कमलनाथ का मास्टर स्ट्रोक .राजनीती में सब जायज है .
संदीप सोनवलकर
दो राज्य और दो सरकार लेकिन राजनीति अलग अलग . एक तरफ कर्नाटक में बीजेपी ने कांग्रेस और जेडीयू के 12 विधायकों को तोडकर सरकार गिरवा दी तो मध्यप्रदेश में सीएम कमलनाथ ने मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए बीजेपी के दो विधायक तोडकर अपनी सरकार बचा ली .. दोनों में संदेश साफ है कि राजनीति में कोई दोस्त या दुशमन नही होता सत्ता
बडी चीज है ..
मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ ने एक और रास्ता कांग्रेस को भी दिखाया कि अब केन्द्र में अटलबिहारी वाजपेयी या किसी और की सरकार नही बल्कि मोदी शाह की जोडी है जिनके लिए सब सही है तो उससे उसी अंदाज मे निपटा जाये. कमलनाथ का रास्ता कांग्रेस की वापसी का भी रास्ता हो सकता है. जाहिर है कांग्रेस में बहुतों को उनसे सीखने की जरुरत है. राहुल को भी ये कहना छोडना होगा कि सत्ता जहर है . उनको मानना होगा कि सत्ता ही है जो किसी भी दल को बडा बनाती है .
दरअसल कमलनाथ को जानने वाले उनकी इस अदा से खूब परिचित है. कमलनाथ की क्षमता और क़ाबिलियत को लेकर उनके विरोधी भी संदेह नहीं रखते, ये बात दूसरी है कि कमलनाथ ख़ुद को बड़ा ही लो प्रोफ़ाइल रखते आए हैं . कमलनाथ की आदत है कि हमेशा सादा कुर्ता पाजामा पहनते है और जेब में इलायची या चुइँगम रखते है जो हमेशा चबाते रहते है इसका फायदा ये होता है कि अक्सर बोलने की जरुरत नही होती . ये उन्होने अपने व्यापार से सीखा है तभी तो गांधी परिवार से निकटता, पचास साल का राजनीतिक जीवन और ख़ुद का अरबों का कारोबारी साम्राज्य के बाद भी वो लाईमलाईट में नही दिखते .
दरअसल, कमलनाथ संजय गांधी के स्कूली दोस्त थे, दून स्कूल से शुरू हुई दोस्ती, मारुति कार बनाने के सपने के साथ-साथ युवा कांग्रेस की राजनीति तक जा पहुंची थी. पत्रकार विनोद मेहता ने अपनी किताब संजय गांधी – अनटोल्ड स्टोरी में लिखा है कि यूथ कांग्रेस के दिनों में संजय गांधी ने पश्चिम बंगाल में कमलनाथ को सिद्धार्थ शंकर रे और प्रिय रंजन दासमुंशी को टक्कर देने के लिए उतारा था.
इतना ही नहीं जब इमरजेंसी के बाद संजय गांधी गिरफ्तार किए गए तो उनको कोई मुश्किल नहीं हो, इस लिए जज के साथ बदतमीज़ी करके कमलनाथ तिहाड़ जेल भी पहुंच गए थे.
जल्दी ही वे इंदिरा गांधी की गुड बुक्स में आ गए थे, 1980 में जब पहली बार कांग्रेस ने उन्हें मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से टिकट दिया था. उनके चुनाव प्रचार में इंदिरा गांधी ने अपने भाषण में कहा था,- मैं नहीं चाहती कि आप लोग कांग्रेस नेता कमलनाथ को वोट दीजिए. मैं चाहती हूं कि आप मेरे तीसरे बेटे कमलनाथ को वोट दें.
लोग ये भी कहने लगे थे कि इंदिरा के दो हाथ- संजय गांधी और कमलनाथ.
मूलत खदान और केबल वायरिंग के व्यापारी कमलनाथ जानते है कि व्यापार में किसी से दुशमनी ठीक नही . यही काम राजनीती में भी उन्होने किया . मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह और सिंधिया गुट में बंटी कांग्रेस को संभाला और बहुमत के पूरे नही होने पर भी बसपा को साधकर सीएम बन गये . बीजेपी ने उनको कम आंका . यही गलती कर दी. बीजेपी ने कमलनाथ के खिलाफ 1984 के दंगों के आरोप का मामला भी उठाया था लेकिन कमलनाथ ने उसे अपने आप ही मर जाने दिया .
सबसे बडी बात बीजेपी के नेता भूल जाते है कि कमलनाथ के ससुर आर एस एस के प्रचारक थे और इसलिए कमलनाथ हमेशा से बीजेपी के नेताओं को अच्छी तरह जानते हैं. इन्ही संबंधों का फायदा उठाकर वो बीजेपी विधायक तोडने मे कामयाब रहे . दरअसल जब क्रिमिनल ला कानून में मध्यप्रदेश की विधानसभा में वोटिंग हो रही थी तो बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल ने सरकार के समर्थन में वोट कर दिया .ये दोनो ही कांग्रेस में रह चुके हैं और बाद मे भाजपा चले गये थे .
अब 230 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 114 और बीजेपी के 108 विधायक हैं. वर्तमान सरकार को निर्दलीय, बीएसपी और सपा विधायकों का समर्थन हासिल है.अब दो विधायकों के समर्थन मिलने के कारण कांग्रेस को सरकार गिरने का खतरा खत्म हो गया है. बीजेपी हालांकि इससे तिलमिला गयी है और धमकी दी है कि बदला लेगी लेकिन ऐसा अब हो नही पायेगा. .
कमलनाथ की देखादेखी कांग्रेस की बाकी सरकारों को भी पहले से ही ऐसा इंतजाम करना चाहिये ताकि कर्नाटक की तरह बीजेपी का खेल न जम सके . यही से कांग्रेस की वापसी का रास्ता भी निकलेगा . आने वाले दिनों में अक्टूबर में पांच राज्यों के चुनाव है जाहिर है अगर अभी से तैयारी करे तो कांग्रेस खेल सकती है. लेकिन कांग्रेस को सबसे पहले लीडरशिप तय करना होगा. कांग्रेस चाहती तो गोवा में भी चुनाव के समय यही खेल कर सकती थी लेकिन दिगिवजय सिंह के अडियल रवैये से ये हो न सका और गोवा के 10 कांग्रेसी विधायक बीजेपी चले गये . संदेश साफ है कि विधायकों को भी पता है जहां दम वहां हम .कांग्रेस को अगर खुद को बचाना है तो सत्ता की राजनीति करनी ही होगी.
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