पटना। सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र के बापू सभागार में बुधवार को चतुर्थ कृषि रोडमैप (2023-28) का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत उदघाटन किया। राष्ट्रपति ने कृषि रोडमैप का रिमोट के माध्यम से शिलापट्ट अनावरण कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति को हरित पौधा, स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्र भेंटकर स्वागत किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को मुख्यमंत्री ने चतुर्थ कृषि रोडमैप की प्रथम प्रति भी भेंट की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आज बिहार के चतुर्थ कृषि रोडमैप के शुभारंभ के मौके पर आप सबके बीच उपस्थित होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। राष्ट्रपति के रूप में मेरी भले ही यह पहली यात्रा है, लेकिन मैं बिहार और बिहार के लोगों और संस्कृति से भलीभांति परिचित हूं। पड़ोसी राज्य झारखंड में मैं छह साल राज्यपाल रही। मैंने बिहार की जीवनशैली और संस्कृति को करीब से जाना है और महसूस भी किया है। मेरा गृहराज्य उड़ीसा भी ऐतिहासिक रुप से बिहार से जुड़ा हुआ है। इसीलिए मुझे लगता है कि मैं भी अपने आपको बिहारी कह सकती हूं। मैं बिहार को अपना राज्य मानती हूं। मुझे बिहार के मुख्यमंत्री अक्सर बुलाते हैं, इसलिए मैं बीच-बीच में आती रहूंगी। मुझे प्रेसिडेंट के बाद अपने गांव जाकर कृषि का कार्य करना है। बिहार हर क्षेत्र में रोड मैप बनाकर काम कर रहा है। बिहार हैपिनेस इंडेक्स पर कार्य कर रहा है, इसलिए विकास कर रहा है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है। बिहार इससे अलग नहीं है। नई तकनीक अपनाकर हम अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं। हमलोगों को प्राकृतिक खेती अपनाने की जरुरत है, जो पारंपरिक है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि चतुर्थ कृषि रोड मैप के शुभारंभ कार्यक्रम में महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का मैं अभिनंदन करता हूं। आज राष्ट्रपति के द्वारा चतुर्थ कृषि रोड मैप की शुरुआत की गई है, यह बहुत खुशी की बात है। महामहिम राष्ट्रपति जी ने हमारे अनुरोध को स्वीकार किया और आज इस कार्यक्रम में उपस्थित हुई हैं, इसके लिए मैं उनका आभार प्रकट करता हूं। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की भूमि पर आप आई हैं। बिहार के लिए यह बड़ी खुशी की बात है कि आज से चतुर्थ कृषि रोड मैप की शुरूआत हो रही है। वर्ष 2008 में पहले कृषि रोडमैप की शुरुआत की गयी थी। वर्ष 2008 से वर्ष 2012 तक पहले कृषि रौड मैप के तहत कार्य किये गए। दूसरे कृषि रोड मैप का शुभारंभ तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तथा तीसरे कृषि रोड का शुभारंभ रामनाथ कोविंद जी द्वारा किया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में कृषि रोड मैप से किसानों को काफी फायदा हुआ है। धान, मक्का, गेहूं और आलू का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ी है। वर्ष 2011-12 में नालंदा के एक किसान ने प्रति हेक्टेयर धान का सबसे ज्यादा उत्पादन कर चीन को पीछे छोड़ दिया। इससे पहले प्रति हेक्टेयर का रिकॉर्ड चीन के नाम था। आलू के उत्पादन में भी नालंदा जिले के एक गांव ने विश्व कीर्तिमान भी बनाया। वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक दूसरे कृषि रोडमैप के तहत कार्य किये गए, जिसके फलस्वरूप फल, सब्जी, दूध, अंडा एवं मछली का उत्पादन काफी बढ़ा है। उत्पादकता बढ़ने से किसानों को काफी फायदा हुआ है। वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक तीसरे कृषि रोड मैप के अंतर्गत कार्य तय किये गए थे, लेकिन इसका कार्यकाल एक साल के लिये बढ़ाकर वर्ष 