महाराष्ट्र की राजनीती में आ रहा भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा . अब एक नया मोड़ आया है जब सरकार चला रही शिंदे शिवसेना और बीजेपी ही आपस में भिड़ गये हैं. वो भी गृहमंत्री अमित शाह के नांदेड़ के दौरे के अगले ही दिन .इससे सवाल ये भी उठने लगा है कि क्या शाह को ये सब पता है और वो उसे होने दे रहे हैं.
असल में अब शिंदे सरकार ने राज्य से सारे अखबारों मे एक विग्यापन देकर कहा है कि राष्ट्र में मोदी और महाराष्ट्र में शिंदे. इसी विग्यापन में दावा किया गया है कि राज्य में एक सर्वे कराया गया जिसमें सामने आया है कि भाजपा को 30.2 प्रतिशत लोग और शिंदे शिवसेना को 16.2 प्रतिशत यानि कुल मुलाकर इस गठबंधन सरकार को 46 .4 फीसदी लोग पसंद करते है.
इसी में आगे कहा गया है कि मुख्यमंत्री के तौर पर एक नाथ शिंदे को 26.1 प्रतिशत और फणनवीस को 23 प्रतिशत लोग पसंद करते हैं यानि कि मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शिंदे अब फणनवीस से आगे है जबकि बीजेपी मानती है कि फणनवीस ही उनके नेता है और वहीं मुख्यमंत्री का चेहरा है .
अब सवाल ये उठ रहा है कि ये सब शिंदे खुद अपने मन से कर रहे हैं या दिल्ली के आका से पूछकर .. क्योकि लगता नही कि शिंदे अपने दम पर ये कर सकते हैं .इस समय शिंदे का पूरा पब्लिसिटी काम तो दिल्ली के इशारे पर आयी एजेंसी ही कर रही है साथ ही शिंदे के ओएसडी आनंद मढिया भी गुजरात के है और शाह के करीबी है तो क्या इसका मतलब है कि बीजेपी की लीडरशिप ही देवेंद्र फणनवीस को छोटा करके दिखाना चाहती है और ये तय हो गया है कि अब शिंदे ही हमेशा चेहरा होंगे. ये सब सवाल महाराष्ट्र बीजेपी के नेताओँ को परेशान कर रहे हैं .
एक चर्चा ये भी है कि दो दिन पहले अखबारों में एक खबर छपवाई गयी थी कि बीजेपी आलाकमान शिंदे गुट के पांच मंत्रियों के काम से खुश नही है और ये मंत्री माल कमा रहे हैं इसलिए उनको हटाने की बात चल रही है .इस पर शिंदे गुट के मंत्री भडक गये थे . असल में शिंदे अपने साथ आये 42 विधायकों में से किसी को नाराज करने का खतरा मोल नहीं लेना चाहते इसलिए कहा जा रहा है कि ये विग्यापन जवाबी हमला है .इस तरह शिवसेना और बीजेपी खुद ही एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं.
एक तीसरी खबर दिलली के गलियारों से आ रही है कि शिंदे चाहते है कि फणनवीस को दिलली बुलाकर केंद्रीय मंत्री बना लिया जाये और वो ये बात दिलली के सामने ऱख चुके है इसलिए ये खींचतान हो रही है लेकिन सवाल ये है कि क्या बीजेपी ऐसा करेगी और फिर फणनवीस नही तो कौन होगा बीजेपी का चेहरा . इस बीच राज्य के अखबारों के सर्वे मे आ रहा है कि शिंदे और फणनवीस की जोड़ी लगातार अपना जनाधार खो रही है और बीजेपी को भी ये गठबंधन रास नही आ रहा है ..जानकारों का मानना है कि अगर अभी लोकसभा चुनाव हुये तो पिछली बार शिवसेना के साथ मिलकर 48 में से 42 सीटें जीतने वाले गठबंधन के बजाय नये शिंदे और बीजेपी गठबंधन को 20 सीट भी नहीं मिलेगी . बीजेपी ये नुकसान सहन नहीं कर सकती है. तो क्या आने वाले दिनों में महाराष्ट्र में अभी और भी कई भूचाल आना बाकी है. मानसून के तेज हवाओँ से तो यही लगता है कि राज्य की राजनीती में बहुत कुछ होने वाला है .
-संदीप सोनवलकर