने ये भी कहा है कि वो दिग्विजय को भी किसी हाल मे राज्यसभा नहीं जाने देंगे .ऐसे में बीजेपी एक अतिरिक्त प्रत्याशी खडा करके कांग्रेसी विधायकों का फायदा उठा सकती है.
इस बीच दिग्विजय सिंह ने बडा आरोप लगाया है कि बीजेपी की तरफ से करोडो रुपये का आफर विधायको को दिया जा रहा है ताकि उनको खरीदा जा सके. इन आठ विधायकों को भी इसी तरह लालच देकर ले जाया गया .
बीजेपी खुलकर कह रही है कि इन विधायकों को भाजपा नहीं ले गयी और दिग्विजय खुद की कीमत बढाने के लिए ये सब कर रहे हैं. अब सवाल ये उठ रहा है कि अगर सचमुच विधायकों को तोडकर ले जाया गया तो फिर उनको वापस लाने के लिए कमलनाथ सरकार की तरफ से क्या किया गया क्योकि अगर विधायक वापस नही आते तो सरकार भी गिर जाती. विधायकों को वापस लाने के लिए दिग्विजय अपने बेटे जयवर्धन और एक मंत्री जीतू पटवारी को ही क्यों ले गये . विधायको को वापस लाने के लिए सरकार की तरफ से कोशिश क्यों नही की गयी. एक सवाल ये भी जबकि अभी उम्मीदवारों के नाम घोषित भी नहीं हुये है और फार्म तक नही भरे गये . चुनाव में पूरे 20 दिन बाकी है तो बीजेपी इस तरह की ह़डबडी वाला कच्चा कदम क्यों उठायेगी .फिर अगर बीजेपी उनको ले भी गयी तो विधायकों की सुरक्षा के लिए बीजेपी की सरकार वाले राज्य में कोई इंतजाम क्यों नही था .
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, ‘भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश के कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी के विधायकों को दिल्ली लाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है. बहुजन समाज पार्टी की विधायक राम बाई को क्या भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह चार्टर फ्लाइट में भोपाल से दिल्ली नहीं लाए? इस पर शिवराज सिंह चौहान कुछ कहना चाहेंगे? लेकिन हमें राम बाई पर पूरा भरोसा है. वो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रशंसक हैं और उनका समर्थन करती रहेंगी.’
प्रदेश में विधानसभा सदस्यों की संख्या 230 है, जिनमें से कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं, जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं. इसके अलावा बाकी 9 विधायकों में से बहुजन समाज पार्टी के पास 2 विधायक और समाजवादी पार्टी के पास एक विधायक हैं.
इसके अतिरिक्त 4 निर्दलीय विधायक हैं, जबकि दो विधानसभा सीटें खाली हैं. दो विधायकों की मौत होने के बाद से ये सीटें खाली हैं. मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 116 विधायकों का है. हालांकि सूबे की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी कुल 121 विधायकों के समर्थन का दावा कर रही है.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पर बड़ा हमला बोला है. दिग्विजय सिंह को ‘ब्लैकमेलर’ बताते हुए शिवराज सिंह ने कहा कि वे राजनीति में खुद को बनाए रखने के लिए बेबुनियाद बयान दे रहे हैं
सवाल ये भी है कि शिवराज क्या इतने कचचे खिलाडी है कि विधायकों को साथ ले भी जायें और उनको आसानी से वापस जाने भी दें . इस कहानी के कई पहलू अभी सामने आना बाकी है .लेकिन जरुरी है कि अगर विधायकों को लालच दिया गया तो उनको खुद सामने आकर बताना चाहिये कि किसने कब और कितने का आफर दिया ताकि चूनाव साफ हो सके .