प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कोरोना टीकाकरण के पहले चरण का खर्च केन्द्र सरकार देगी. इस चरण में कोविड से सीधे टक्कर ले रहे फ्रंटलाईन वर्कर्स को टीका लगाया जाने वाला है . पहला चरण 16 जनवरी से शुरु हो रहा है .
प्रधानमंत्री ने राज्यो के मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों के साथ इस बारे में बातचीत करते हुए कहा कि .
कोरोना की मेड इन इंडिया वैक्सीन और दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान इस विषय में अभी विस्तार से हमारी चर्चा हुई है, Presentation में भी काफी चीजें details में बताई गई है और हमारे राज्यों के district level के अधिकारियों तक बहुत विस्तार से इसकी चर्चा हुई है और इस दरम्यान कुछ राज्यों से अच्छे सुझाव भी मिले हैं। केंद्र और राज्यों के बीच इस संवाद और सहयोग ने कोरोना से लड़ाई में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। एक प्रकार से federalism का उत्तम उदाहरण, इस सारी लड़ाई मं हमलोगों ने प्रस्तुत किया है।
श्री मोदी ने कहा कि आज हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि भी है। मैं उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। साल 1965 में शास्त्री जी ने Administrative Services की एक कॉन्फ्रेंस में एक महत्वपूर्ण बात कही थी जिसका जिक्र मैं आज यहां आपके सामने करना चाहता हूं। उन्होंने कहा था कि -The Basic Idea of Governance, as I see it, is to hold the society together so that it can develop and march towards certain goals. The task of the government is to facilitate this evolution, this process. मुझे संतोष है कि कोरोना के इस संकट काल में हम सभी ने एकजुट होकर काम किया, जो सीख लाल बहादुर शास्त्री जी ने दी थी, उसी पर चलने का हम सबने प्रयास किया और इस दरम्यान संवेदनशीलता के साथ त्वरित फैसले भी किए गए, जरूरी संसाधन जुटाए भी गए और देश की जनता को निरंतर हम लगातार जागरूक भी करते रहे और आज इसी का परिणाम है कि भारत में कोरोना का संक्रमण वैसा नहीं है और न ही वैसा फैला है जैसा दुनिय के अन्य देशों में हमने देखा है। जितनी घबराहट और चिंता 7-8 महीने पहले देशवासियों में थी, अब लोग उससे बाहर निकल चुके हैं। ये अच्छी स्थिति है लेकिन careless न हो जाएं, य भी हमें चिन्ता करनी है। देशवासियों में बढ़ते विश्वास का प्रभाव आर्थिक गतिविधियों पर भी सकारात्मक रूप से दिखाई दे रहा है। मैं आपके राज्य प्रशासन की भी दिन रात जुटे रहने के लिए, प्रशंसा करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हमारा देश कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर रहा है। ये चरण है- वैक्सीनेशन का। जैसे यहां जिक्र हुआ, 16 जनवरी से हम दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरु कर रहे हैं। ये हम सभी के लिए गौरव की बात है कि जिन दो वैक्सीन्स को Emergency Use Authorization दिया गया है, वो दोनों ही मेड इन इंडिया है। इतना ही नहीं, 4 और वैक्सीन्स, progress में हैं। और ये जो मैं करीब 60-70 पर्सेंट काम पहले राउण्ड का होने के बाद बैठने की चर्चा इसलिए करता हूं कि उसे बाद और वैक्सीन भी आ जाएगी और जब और वैक्सीन आ जाएगी तो हमें फ्यूचर के प्लान करने में वो भी बहुत बड़ी सुविधा रहेगी और इसलिए second part जो है, उसमें हम 50 से ऊपर वाले के लिए जानेवाले हैं, तब तक शायद हमारे पास और भी वैक्सीन आने की संभावनाएं हैं।
उन्होने कहा कि देशवासियों को एक प्रभावी वैक्सीन देने के लिए हमारे Experts ने हर प्रकार की सावधानियां बरतीं हैं। और अभी scientific community के तरफ से विस्तार से हमे बताया भी गया है। और आपको मालूम होगा कि मै इस विषय में जब भी मुख्यमंत्रियों के साथ बात हुई। मैंने हमेशा एक ही जवाब दिया था कि इस विषय में हमें जो भी निर्णय करना होगा, वो scientific community जो कहंगी, वही हम करेंगे। scientific community को ही हम final word मानेंगे और हम उसी प्रकार चलते रहें हैं। कई लोग कहते थे देखिए दुनिया में वैक्सीन आ गई है। भारत क्या कर रहा है, भारत सो रहा है, इतने लाख हो गया, इतना हो गया, ऐसी भी चिल्लाहट हुई। लेकिन फिर भी हमारा मत था कि scientific community व देश के लिए जिम्मेवार लोग हैं। उनकी तरफ से जब आएगा तभी हमारे लिए उचित होगा और हम उसी दिशा में चले हैं। बड़ी बात, जो मैं दोहराना चाहता हूं कि हमारी दोनों Vaccines दुनिया की दूसरी Vaccines से ज्यादा cost-effective हैं। हम कल्पना कर सकते हैं अगर भारत को कोरोना टीकाकरण के लिए विदेशी वैक्सीन्स पर पूरी तरह निर्भर रहना पड़ता तो हमारे क्या हालत होते, कितनी बड़ी मुश्किल होती, हम उसका अंदाजा लगा सकते हैं। ये Vaccines भारत की स्थितियों और परिस्थितियों को देखते हुए निर्मित की गई हैं। भारत को टीकाकरण का जो अनुभव है, जो दूर-सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचने की व्यवस्थाएं हैं, वो कोरोना वैक्सीनेशन कार्यक्रम में बहुत उपयोगी सिद्ध होने वाली हैं।
आप सभी राज्यों के साथ सलाह-मशविरा करके ही ये तय किया गया है कि टीकाकरण अभियान की शुरुआत में किसे प्राथमिकता दी जाएगी। हमारी कोशिश सबसे पहले उन लोगों तक कोरोना वैक्सीन पहुंचाने की है जो देशवासियों की स्वास्थ्य सुरक्षा में दिन-रात जुटे हैं। जो हमारे Health Workers हैं, सरकारी हों या प्राइवेट, पहले उनको टीका लगाया जाएगा। इसके साथ-साथ हमारे जो सफाई कर्मचारी हैं, दूसरे Front Line Workers हैं, सैन्य बल है, पुलिस और केंद्रीय बल हैं, होम गार्ड हैं, Disaster management volunteers समेत तमाम सिविल डिफेंस के जवान हैं, Containment और surveillance से जुड़े रेवेन्यु कर्मचारी हैं, ऐसे साथियों को भी पहले चरणों में टीका लगाया जा रहा है। देश के अलग-अलग राज्यों के हेल्थ वर्कर्स, फ्रंट लाइन वर्कर्स की संख्या देखें तो ये करीब-करीब 3 करोड़ होती है। ये तय किया गया है कि पहले चरण में इन 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने के लिए जो खर्च होगा, वो राज्य सरकारों को वहन नहीं करना है, भारत सरकार इसको वहन करेगी।