newsmantra.in l Latest news on Politics, World, Bollywood, Sports, Delhi, Jammu & Kashmir, Trending news | News Mantra
News Mantra: Exclusive

ऑनलाइन शिक्षा और ग्रामीण क्षेत्र में इसकी स्थिति

कोरोना के कहर से शहर और गाँव परेशान रहा है। गाँव से शहर जाकर नौकरी और मजदूरी करने वाले लोग कोरोना काल में अपने-अपने गाँव जाने लगे, तब इस महामारी के दौरान जो सबसे बड़ी समस्या थी वह रोजगार की थी। रोजगार एक ऐसा मुद्दा है जिस पर राज्य से लेकर केंद्र सरकार का जबाव गोलमोल ही होता है। इस जलते हुये सवाल का एक ही जवाब होता है की विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीण लोगों को मिल रहा है। लेकिन रोजगार के सवाल पर कोई बात नहीं होती। कुछ ऐसा ही बच्चों के ‘ऑनलाइन शिक्षा’ को लेकर भी है, विशेष रूप से प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा को लेकर विभिन्न रिसर्च से जो बात सामने आ रही है उसमें ऑनलाइन शिक्षा की समस्याओं की ओर ध्यानाकर्षित किया गया है।

इसमें कोई संदेह नहीं है की महामारी के दौर में भारत में ऑनलाइन शिक्षा को एक नया आयाम मिला है। देश की शिक्षा व्यवस्था इस वक्त ऑनलाइन मोड को व्यापक तरीके से अपना रही है। देशभर के प्राथमिक, माध्यमिक या उच्च शैक्षणिक संस्थान एक साल से अधिक समय तक बंद ही रहे हैं। हालांकि अब राज्य और स्थानीय प्रशासन शिक्षण संस्थानों को फिर से खोलने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। पर यह भी सच है कि महामारी ने स्कूल प्रबंधकों, कोचिंग संचालकों, अस्थायी शिक्षकों और कर्मचारियों के जीवन को बुरे तौर पर प्रभावित किया है। और इसमें सबसे ज्यादा बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुयी है। साथ ही, करोड़ों विद्यार्थियों का भविष्य भी अभी असमंजस की स्थिति में ही है।

ऑनलाइन शिक्षा के लिए बिजली के साथ-साथ स्मार्टफोन या कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा का उपलब्ध होना अनिवार्य है, बिना इसके ऐसी शिक्षा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। लेकिन इस मामले में हमारी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। 2017-18 के राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण रिपोर्ट की मानें तो देश के केवल चौबीस फीसद परिवारों के पास ही इंटरनेट की सुविधा है। ऐसे में कैसे ऑनलाइन शिक्षा समूचे देश के बच्चों को निर्बाध रूप से उपलब्ध होगी, यह बड़ा सवाल है।

भारत में, पूरी दुनिया के मुकाबले सबसे सस्ता इंटरनेट पैक है, वहीं यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि भारत की दो-तिहाई जनता इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करती है। इसकी जानकारी इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में दी  है। कुछ अन्य सर्वे में भी सामने आया है कि अन्य देशों की तुलना में भारत में इंटरनेट प्रयोग करने वालों की संख्या कम है और यह अंतर लगभग दोगुने के आसपास सामने आ रही है। एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि देश में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों के लोग इंटरनेट का उतना प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं, जितने की अनुमान लगाया जाता है। यह तो इंटरनेट प्रयोग करने की बात है।

अब यह मामला रोजगार से कैसे जुड़ा है इसपर भी ध्यान देने की जरूरत है। यदि गाँव में रहने वाले व्यक्ति के पास कोई रोजगार नहीं है और वह सिर्फ दो जून की रोटी ही जुटा पाता है तो फिर वह अपने मोबाइल में डाटा पैक कहाँ से डलवाएगा। दूसरा यह है की अभी भी करोड़ो घरों में सिर्फ एक मोबाइल है और वह भी घर के बड़े सदस्यों द्वारा उपयोग किया जाता है तो फिर उस घर में पढ़ने वाले बच्चों को ऑनलाइन क्लास का लाभ कैसे मिल सकता है? इस पर गौर करने वाली बात है, बेशक हम ऑनलाइन शिक्षा की बात कर रहे हैं लेकिन हमें मुलभूत सुविधाओं के बारे में भी बात करनी होगी।

