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3 अगस्त 2024 को आरईसी लिमिटेड, गुरुग्राम में विद्युत मंत्रालय एवं इसके नियंत्रणाधीन कार्यालयों का अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन आयोजित किया गया।

अपने सम्बोधन में माननीय श्री श्रीपाद येसो नाइक, राज्यमंत्री विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा ने कहा कि “हमारे विशाल राष्ट्र में अनेक प्रांत हैं। उनकी अलग-अलग भाषाएं और बोलियां हैं, लेकिन हिंदी एक ऐसी सर्वसामान्य भाषा है जो विशाल भारत के बहुत बड़े हिस्से में बोली जाने के कारण जनसामान्य की संपर्क भाषा रही है। भारत की एकता और अखंडता में हिंदी का महत्वपूर्ण योगदान है। देश के नीति निर्धारकों ने हिंदी की व्यापकता, स्वच्छता, सरलता और लिपि की वैज्ञानिकता को ध्यान में रखते हुए इसे संघ की राजभाषा का गौरव प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि हमारा मंत्रालय अधीनस्थ उपक्रमों और विभागों में संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी के विकास के नित नए सोपान सृजित कर रहा है। हिंदी विभिन्न जनसंचार माध्यमों की भाषा है। हिंदी जन-जन की भाषा है। हिंदी राष्ट्र की चेतना की भाषा है। यह जन-जन को जागृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। वर्तमान परिवेश में हिंदी का निरंतर विस्तार हो रहा है और इसकी पहचान विश्व के अनेक देशों में बढ़ रही है। आइए राष्ट्रीय अनुराग की भावना से हम सब मिलकर विद्युत मंत्रालय और इसके उपक्रमों तथा संस्थानों में राजभाषा हिंदी के प्रति अपने दायित्व बोध का निर्वाह करें और राजभाषा हिंदी के प्रयोग को सतत गतिशील करने की दिशा में अभिनव पहल करते हुए उत्साह और प्रेरणा का वातावरण बनाए रखें।" सम्मेलन के दौरान विद्युत क्षेत्र में संघ की राजभाषा नीति के क्रियान्वयन और प्रचार-प्रसार पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रसारण भी किया गया जो विद्युत मंत्रालय एवं इसके नियंत्रणाधीन सभी उपक्रमों एवं कार्यालयों में पिछले एक वर्ष के दौरान हुई उपलब्धियों एवं राजभाषा संबंधी अभिनव पहलों पर केन्द्रित थी। सम्मेलन के द्वितीय सत्र में डॉ. जय प्रकाश कर्दम, सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं पूर्व निदेशक, केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान, डॉ. गंगा सहाय मीणा, एसोशिएट प्रोफेसर (अनुवाद अध्ययन), जेएनयू तथा तृतीय सत्र में डॉ. पूरन चन्द टंडन, पूर्व प्रोफेसर (हिंदी), दिल्ली विश्वविद्यालय ने राजभाषा के विभिन्न आयामों पर महत्त्वपूर्ण व्याख्यान दिया। सम्मेलन के अंतिम सत्र में प्रसिद्ध हास्य कवि श्री राजेश चेतन ने अपनी हास्य कविताओं से सभी प्रतिभागियों को सराबोर कर दिया। इस अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में विद्युत मंत्रालय और इसके अधीन एनटीपीसी, आरईसी, पीएफसी, एनएचपीसी, पावरग्रिड, ग्रिड इंडिया, एनपीटीआई, टीएचडीसी, डीवीसी, सीईए, नीपको, बीबीएमबी, एसजेवीएनएल, बीईई, ईईएसएल, सीपीआरआई औरसीईआरसी कार्यालयों से लगभग 300 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के तत्त्वावधान में 03 अगस्त, 2024 को विद्युत मंत्रालय तथा इसके नियंत्रणाधीन कार्यालयों के राजभाषा अधिकारियों के अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह आयोजन आरईसी निगम कार्यालय, गुरुग्राम के सभागार में किया गया।

