गणपति बप्पा मोरया
महाराष्ट्र सहित पूरे भारत में गणेश चतुर्थी की धूम है। आरती से लेकर मंगलगायन किया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश का जन्म हुआ था। इस त्योहार की धूम सबसे अधिक महाराष्ट्र में देखने को मिलती है। हालांकि इस बार कोरोना के मद्देनजर सतर्कता बरती जा रही है।
कोरोना काल के चलते सरकार ने बडे गणेश मंडलों पर रोक लगा दी है और उनको अधिकतम चार फीट की प्रतिमा रखने ही कहा है . साथ ही बडे पंडाल नहीं लगाने और लोगों की भीड नहीं करने की भी अपील की है.इसलिए मुंबई में इस बार गणेशोत्सव का धूम धडाका नजर नहीं आ रहा है लेकिन लोग भक्ति भाव से जरुर अपने अपने घरो में गणेश उत्सव मना रहे है और विघनहर्ता से कोरोना का विघ्न दूर करने की मन्नत मांग रहे हैं .
आज सुबह किए अपने ट्वीट में पीएम ने लिखा, ‘आप सभी को गणेश चतुर्थी की बहुत-बहुत बधाई। गणपति बाप्पा मोरया! गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर शुभकामनाएं. भगवान श्री गणेश का आशीर्वाद हमेशा हम पर बना रहे. हर तरफ खुशियां और समृद्धि हो.’
आज से करीब 100 से पहले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने ही गणेशोत्सव की नींव रखी थी. इस त्योहार को मनाने के पीछे का उद्देशय अंग्रेजों के खिलाफ भारतीयों को एकजुट करना था. आज जिस गणेशोत्सव को लोग इतनी धूम-धाम से मनाते हैं, उस पर्व को शुरू करने में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.
धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार श्री वेद व्यास ने गणेश चतुर्थी से महाभारत कथा श्री गणेश को लगातार 10 दिन तक सुनाई थी जिसे श्री गणेश जी ने अक्षरश: लिखा था. 10 दिन बाद जब वेद व्यास जी ने आंखें खोली तो पाया कि 10 दिन की अथक मेहनत के बाद गणेश जी का तापमान बहुत बढ़ गया है. तुरंत वेद व्यास जी ने गणेश जी को निकट के सरोवर में ले जाकर ठंडे पानी से स्नान कराया था. इसलिए गणेश स्थापना कर चतुर्दशी को उनको शीतल किया जाता है
सरकार की अपील पर मुंबई में इस बार लाल बाग का राजा और गणेश गल्ली जैसे विशाल गणपति मंडलों का अत्यंत छोटा रुप कर दिया गया है ताकि परंपरा बनी रहे . इसी तरह सिदधी विनायक मंदिर में भी लोगों को ओनलाईन दर्शन का इंतजाम किया गया है.