डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, खांडसा रोड, गुरुग्राम में अपने पुराने दिनों को याद करते हुए प्रसिद्ध समाजसेवी बोधराज सीकरी ने कहा कि मेहनत औऱ लगन ही सफलता की कुंजी है। आज जब मैं सुनता हूँ कि 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक के बावजूद अभिभावक बच्चों से नाराज़ हैं तो मुझे बहुत दुख होता है। मैंने इसी स्कूल से मैट्रिक मात्र 47 प्रतिशत अंक से पास किया था जिस पर खुश होकर मेरी मां ने पूरे मोहल्ले को मिठाई बाँटी थी। आज 1000 से ज्यादा लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देने वाले समाजसेवी बोधराज सीकरी ने बच्चों को उत्साहित करते हुए कहा कि आप सब कुछ हासिल कर सकते हैं, आवश्यकता केवल अर्जुन की तरह मछली की आंख देखने की है। अगर कभी कुछ नम्बर कम भी आयें तो हतोत्साहित हुए बिना बस मेहनत करते जायें।
बोधराज सीकरी ने कहा कि विज्ञान के विधार्थी विज्ञान को पांच चरणों में सीखते हैं। विज्ञान क्या है, यदि आपने अपने अध्यापक को विधिवत ढंग से प्रणाम किया तो वह भी ज्ञान और विज्ञान के समावेश के कारण अपने आप में ज्ञानार्जन है। जब आप कोई नई रचना करते हैं तो वह भी विज्ञान है। विज्ञान का स्टूडेंट पहले क्या “स्टडी , स्टडी फॉर सेल्फ, रिव्यु , एनालिसिस , एनालिटिकल एनालिसिस” करेगा। बच्चों को उत्साहित करते हुए बोधराज सीकरी ने कहा कि ऐसे ही आपको अपने विचारों को पांच चरणों में निकालना चाहिए, पहला है अध्ययन, विषय का पहले अध्ययन करो , उसके बाद स्वाध्यान , समीक्षा , मंथन और अंतिम स्टेज होता है, चिंतन। चिंतन चित्त से होता है, क्योंकि चित्त की अवस्था मन से गहरी है। अगर जीवन में आपको कोई भी निर्णय लेना है तो इन पांच चरणों से आपको गुजरना ही होगा। आजकल हर काम मेहनत से हो रहा है आप भी मेहनत करो।
गुरु शिष्य परम्परा के लुप्त होने पर दुख जाहिर करते हुए बोधराज सीकरी ने कहा कि अगर आप गुरु का सम्मान करेंगे तो सफलता निश्चित है। डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, खांडसा रोड के प्रधानाचार्य ने यहाँ के पूर्व छात्र बोधराज सीकरी का सम्मान करते हुए उनके द्वारा दो हजार पुस्तिका के वितरण पर उन्हें धन्यवाद प्रेषित किया। इस अवसर पर यहाँ के पूर्व अध्यापक पीएन मोंगिया एवं पूर्व छात्र श्याम स्वीट्स के संस्थापक श्याम जी और दिल्ली प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त गोसाई जी भी मौजूद रहे।