पीएम मोदी भले ही परिवारवाद पर सवाल उठा रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि गांधी परिवार को इस पर घेरे लेकिन महाराष्ट्र में ऐसा कोई दल नहीं बचा है जो परिवारवादी नही हो गया है . बीजेपी . शिवसेना शिंदे .एनसीपी अजित पवार .
कांग्रेस .शिवसेना ठाकरे और एनसीपी शऱद पवार सब के सब बच अपनी विरासत बचाने और बच्चों का कैरियर सेट करने मे लगे हैं. मुंबई से लेकर रामटेक तक हर जगह बस नेताओं के बच्चों की दावेदारी है आम कार्यकर्ता समझ ही नही पा रहा है कि उसके हिस्से में क्या आ रहा है .
बात मुंबई से शुरु करते हैं. पहले तो दक्षिण मुंबई के सांसद रहे और अब एकनाथ शिंदे गुट में चले गये मिलिंद देवड़ा ने राज्यसभा सीट हासिल कर ली .वो केन्द्रीय मंत्री मुरली देवड़ा के बेटे हैं. वो तो लोकसभा सीट पर भी दावेदारी ठोक रहे हैं लेकिन बीजेपी ये सीट राज ठाकरे की मनसे को दे रही है .पास में दक्षिण मध्य मुंबई लोकसभा सीट पर भी एकनाथ गायकवाड की बेटी विधायक है और लोकसभा की सीट पर दावेदारी कर रही है वहां पर शिवसेना ने अनिल देसाई को टिकट दे दिया है. पिता सुनील दत्त की विरासत संभाल रही उत्तत मध्य की सीट पर इस बार प्रिया दत्त नहीं है तो वहीं प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन जो सांसद भी है उनका टिकट कट सकता है.
उततर पश्चिम सीट पर तो पिता गजानन कीर्तिकर शिवसेना शिंदे के सांसद है तो बेटा अमोल कीर्तिकर को शिवसेना ठाकरे ने उम्मीदवार बना दिया है .इससे बढिया परिवारवाद तो कहीं दिख ही नहीं रहा . उत्तर मुंबई की सीट पर बीजेपी के कोषाध्यक्ष रहे वेदप्रकाश गोयल के बेटे और मंत्री पीयूष गोयल को टिकट दे दी गयी है. पास में कल्याण में खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ही सांसद है.
रायगढ में एनसीपी अजित पवार के सुनील तटकरे सांसद है तो उनकी बेटी अदिती तटकरे मंत्री है . सिधुदुर्ग रत्नागिरी में नारायण राणे केंद्रीय मंत्री है तो उनका बेटा नितेश राणे विघायक है . जलगांव में बहू रक्षा खडसे बीजेपी से सांसद है तो ससुर एकनाथ खडसे एनसीपी शरद पवार से ताल ठोक सकते हैं. नांदेड़ में शंकरराव चव्हाण के परिवार की ही चलती थी लेकिन अशोक चव्हाण के बीजेपी जाने से अब प्रताप चिखलीकर को बीजेपी ने फिर से टिकट दे दी है लेकिन चव्हाण अपनी बेटी के लिए विधानसभा की अपनी सीट भोकर से तैयारी कर रहे है .
अहमदनगर से राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय पाटिल को टिकट दे दी गयी है तो अजित पवार एक तरफ मावल से अपने बेटे पार्थ पवार को टिकट देना चाह रहे है वहीं उनकी पत्नी अपनी ही ननद सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव लड़ रही है . पवार परिवार की ये लड़ाई भी परिवार वाद का एक बड़ा उदाहरण है .
विदर्भ में कांग्रेस के नेता अपने बेटों के लिए लड़ रहे है .मंत्री रहे नितिन राउत अपने बेटे कुणाल राउत को रामटेक से टिकट दिला रहे हैं तो विपक्ष के नेता विजय वडडेटीवार अपनी बेटी को चंद्रपुर से और पूर्व मंत्री विलास मोत्तेमवार अपने बेटे विशाल को नागपुर से टिकट दिलवा रहे हैं. कुल मिलाकर कोई पार्टी पीछे नही है .
देश भर में भले परिवारवाद मुददा हो लेकिन महाराष्ट्र में ये कोई मुददा नहीं बनता सारे नेता ये मानते है कि राजनीतिक विरासत तो उनके बेटे ही संभालेंगे और वो इसके लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.
-संदीप सोनवलकर