थेउर का चिंतामणि मंदिर भगवान गणेश को समर्पित हिन्दू मंदिरों में से एक है। यह मंदिर पुणे से 25 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। साथ ही भगवान गणेश के अष्टविनायको में सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। चिंतामणि गणपति मंदिर अष्टविनायक दर्शन यात्रा के दौरान आने वाला पांचवां गणेश मंदिर है। देवता की मूर्ति स्वयंभू (आत्म-उत्पन्न) है और पूर्वमुखी है जिसे पूर्वभिमुख कहा जाता है, जिसकी सूंड बाईं ओर मुड़ी हुई है और उनकी आंखों में सुंदर हीरे जड़े हुए हैं।
थेउर अपने आप में तीन प्रमुख क्षेत्रीय नदियों अर्थात भीमा, मूला और मुठा के संगम पर स्थित एक महत्वपूर्ण पौराणिक स्थान है। चिंतामणि के रूप में भगवान गणेश ऐसे भगवान हैं जो मन की शांति लाते हैं और मन की सभी उलझनों को दूर भगाते हैं।
थेउर को गणपति संप्रदाय के लोगो का तीर्थस्थल माना जाता है और मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण भी गणपति संप्रदाय संत मोर्य गोसावी और उनके वंशज धर्माधर ने करवाया था। लेकिन मंदिर के निर्माण की पुख्ता जानकारी किसी के पास उपलब्ध नही है।
मंदिर में तीन मुख्य उत्सव मनाए जाते है। गणेश प्रकटोत्सव, जो गणेश चतुर्थी के समय मनाया जाता है। यह उत्सव हिन्दू माह भाद्रपद के पहले दिन से सांतवे दिन तक मनाया जाता है, जिनमें से चौथे दिन गणेश चतुर्थी आती है।
इस उत्सव पर मेले का भी आयोजन किया जाता है। इसके बाद भगवान गणेश के जन्मदिन को समर्पित माघोत्सव (गणेश जयंती) समाया जाता है, जो हिंदी माघ महीने के चौथे दिन मनाया जाता है।
इस उत्सव को महीने के पहले से आंठवे दिन तक मनाया जाता है। इस उत्सव पर पर मेले का आयोजन किया जाता है।
इसके बाद मंदिर के प्रसिद्ध संरक्षक माधवराव और उनकी पत्नी रमाबाई को समर्पित कार्तिक महीने में रमा-माधव पुण्योत्सव मनाया जाता है। इन उत्सवो का लाभ लाखो श्रद्धालु लेते है।