केंद्र सरकार ने पीएम-सूर्य घर : मुफ्त बिजली योजना के तहत ‘मॉडल सौर गांव’ के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा अधिसूचित योजना के दिशा-निर्देशों में पूरे भारत में प्रत्येक जिले में एक मॉडल सौर गांव बनाने पर जोर दिया गया है।
मंत्रालय ने कहा है की इसका उद्देश्य सौर ऊर्जा को अपनाने को बढ़ावा देना और ग्रामीण समुदायों को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भर बनाना है, “इस कार्यक्रम के लिए कुल 800 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय आवंटित किया गया है, जिसमें प्रत्येक चयनित मॉडल सौर गांव के लिए 1 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे।” मुफ्त बिजली योजना का उद्देश्य सौर छत क्षमता की हिस्सेदारी बढ़ाना और आवासीय घरों को अपनी बिजली पैदा करने के लिए सशक्त बनाना है।
इस योजना के लिए चयनित होने के लिए, किसी गांव की जनसंख्या 5,000 (या विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 2,000) से अधिक होनी चाहिए। चयन प्रक्रिया में एक प्रतिस्पर्धी मोड शामिल है, जहां गांवों का मूल्यांकन जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) द्वारा संभावित उम्मीदवार की घोषणा के छह महीने बाद स्थापित उनकी समग्र वितरित अक्षय ऊर्जा क्षमता के आधार पर किया जाता है। इन गांवों की पहचान के बाद, प्रतिस्पर्धा अवधि शुरू होगी, और योजना के संभावित लाभार्थियों तक घर-घर पहुंचने सहित एक व्यापक लामबंदी अभ्यास होगा। यह इन गांवों में संबंधित पंचायतों के नेतृत्व में किया जाएगा।
मंत्रालय ने कहा, “मूल्यांकन अभ्यास के अनुसार अपने राजस्व सीमाओं के भीतर अधिकतम समग्र अक्षय ऊर्जा क्षमता वाले गांव को जिले के लिए मॉडल सौर गांव के रूप में चुना जाएगा।” एक बार चुने जाने के बाद, राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी मॉडल सौर गांव कार्यान्वयन एजेंसी (MSVIA) के रूप में कार्य करेगी। मंत्रालय ने कहा कि इसके बाद यह गांव को सौर ऊर्जा संचालित गांव में बदलने के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट विकसित करेगा।