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प्रेम का प्रतीक है तुलसी विवाह

तुलसी विवाह

🌱 शास्त्रों में तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। वैसे तो साल भर ही तुलसी जी की पूजा होती है लेकिन कार्तिक मास में किया गया तुलसी पूजन और तुलसी के सामने दीपदान मनचांछित फल प्रदान करने वाला और भगवान विष्णु की कृपा दिलाने वाला होता है। यदि आप कार्तिक माह के किसी भी दिन भगवान श्रीहरि को तुलसी चढ़ा देते हैं तो इसका फल गोदान के फल से कई गुना अधिक हो जाता है।

🌱 शास्त्रों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन तुलसी विवाह कराने की परंपरा बेहद प्राचीन है। कुछ लोग एकादशी के दिन तुलसी विवाह कराते हैं तो वहीं कुछ लोग द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह कराते हैं। तुलसी विवाह के लिए देव उठने का यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस साल तुलसी विवाह गुरुवार के शुभ संयोग में 26 नवंबर को किया जाएगा।

तुलसी विवाह की तिथि

26 नवंबर 2020ए दिन गुरूवार

द्वादशी तिथि प्रारंभ

26 नवंबर 2020 प्रातरूकाल 05:10 बजे

द्वादशी तिथि समाप्त

27 नवंबर 2020ए प्रातरूकाल 07:46 बजे

तुलसी विवाह की विधि

🌱 देव उठनी एकादशी या फिर द्वादशी इन दोनों तिथियों में से आप जिस दिन भी तुलसी विवाह कराएं उस दिन सबसे पहले प्रातरू स्नान के बाद व्रत का संकल्प करें। और घर के आंगन में तुलसी के पौधे के पास गन्ने का मंडप बनाकर उसे तोरण से सजाएं।

🌱 इसके बाद तुलसी के पौधे को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं। और उन्हें श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। और तुलसी जी के पौधे के पास भगवान विष्णु जी के शालिग्राम स्वरूप को रखें और दूध व हल्दी उन्हें समर्पित करें।

🌱 तुलसी विवाह के समय मंगलाष्टक का पाठ भी जरुर करें। और दोनों के समक्ष घी का दीपक जलाकर तुलसी विवाह की कथा पढ़े या सुनें। इसके बाद घर में जो भी पुरूष मौजूद हो वो शालिग्राम जी को हाथों में लेकर तुलसी जी की सात परिक्रमा करें। और फिर शालिग्राम भगवान को तुलसी जी के बायीं ओर रख दें। अंत में आरती करके और भगवान के चरणों का स्पर्श करके सुख.समृद्धि की कामना करते हुए तुलसी विवाह संपन्न करें।

मंगलाष्टक से करें तुलसी विवाह

🌱 तुलसी विवाह हिंदू रीति.रिवाज़ों के अनुसार संपन्न किया जाता है। जिसमें मंगलाष्टक के मंत्रों का उच्चारण भी किया जाता है। भगवान शालीग्राम व तुलसी के विवाह की घोषणा के पश्चात मंगलाष्टक मंत्र बोले जाते हैं। मान्यता है कि इन मंत्रों से सभी शुभ शक्तियां वातावरण को शुद्धए मंगलमय व सकारात्मक बनाती हैं।

जिस घर में बेटी नहीं उनके लिए बेहत फलदायी है तुसली विवाह

🌱 तुलसी विवाह के लिए कार्तिक शुक्लपक्ष की एकादशी का दिन शुभ है। इस दिन भगवान शालिग्राम के साथ तुलसी जी का विवाह उत्सव मनाया जाता है। जिस घर में बेटियां नहीं हैं। वे दंपत्ति तुलसी विवाह करके कन्यादान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। विवाह आयोजन बिल्कुल वैसा ही होता हैए जैसे हिन्दू रीति.रिवाज से सामान्य वर.वधु का विवाह किया जाता है।

तुलसी का औषधीय एवं पौराणिक महत्व

🌱 तुलसी स्वास्थ्य के दृष्टि से बड़े ही काम की चीज हैं। चाय में तुलसी की दो पत्तियां चाय का जायका बढ़ा ही देती हैं साथ ही शरीर को ऊर्जावान और बिमारियों से दूर रखने में भी सहायता करती हैं।

🌱 इन्हीं गुणों के कारण आर्युवेदिक दवाओं में तुलसी का उपयोग किया जाता है। तुलसी का केवल स्वास्थ्य के लिहाज से नहीं बल्कि धार्मिक रुप से भी बहुत महत्व है। एक और तुलसी जहां भगवान विष्णु की प्रिया हैं तो वहीं भगवान श्री गणेश से उनका छत्तीस का आंकड़ा है। श्री गणेश की पूजा में किसी भी रूप में तुसली का उपयोग वर्जित है।

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ज्योतिषाचार्य :: श्री रमेश बी जोशी (शास्त्री)
सम्पर्क :9869513936

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