कांग्रेस के सबसे बुरे दिन आ गए
कांग्रेस के ये सबसे बुरे दिन आ गये है। पिछली बार 2014 में सरकार के एंटी इनकंबेंसी का बहाना था लेकिन अब तो मुह दिखाने लायक भी नही रहे। सीधा सवाल राहुल गांधी की लीडरशिप और कांग्रेस की जरूरत का है। कांग्रेस पिछली बार चुनाव हारी थी इस बार विचारधारा की लड़ाई ही हर गई।
अब राहुल गांधी को हटाकर प्रियंका को लाने की मांग भी बेमानी है क्योंकि प्रियंका को यूपी में उतरकर भी फायदा नही हुआ
क्या गलती हुई
राहल गांधी की सबसे बड़ी गलती जमीनी हालात समझने में हुई गठबंधन के बजाय कांग्रेस वोटकटवा बन गई राहुल को बताया गया पार्टी अपने दम पर खड़ी होगीं इसलिए कई जगह गठबंधन नही किया सबसे बड़ा नुकसान up में हुआ ।न खुदा ही मिला न विसाले सनम
राष्ट्रवाद पर नाकाम
मोदी और अमित शाह राष्टवाद को घर घर पहुंचाने में कामयाब रहे जबकि राहुल राफेल पर अटके रहे। राफेल का मुद्दा समझा नही पाए घूस साबित नही हुए ।पुलवामाऔर बालाकोट पर देश मोदी के साथ रहा।
हिन्दू विरोधी कांग्रेस
कॉन्ग्रेस हिन्दू विरोधी और प्रो मुस्लिम छवि का आरोप हटा नही पाई। मोदी हिंदू समर्थक बने रहे कांग्रेस के नेता मुस्लिम समाज को आसान वोट मानते रहे तीन तलाक तक पर कांग्रेस बंट गई। मोदी का प्रज्ञा से लेकर केदारनाथ तक का हिन्दू चेहरा साफ रहा उसका फायदा मिला
गुटों में कांग्रेस
सूत न कपास जुलाहों में झड़प
कांग्रेस के नेताओ ने हार से कुछ नही सीख 2014 से 19 आकर भी एक दूसरे के खिलाफ़ लगे है। मध्यप्रदेश में सिंधिया कमलनाथ ,राजस्थान में गहलोत पॉयलट ,महाराष्ट्र में अशोक चव्हाण के खिलाफ सब,मुमबई में निरूपम और देवड़ा,कर्नाटक में सिद्धारमैया के खिलाफ कहा तक सुधार हो। राहूल गुटों को समझने में नाकाम रहे
बहुसंख्यक वाद की राजनीति से साफ है कांग्रेस को वापसी करने में बहुत कुछ करना होगा सबसे पहले तो मानना होगा गलती हो गई
संदीप सौंनवलकर