2023 तक कर दिया गया। बचे हुये कार्य एवं आगे के कार्य के और विस्तार को लेकर आज से चतुर्थ कृषि रोड मैप की शुरुआत की गयी है। इसके तहत तेजी से कार्य होंगे ताकि किसानों को और फायदा हो सके। उन्होंने कहा कि चतुर्थ कृषि रोड मैप शुरू करने के पहले किसानों से भी राय ली गई थी। बिहार में मछली का उत्पादन ढाई गुणा बढ़ा है। अब बिहार मछली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है। अब बिहार में बाहर से मछली मंगाने की जरूरत नहीं है। चावल, गेहूं और मक्का के उत्पादन को लेकर बिहार को पांच कृषि कर्मण पुरस्कार मिले हैं। आलू, गोभी, बैंगन और टमाटर का उत्पादन भी काफी बढ़ा है। बिहार में मखाना का भी उत्पादन काफी बढ़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2008 में हमने कृषि रोड मैप को लेकर कृषि वैज्ञानिक डॉ. मंगला राय जी से सलाह ली थी। श्रद्धेय अटल जी की सरकार में हम केंद्र में कृषि मंत्री थे तो उस समय वे हमसे जुड़े थे। अभी भी डॉ. मंगला राय जी मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार के रूप में हमसे जुड़े हुये हैं। कृषि रोड मैप में उनका योगदान काफी महत्त्वपूर्ण है। हमने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कृषि रोड मैप के तहत तेजी से कार्य करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि चतुर्थ कृषि रोडमैप में कृषि के साथ-साथ पशुओं के उचित देखभाल के लिए भी व्यवस्था की गयी है। प्रत्येक आठ से दस पंचायत पर पशु अस्पताल खोला जा रहा है ताकि पशुओं की भी उचित देखभाल और इलाज हो सके। उत्तर बिहार का एक बड़ा हिस्सा चौर क्षेत्र है। वहां वर्ष में नौ महीना पानी लगा रहता है। नौ लाख हेक्टेयर भूमि चौर क्षेत्र है। कृषि रोडमैप के तहत ऐसे छह जिलों के लिए योजना की शुरूआत की गयी है। चतुर्थ कृषि रोड मैप के तहत अच्छे से काम होगा तो किसानों की आमदनी और बढ़ेगी। चतुर्थ कृषि रोडमैप में इस तरह के प्रावधान किए गए हैं कि जो भी बचे हुए कार्य हैं वे पूरे किए जाएंगे। किसानों को काफी फायदा होगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी। मुझे उम्मीद है कि इसके आगे कृषि रोड मैप की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से आग्रह करते हुए कहा कि आप बिहार में घूमते रहते हैं, जहां भी जायें वहां पर कृषि रोड मैप के तहत कराये जा रहे कार्यों का निरीक्षण करें और जरूरी समझें तो अधिकारियों को निर्देश भी दें। राष्ट्रपति से आग्रह है कि आप हमेशा बिहार आते रहिये। आप बिहार से अलग नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यहां किसान बंधु भी पधारे हुए हैं। मैं उनका भी अभिनंदन करता हूं। चतुर्थ कृषि रोडमैप के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मंत्रिमंडल से एक लाख 62 हजार करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। राज्य में 75 प्रतिशत लोगों की आजीविका का आधार कृषि है। चतुर्थ कृषि रोडमैप में सभी बातों का ध्यान रखा गया है और इसे बहुत व्यापक बनाया गया है। इससे न सिर्फ उत्पादन और उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। इससे राज्य को भी फायदा होगा। कार्यक्रम के दौरान चतुर्थ कृषि रोडमैप पर आधारित एक लघु फिल्म प्रदर्शित की गयी।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव एवं कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। मौके पर बिहार विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी, बिहार मंत्रिमंडल के सभी मंत्री, बिहार विधानसभा एवं बिहार विधान परिषद के सदस्य सहित कृषि वैज्ञानिक और वरीय अधिकारी मौजूद रहे।
कार्यक्रम के पूर्व राष्ट्रपति का पटना हवाई अड्डा पर राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने पुष्प गुच्छ भेंटकर स्वागत किया।