रीता बहुगुणा जोशी की तरफ मुखर हैं इलाहाबादी
जिले का नाम योगी सरकार ने भले ही इलाहाबाद से प्रयागराज कर दिया हो लेकिन 52वीं लोकसभा अभी भी इलाहाबाद के नाम सेही जानी जाती है। ऐतिहासिक दृष्टि से दो-दो प्रधानमंत्रीयों लालबहादुर शास्त्री एंव वीपी सिंह ने इसका प्रतिनित्व किया है। कभी समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र और भाजपा की त्रिमूर्ति में शुमार डा मुरली मनोहर जोशी की कर्मभूमि रह चुकी इलाहाबाद सीट के चुनावी किस्से बहुत दिलचस्प रहे हैं। एक दौर में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हेमवन्ती नन्दन बहुगुणा की राजनैतिक तपस्थली भी यही इलाहाबाद रहीं है, जिसमें सेंध सीनेस्टार अमिताभ बच्चन ने 1984 के लोकसभा चुनाव में बहुगुणा जी को हरा कर लगाया। ये बात अलग है कि आज भी इस क्षेत्र में कई ऐसे पुराने कार्यकर्ता परिवार हैं, जिनका बहुगुणा परिवार से पीढ़ियों का सम्बन्ध है। जो कहीं ना कहीं आज भी रीता बहुगुणा जोशी से सीधे जुड़े है। यहीं कारण है जब 1999 आमचुनाव में कारगिल विजय के लहर के बावजूद भी रीता जोशी को एक लाख तैतीस हजार से अधिक वोट मिले थे।
52वीं लोकसभा के अन्तर्गत बारा, मेजा, करछना, कोरावं और इलाहाबाद दक्षिणी पाँच विधानसभा आती है जिसमें सपा के पास केवल करछना ही हैं शेष चारों विधानसभा सीटें भाजपा के पास हैं। अगर पिछले लोकसभा चुनावों की बात करें तो मोदी लहर पर सवार होने के कारण श्यामाचरण गुप्ता3,13,772 वोटों के साथ विजयी रहे थे जबकि सपा के रेवतीरमण सिंह 2,51,763 वोटों के साथ दुसरे स्थान पर रहे थे तीसरे स्थान पर उस समय की बसपा नेत्री केशरी देवी पटेल 1,62,073 वोटों के साथ रहीं थी जबकी अभी भाजपा सरकार के कद्दावर मत्रीं नन्द गोपाल गुप्ता उर्फ नन्दी काँग्रेस के टिकट पर 1,02,453 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे थे। अब केसरी देवी पटेल भाजपा के टिकट पर फुलपुर से चुनाव लड़ रही है। इसलिए इस बार का चुनाव भाजपा के पक्ष में ज्यादा है इसका एक और बड़ा कारण इलाहाबाद सीट से विपक्षियों के पास बड़े कद का उम्मीदवार ना होना। सपा बसपागठबंधन के प्रत्याशी राजेंद्र प्रताप सिंह पटेल के पास लम्बा राजनीतिक अनुभव है किन्तु चुनाव के मसले में वो मात्र ब्लाक प्रमुख ही रहे हैं साथ ही उनका इलाहाबाद शहरी क्षेत्र से ज्यादा जुड़ाव भी नहीं रहा है। हालाकि शहर में सपा का स्थानीय कार्यकर्ता इसबात से अलग राय रखता है। वहींआम शहरी अपने को रीता जोशी जी से सीधा जुड़ा महसूस करता है क्योकि वो इलाहाबाद की 1995 से 2000 तक इलाहाबाद की महापौर रहीं है साथ ही नैनी औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना का श्रेय उनके पिता हेमवन्ती नन्दन बहुगुणा को जाता है।
प्रयागराज कुम्भ के सफल आयोजन और उस दौरान हुए शहर के निर्माण कार्यों का श्रेय भी भाजपा के पक्ष में जा रहा है, जिसकी चर्चा हर चौराहे औऱ नुक्कड़ पर हो रही है। जिले की बेरोजगारी, कोरावं व मेजा की अवसंरचना एंव पेयजल समस्या एंव राष्ट्रीय सुरक्षा इस चुनाव में मुद्दे है। कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ रहे पूर्व भाजपा नेता योगेश शुक्ला ने कुछ भाजपाईयों का हृदय परिवर्तन करा दिया तो काँग्रेस, बसपा एंव सपा के कई बडें जनाधार वाले नेताओं ने भी रीता जोशी के प्रभाव में भाजपा को दामन थामा है। अब इसका कितना जमीन पर असर होगा वो तो 23 मई को परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा लेकिन अब जब कि मतदान को मात्र नव दिन रह गये है ऐसे में गाँव के चौपालों से लेकर शहरी नुक्कड़ एंव चाय के चौराहों परइलाहाबादी मतदाताओं ने रीता जोशी के पक्ष में मुखरता दिखाना शुरु कर दिया है।
मुनि शंकर
(लेखक, स्वतन्त्र पत्रकार है, जो मेजा,प्रयागराज के ही रहने वाले है)