इस राजभाषा सम्मेलन की अध्यक्षता माननीय श्री श्रीपाद येसो नाइक, माननीय राज्य मंत्री, विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा की गई। सम्मेलन में विद्युत मंत्रालय के सचिव श्री पंकज अग्रवाल, आरईसी लिमिटेड के सी.एम.डी. श्री विवेक कुमार देवांगन, विद्युत मंत्रालय के मुख्य अभियंता श्री धीरज कुमार श्रीवास्तव, विद्युत मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण तथा नियंत्राणाधीन कार्यालयों और उपक्रमों के सी.एम.डी. तथा कार्यालय प्रमुख उपस्थित रहे। सम्मेलन में विद्युत क्षेत्र के देश भर के कार्यालयों से लगभग 300 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

सम्मेलन का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं विद्युत मंत्रालय की राजभाषा टीम द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ। सम्मलेन के मुख्य अतिथि श्री श्रीपाद येसो नाइक, माननीय राज्यमंत्री विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, भारत सरकार ने विद्युत मंत्रालय एवं नियंत्रणाधीन कार्यालयों में हिंदी के प्रचार-प्रसार एवं कार्यान्वयन की दिशा में किए जा रहे कार्यों की सराहना की।

अपने सम्बोधन में माननीय श्री श्रीपाद येसो नाइक, राज्यमंत्री विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा ने कहा  कि “हमारे विशाल राष्ट्र में अनेक प्रांत हैं। उनकी अलग-अलग भाषाएं और बोलियां हैं, लेकिन हिंदी एक ऐसी सर्वसामान्य भाषा है जो विशाल भारत के बहुत बड़े हिस्से में बोली जाने के कारण जनसामान्य की संपर्क भाषा रही है। भारत की एकता और अखंडता में हिंदी का महत्वपूर्ण योगदान है। देश के नीति निर्धारकों ने हिंदी की व्यापकता, स्वच्छता, सरलता और लिपि की वैज्ञानिकता को ध्यान में रखते हुए इसे संघ की राजभाषा का गौरव प्रदान किया है।

अपने सम्बोधन में माननीय श्री श्रीपाद येसो नाइक, राज्यमंत्री विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा ने कहा कि “हमारे विशाल राष्ट्र में अनेक प्रांत हैं। उनकी अलग-अलग भाषाएं और बोलियां हैं, लेकिन हिंदी एक ऐसी सर्वसामान्य भाषा है जो विशाल भारत के बहुत बड़े हिस्से में बोली जाने के कारण जनसामान्य की संपर्क भाषा रही है। भारत की एकता और अखंडता में हिंदी का महत्वपूर्ण योगदान है। देश के नीति निर्धारकों ने हिंदी की व्यापकता, स्वच्छता, सरलता और लिपि की वैज्ञानिकता को ध्यान में रखते हुए इसे संघ की राजभाषा का गौरव प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि हमारा मंत्रालय अधीनस्थ उपक्रमों और विभागों में संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी के विकास के नित नए सोपान सृजित कर रहा है। हिंदी विभिन्न जनसंचार माध्यमों की भाषा है। हिंदी जन-जन की भाषा है। हिंदी राष्ट्र की चेतना की भाषा है। यह जन-जन को जागृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। वर्तमान परिवेश में हिंदी का निरंतर विस्तार हो रहा है और इसकी पहचान विश्व के अनेक देशों में बढ़ रही है। आइए राष्ट्रीय अनुराग की भावना से हम सब मिलकर विद्युत मंत्रालय और इसके उपक्रमों तथा संस्थानों में राजभाषा हिंदी के प्रति अपने दायित्व बोध का निर्वाह करें और राजभाषा हिंदी के प्रयोग को सतत गतिशील करने की दिशा में अभिनव पहल करते हुए उत्साह और प्रेरणा का वातावरण बनाए रखें।" सम्मेलन के दौरान विद्युत क्षेत्र में संघ की राजभाषा नीति के क्रियान्वयन और प्रचार-प्रसार पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रसारण भी किया गया जो विद्युत मंत्रालय एवं इसके नियंत्रणाधीन सभी उपक्रमों एवं कार्यालयों में पिछले एक वर्ष के दौरान हुई उपलब्धियों एवं राजभाषा संबंधी अभिनव पहलों पर केन्द्रित थी। सम्मेलन के द्वितीय सत्र में डॉ. जय प्रकाश कर्दम, सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं पूर्व निदेशक, केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान, डॉ. गंगा सहाय मीणा, एसोशिएट प्रोफेसर (अनुवाद अध्ययन), जेएनयू तथा तृतीय सत्र में डॉ. पूरन चन्द टंडन, पूर्व प्रोफेसर (हिंदी), दिल्ली विश्वविद्यालय ने राजभाषा के विभिन्न आयामों पर महत्त्वपूर्ण व्याख्यान दिया। सम्मेलन के अंतिम सत्र में प्रसिद्ध हास्य कवि श्री राजेश चेतन ने अपनी हास्य कविताओं से सभी प्रतिभागियों को सराबोर कर दिया। इस अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में विद्युत मंत्रालय और इसके अधीन एनटीपीसी, आरईसी, पीएफसी, एनएचपीसी, पावरग्रिड, ग्रिड इंडिया, एनपीटीआई, टीएचडीसी, डीवीसी, सीईए, नीपको, बीबीएमबी, एसजेवीएनएल, बीईई, ईईएसएल, सीपीआरआई औरसीईआरसी कार्यालयों से लगभग 300 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

