राजस्थान में नाराज होकर 19 विधायको के साथ बीजेपी की मेहमाननवाजी कर रहे सचिन पायलट वापस लौट आये .अपनी नई राजनीतिक पहचान खडी करने की उनकी कोशिश नाकाम हो गयी और अब बस सैदधांतिक लड़ाई और नैतिकता की राजनीती करने जैसे बडे शब्द सचिन बोल रहे हैं. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को अब कोई खतरा नहीं है . सचिन का दांव फेल होने का फायदा ये भी होगा कि अब गहलोत बिना किसी परेशानी के राज कर सकेंगे .
क्यों वापस आये सचिन ..
सचिन की वापसी का सबसे बड़ा कारण यही कि सचिन राजनीती में अभी पके नहीं है . महारानी वसुंधरा के बारे में सचिन का अनुमान गलत निकला . सचिन को लगा था कि दिलली से आदेश आयेगा तो महारानी भी सचिन को अपना नेता मान लेगी .लेकिन अब भी राजस्थान में बीजेपी के 48 विधायक महारानी के साथ है ऐसे में दिल्ली आलाकमान ने भी महारानी पर जोर नहीं डाला . वसुंधरा ने साफ कर दिया था कि इस समय सचिन को लेकर भी बीजेपी की सरकार नहीं बन पायेगी ..वैसे भी वसुंधरा अपने बेटे को बढायेगी सचिन को क्यों. महारानी के इंकार करते ही बीजेपी ने हाथ पीछे खींच लिये तो सचिन लौट के बुदधू घर को आये हो
गये .
पार्टी से बढे मानने लगे थे खुद को सचिन की एक बडी गलती ये हो गयी कि वो कांग्रेस से भी बड़ा नेता खुद को मानने लगे थे . वो संगठन महासचिव अविनाश पांडे के खिलाफ शुरु से ही बोलने लगे .यहां तक कि जब चुनाव के बाद सरकार आयी तो सचिन ने पांडे को दरकिनार कर राहुल की दम पर खुद को सीएम समझना शुरु कर दिया . पुराने खिलाडी पांडे ने अशोक गहलोत के साथ मिलकर ऐसा दांव चला कि सचिन को पता नहीं ही चला यहां तक कि राहुल के साथ सचिन के रिशते भी सचिन के बहुत काम नहीं आ सके.
अब क्या होगा सचिन का सचिन अब राजस्थान कांग्रेस में बागी हो गये हैं. गहलोत धीरे धीरे उनके सारे विधायकों को तोड लेगें और सचिन की तरफ से सावधान रहेंगें .राजस्थानी में कहते है जो एक बार तलवार उठाकर वापस ले ले उससे कोई नहीं डरता सचिन का भी यही होगा . अब विधायक भी उनकी बात पर बगावत नहीं करेगें क्योंकि कोई भी नहीं मानेगा की सचिन वापस नहीं आयेंगे , अब सचिन को फिलहाल कई दिन चुपचाप निकालने होगे और गलत का पश्चाताप ही करना होगा .