कोरोना के दौरान आपने ऐसी कई खबरें देखीं और सुनी होंगी की, बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के खातिर कई परिवारों ने अपने पालतू पशुओं को बेच दिया और कई ऐसे लोग भी थे जिन्होंने अपनी जमीन तक गिरवी रख दी। अब जब भोजन जुटाने के लिए एक व्यक्ति जद्दोजहत कर रहा है तो साथ ही वह एक स्मार्टफोन और डाटा जुटाने के लिए कितने समझौते कर रहा है। फिर ऑनलाइन शिक्षा का यह प्रयोग उन बच्चों को कैसे लाभ पहुंचाएगा जिनके परिवार की आर्थिक हालत और हालात सही नहीं हैं ? आप अपने आस-पास ऐसे परिवारों को देख सकते हैं इसके लिए किसी सर्वे की जरूरत नहीं है। अभी हाल ही में गोरखपुर की एक छात्रा का विडियो वायरल हुआ था जिसमें वह बाढ़ के कारण खुद नाव चला कर अपने गाँव से मुख्य मार्ग तक जाती थी और फिर वहाँ से अन्य साधन के माध्यम से स्कूल पहुँचती थी। क्योंकि उसके परिवार में स्मार्टफोन नहीं था की वह ऑनलाइन क्लास ले सके। चूंकि उसे पढ़ना है तो उसके लिए वह स्कूल जाने के लिए ऐसा प्रयास कर रही थी। आंशिक रूप से स्कूल खुलने के बाद जब यह समस्या है तो फिर पूरे लॉकडाउन में वह कैसे पढ़ पायी होगी? यह एक गंभीर सवाल है।

यदि शहर में हमें सभी सुविधाएं मिल रही हैं तो यह जरूरी नहीं की यह सभी सुविधाएं गाँव में भी मिल रही हैं। ऐसे समय में ऑनलाइन शिक्षा जरूरी है क्योंकि इसकी निरतंरता बनाए रखने से बच्चों की शिक्षा में कोई व्यवधान नहीं आएगा, लेकिन क्या इस व्यवस्था से हम सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा मुहैया करा पा रहे हैं ?

एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश के महज 13.59, मेघालय के 13.63, पश्चिम बंगाल के 13.87, बिहार के 14.19 और असम के 15% स्कूलों में ही कंप्यूटर की सुविधा उपलब्ध है। अगर बात करें स्कूलों में इंटरनेट उपलब्धता की, तो इस मामले में स्थिति और भी बुरी है। देश के केवल 22% स्कूलों यानी पंद्रह लाख स्कूलों में से केवल तीन लाख तीस हजार स्कूलों में ही इंटरनेट की सुविधा है। केरल और दिल्ली के स्कूलों में क्रमश: 88% और 86% स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन दूसरी तरफ त्रिपुरा में महज 3.85, मेघालय में 3.88 और असम में 5.82 फीसद स्कूलों में ही इंटरनेट कनेक्शन हैं। जाहिर है, तकनीकी शिक्षा और संचार के आधुनिकतम तकनीक से हमारे विद्यार्थी आज भी कोसों दूर हैं। तकनीकी युग में कंप्यूटर और इंटरनेट की गिनती मूलभूत सुविधाओं में होती है। ऑनलाइन शिक्षा के दौर में सरकारी स्कूलों के पिछड़ने की यह एक प्रमुख वजह है, जिस पर नीति-नियंताओं को सोचने की जरूरत है।

इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट की एक रिपोर्ट बताती है कि स्कूलों के बंद रहने से दुनियाभर में एक अरब साठ करोड़ स्कूली बच्चों में से केवल दस करोड़ बच्चों की ही शिक्षा ही चल पायी है। यानी ऐसे बच्चे स्कूल बंद होने के बावजूद घर पर रह कर आगे की पढ़ाई कर पाए हैं। इसका एकमात्र बड़ा कारण घर पर तकनीक व्यवस्था सुलभ रहा है।

