मुंबई की 6 लोकसभा सीटों पर इस बार सबसे ज्यादा नजर मराठी वोटों पर है क्योकि अंदरूनी तौर पर खबर है कि
मराठी वोट बैंक किसी का भी गणित बिगाड सकते हैं.
चुनाव के बाद news mantra ने लोगों से बात की तो पता लगा कि 2009 में मनसे के कारण जो फायदा
कांग्रेस को हुआ था वही नुकसान इस बार बीजेपी शिवसेना का हो सकता है.
2009 के चुनाव में मनसे के नेताओं ने भारी वोट पाये थे और शिवेसना बीजेपी के वोट काटे थे .जिसका फायदा
जमकर कांग्रेस को मिला था . सन 2014 में राज ठाकरे ने जोश मे आकर मोदी pm modi का समर्थन कर दिया था जिसका
फायदा शिवसेना shivsena बीजेपी को तो मिला लेकिन राज की पार्टी नीचे आ गयी . 2009 में उनके 13 विधायक थे
जो 2014 में केवल 1 बचे .
दरअसल राज ठाकरे raj thakre का वोटर शिवसेना और मोदी दोनों का विरोधी है ये बात राज को समझ मे आ गयी है इसलिए
खुलकर मोदी का विरोध कर रहे है. ये बात उनको शरद पवार ने समझायी कि अगर खुद को बचाना है तो मोदी को
हटाना होगा .शिवसेना भाजपा कमजोर होगी तभी उनकी दाल गलेगी.
अब कांग्रेसी नेताओं को लगता है कि एक तरफ मराठी वोटर नोटबंदी से नाराज हैऔर शिवसेना ने लगातार पहले तो मोदी की जमकर
निंदा की अब तारीफ कर रहे है ये बात लोगो को पच नही रही इसलिए राज ठाकरे की अपील पर मराठी वोटर बंट गया है वो शिवसेना के
साथ नही है .
बोरीवली के गोविंद जाधव कहते है वो बालासाहेब के भक्त है जो कह दिया सो कह दिया फिर ये क्या कि पहले बीजेपी को गाली दी अब
उनको गले लगाया .इस बार मेरा वोट तो मराठी को ही जायेगा जो पार्टी मराठी को टिकट देगी उसको ही वोट. इसका मतलब समझे
आप इस लोकसभा सीट पर उर्मिला ने आपली मुलगी का नारा दिया और मराठी मे ही भाषण भी दिया .यहां पर बीजेपी से गोपाल शेटटी फिर
मैदान में है जो शिवसैनिको को पसंद नही आ रहे .. करीब 15 लाख 60 हजार मतदाताओं मे से 5 लाख से ज्यादा मराठीहै . मनसे को
2009 में 1लाख 47 हजार वोट मिले थे .अगर ये वोट कांग्रेस की तरफ पलट गये तो उर्मिला की लाटरी खुल सकती है
यही हाल ईशान्य मुंबई की सीट पर हुआ है जहां पर बीजेपी ने किरीट सौमेया की टिकट काटकर मनोज कोटक को टिकट दे दी .
यहां पर एनसीपी से संजय दीना पाटिल भी मराठी बनाम गुजराती की लडाई करने मे कामयाब हो गये.
संजय निरुपम ने मेहनत तो बहुत की और बूढे हो रहे गजानन कीर्तिकर को मुंबई उततर पशिचम में हराने की कोशिश भी है . पर
पता नही यहां क्या होगा लेकिन प्रिया दतत को जरुर वोट बंटवारे का फायदा मिल सकता है क्योकि उनके पक्ष में जमकर
माइनारिटी ने वोट किया है.
मिलिंद देवडा और एकनाथ गायकवाड भी माइनारिटी और मनसे के भरोसे जीत का दावा कर रहे है . मिलिंद को उघोपतियों और
गुजराती का वोट भी मिला यदि मनसे के वोट मिलिंद को मिले तो उनकी राह आसान हो सकती है. कुल मिलाकर तीनों M मिलकर
मुंबई का खेल बिगाड सकते हैं.