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अमित शाह से उदधव की बातचीत के मायने

बीते नवंबर में बीजेपी और शिवसेना में सरकार बनाने पर जमी बर्फ अब पिघलने लगी है . केन्द्रीय गृहमंत्री ने तब सरकार बनाने के लिए उदधव ठाकरे से बातचीत करने से इंकार कर दिया था इसलिए शिवसेना ने पलटवार करते हुए कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाकर बीजेपी को करारा तमाचा मारा था लेकिन मातोश्री के करीबी बता रहे है कि कोरोना के बहाने ही सही अब तक उदधव ठाकरे की पांच बार अमित शाह से फोन पर लंबी बात हो चुकी है.

इनमे सबसे अहम ये भी है कि खुद अमित शाह ने जब मातोश्री के सिक्युरीटी में लगे एक व्यक्ति को कोरोना निकला था तो उदधव से खुद और परिवार का खयाल रखने कहा था . दो दिन पहले ही पालघर की घटना पर अमित शाह ने उदधव ठाकरे से बात की थी .उसके बाद बीजेपी के हमलावर तेवर ढीले पड गये .

सवाल ये है कि क्या ये जो रिशतो के तार कोरोना के बहाने ही सही खुले है वो राजनीतिक रिशतेदारी में भी बदलेंगे .यानी क्या ये हो सकता है कि कोरोना काल के बाद उदधव तो सीएम बने रहें बस साथ में बीजेपी आ जायेगा .इस पर राजनीतिक गलियारों में कयास लगाये जाने लगे हैं. मातोश्री के करीबी बता रहे है कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेनद्र फणनवीस की हाल की बैचेनी यही संकेत दे रही है कि उनको भी अमित शाह की उदधव से सीधी बातचीत पसंद नहीं आ रही है .

सूत्रों का कहना है कि उदधव ने एक बार सरकार बनाकर और कोरोना काल में बेहतर काम करके दिखा दिया है लेकिन अब वो भी जानते है कि मौजूदा खराब आर्थिक हालात में केन्द्र की पूरी मदद के बिना सरकार को चलाना मुशिकल होगा .अगर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चलायी तो केन्द्र से अतिरिक्त मदद मिलेगी .

उदधव ठाकरे के विधानपरिषद में जाने पर चल रहा विवाद भी सुलझा लिया गया है . उदधव को 27 मई के पहले विधानपरिषद का सदसय बनना है उसके लिये केबिनेट ने राज्यपाल मनोनीत कोटे से उदधव को भेजने की सिफआरिश की थी लेकिन कानूनी तौर पर इसमें कई पेंच है इसलिए राज्यपाल ने अब तक मंजूरी नहीं दी .अब खबर है कि तीन मई के बाद विधानपरिषद की खाली सीटों पर चुनाव की नई तारीख 22 मई का ऐलान होगा जिसमें देश के बाकी हिससो में लंबित राजयसभा चुनाव की तारीख भी होगी .उदधव इसमें निर्विरोध चुन लिये जायेगें .

खुद प्रधानमंत्री मोदी से भी उदधव की बातचीत हो चुकी है और इसलिए उदधव अब तक केन्द्र सरकार के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे है. वो खुलकर कह रहे है कि जो केनद्र कहेगी वही करेंगे .असल में बीजेपी को समझ में आ गया है कि अभी ममता बनर्जी से तो लडा जाये लेकिन उदधव के खिलाफ जाकर हिंदुत्व विरोधी होने का आरोप ना लिया जाये .

जानकार ये भी बता रहे है कि संघ की तरफ से भैया जी जोशी भी उदधव ठाकरे से बात करते रहते है कि और उनकी भी इच्छा है उदधव की मौजूदा सरकार के छह महीने होने के बाद बीजेपी के साथ फिर से रिश्ता जोड लिया जाये. यानी इस बात के पूरे आसार है कि कोरोना के बाद शिवसेना बीजेपी में नये तार जुड सकते हैं.

– संदीप सोनवलकर 

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