ग्रामीण क्षेत्रों के वे बच्चे जिनके पास संसाधनों का घोर अभाव है, ऑनलाइन शिक्षा के दौर में निश्चय ही पिछड़ जाएंगे। लंबे समय तक स्कूलों के बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई का क्रम टूटा है।

कुछ समय पहले यूनेस्को ने भारत को सचेत करते हुए कहा था कि शिक्षा पाने के लिए यह सोचना गलत है कि ऑनलाइन सीखना हर किसी के लिए आगे का रास्ता खोलता है, क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई से दूर-दराज के इलाकों में रह रहे बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर सकते। इसलिए किसी खास वर्ग को दी जाने वाली शिक्षा सामाजिक विभेद को भी बढ़ाएगी। ऐसे में सरकार को इन बच्चों के भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए, जो स्कूल से दूर होकर अपने भविष्य को दांव पर लगाने को विवश हैं। 2020-21 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया था कि अगर ऑनलाइन शिक्षा का सही इस्तेमाल किया जाता है तो इससे शैक्षिक परिणाम में होने वाली असमानताएं खत्म होंगी। लेकिन क्या ऑनलाइन शिक्षा की सर्व-सुलभता के बिना इस असमानता को खत्म कर पाना मुमकिन होगा?

जो बच्चे ऑनलाइन शिक्षा लेने में असमर्थ हैं, वह भविष्य की चिंता के कारण हताशा और अवसाद के शिकार हो रहे हैं। शैक्षणिक संस्थानों के लंबे समय तक बंद रहने के कारण विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास भी प्रभावित हुआ है। स्कूल परिसर का वातावरण छात्रों में दायित्व बोध का भाव भरता है। स्कूल में बच्चे शिक्षा के साथ संस्कार और जीवन का पाठ भी सीखते हैं। स्कूल परिसर में सहपाठियों के साथ सामाजिकता का विकास होता है। बच्चों में एक सुसंस्कृत और जिम्मेदार नागरिक की नींव पड़ती है। ये कुछ ऐसी विशेषताएं हैं, जो ऑनलाइन शिक्षा के विषय में लागू नहीं होती है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) की अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रीतिका खेरा, अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज और शोधकर्ता विपुल पैकरा द्वारा यह शोध, ‘स्कूल’ सर्वेक्षण 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों: असम, बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में किया गया था। इस सर्वेक्षण में शहर और ग्रामीण क्षेत्र को अलग-अलग प्रमुखता दी गयी थी और यह देखा गया की यह दोनों क्षेत्रों को कितना प्रभावित किया।

सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 8 प्रतिशत बच्चे नियमित रूप से ऑनलाइन पढ़ते हैं, 37 प्रतिशत बच्चे बिल्कुल भी नहीं पढ़ रहे हैं, और लगभग आधे बच्चे कुछ शब्दों से अधिक पढ़ने में असमर्थ हैं। अधिकांश माता-पिता चाहते हैं कि स्कूल जल्द से जल्द फिर से खुल जाएं।

उपरोक्त रिपोर्ट और बातों को यदि समझा जाये तो निःसन्देह ग्रामीण इलाके के बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा बस एक सपना ही है। पर्याप्त संसाधन के अभाव में हम ऑनलाइन शिक्षा को सफल नहीं मान सकते हैं। शासन और प्रशासन को इस विषय पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। स्मार्टफोन, लैपटॉप और इंटरनेट के बिना, डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रम को बच्चों की शिक्षा से कैसे जोड़ा जा सकता है। आखिर पढ़ेगा इंडिया, तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया!

सर्वेश तिवारी (लेखक सक्षम चंपारण के संस्थापक है )

Related posts

Kangaroo Kids Offers Toddler Transition Program, Shaping Young Minds Early On

Newsmantra

लखनऊ की दिव्यांशी ने रचा इतिहास

Newsmantra

Campus Activewear Announces Kriti Sanon as the Face of its Women’s Category

Newsmantra

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More