उन्होंने कहा कि हमारा मंत्रालय अधीनस्थ उपक्रमों और विभागों में संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी के विकास के नित नए सोपान सृजित कर रहा है। हिंदी विभिन्न जनसंचार माध्यमों की भाषा है। हिंदी जन-जन की भाषा है। हिंदी राष्ट्र की चेतना की भाषा है। यह जन-जन को जागृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। वर्तमान परिवेश में हिंदी का निरंतर विस्तार हो रहा है और इसकी पहचान विश्व के अनेक देशों में बढ़ रही है। आइए राष्ट्रीय अनुराग की भावना से हम सब मिलकर विद्युत मंत्रालय और इसके  उपक्रमों तथा संस्थानों में राजभाषा हिंदी के प्रति अपने दायित्व बोध का निर्वाह करें और राजभाषा हिंदी के प्रयोग को सतत गतिशील करने की दिशा में अभिनव पहल करते हुए उत्साह और प्रेरणा का वातावरण बनाए रखें।”

सम्मेलन के दौरान विद्युत क्षेत्र में संघ की राजभाषा नीति के क्रियान्वयन और प्रचार-प्रसार पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रसारण भी किया गया जो विद्युत मंत्रालय एवं इसके नियंत्रणाधीन सभी उपक्रमों एवं कार्यालयों में पिछले एक वर्ष के दौरान हुई उपलब्धियों एवं राजभाषा संबंधी अभिनव पहलों पर केन्द्रित थी।

सम्मेलन के द्वितीय सत्र में डॉ. जय प्रकाश कर्दम, सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं पूर्व निदेशक, केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान, डॉ. गंगा सहाय मीणा, एसोशिएट प्रोफेसर (अनुवाद अध्ययन), जेएनयू तथा तृतीय सत्र में डॉ. पूरन चन्द टंडन, पूर्व प्रोफेसर (हिंदी), दिल्ली विश्वविद्यालय ने राजभाषा के विभिन्न आयामों पर महत्त्वपूर्ण व्याख्यान दिया। सम्मेलन के अंतिम सत्र में प्रसिद्ध हास्य कवि श्री राजेश चेतन ने अपनी हास्य कविताओं से सभी प्रतिभागियों को सराबोर कर दिया।

इस अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में विद्युत मंत्रालय और इसके अधीन एनटीपीसी, आरईसी, पीएफसी, एनएचपीसी, पावरग्रिड, ग्रिड इंडिया, एनपीटीआई, टीएचडीसी, डीवीसी, सीईए, नीपको, बीबीएमबी, एसजेवीएनएल, बीईई, ईईएसएल, सीपीआरआई औरसीईआरसी कार्यालयों से लगभग 300 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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