Amrit Ratna Samman 2024: शिवराज सिंह चौहान ने महाराष्ट्र की लाडली बहन योजना से लेकर मध्य प्रदेश की लाड़ली लक्ष्मी योजना को लेकर खुलकर अपनी बात कही. न्यूज18 इंडिया के कार्यक्रम अमृत रत्न सम्मान के दौरान उन्होंने साफ किया इसी योजना के कारण बहनों ने प्यार और सम्मान से उन्हें मामा कहना शुरू कर दिया.
नई दिल्ली. शिवराज सिंह चौहान ने करीब डेढ़ दशक तक मध्य प्रदेश के सीएम के तौर पर काम किया. इस दौरान उनकी लाड़ली लक्ष्मी योजना सबसे ज्यादा चर्चाओं में रही. न्यूज18 इंडिया के कार्यक्रम अमृत रत्न सम्मान समारोह के दौरान मौजूदा वक्त में कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने खुद इस बात का खुलाया किया कि आखिर उन्होंने क्यों इस योजना की शुरुआत की. योजना आने के बाद प्रदेश में क्या बदलाव आया. उनका कहना है ये लाड़ली लक्ष्मी योजना ही है जिसने उन्हें बेटियों, बहनों और माताओं का मामा बना दिया. आज हर कोई उन्हें मामा कहकर पुकारता है.
शिवराज सिंह चौहान ने अपनी बात की शुरुआत करते हुए पहले महाराष्ट्र की लाडली बहन योजना पर बात की. उन्होंने कहा कि लाडली बहन योजना वोट लेने की योजना नहीं है. ये एक सच्चाई है. आज भी महिलाओं की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि वो छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाती थी. छोटी-छोटी जरूरतों के लिए हाथ फैलाना पड़ता था. मन में यह विचार आया कि काश हर बहन का अपना एक खाता हो और उस खाते में हर महीने पैसे जाएं. तो इनकी जिंदगी भी बदल जाएगी और इस विचार से पैदा हुई लाडली बहन योजना.
दिल्ली में बैठे लोगों के लिए…
शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा कि ये केवल वोट लेने की योजना नहीं है, ये जिंदगी बदलने की योजना है. कई बहनों ने हमें कहा कि लाडली बहन योजना आने के बाद घर में हमारी इज्जत बढ़ गई है. कई ने कहा सास इज्जत देने लगी है. पति की नजरों में इज्जत बढ़ गई. दिल्ली में बैठे लोगों के लिए हजार डेढ़ हजार रुपये मायने ना रखते हों लेकिन गांव में महिलाओं के लिए ये बहुत कुछ हैं.
लाड़ली लक्ष्मी योजना पर क्या बोले?
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि लाडली लक्ष्मी योजना से लाडली योजना तक, योजनाएं ऐसी बनी जिसने लोगों की जरूरतों को पूरा किया. लाडली लक्ष्मी बेटियों ने मुझे मामा कहना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे बेटों ने भी शुरू किया, बाद में बुढ़े भी मुझे मामा कहने लगे लेकिन वहां से लाडली बहना तक का सफर स्नेह और प्रेम का सफर था. मैं मध्यप्रदेश में किसी भी कार्यक्रम की शुरुआत करता था तो बेटियों के पैर धोकर और उनकी पूछा करके करता था. यह एक प्रतीक था कि मां, बहन और बेटी का सम्मान करो.