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खतरों के खिलाड़ी बन रही बीजेपी संविधान के मुददे पर

खतरों के खिलाड़ी बन रही बीजेपी संविधान के मुददे पर ~ संदीप सोनवलकर - वरिष्ठ पत्रकार

~ संदीप सोनवलकर – वरिष्ठ पत्रकार

महाराष्ट्र में चुनावी लड़ाई में जिस इमोशनल मुददे की कमी थी उसे अब संविधान का मुददा भरते हुए नजर आ रहा है . भारतीय जनता पार्टी इस मुददे पर खतरों के खिलाड़ी बन रही है और वो कांग्रेस की पिच पर फंसती नजर आ रही है .

महाराष्ट्र में इस समय 288 विधानसभा सीट के लिए 8000 से ज्यादा केंडिडेट ,12 से ज्यादा पार्टियां और सबसे कठिन चुनाव होने के बाद भी चुनाव का माहौल बन नहीं रहा था क्योंकि लोकसभा चुनाव की तरह कोई बड़ा मुददा बनते हुए नजर नहीं आ रहा .. लाड़ली बहना योजना का लाभ जिनको मिल रहा है वो बस खुश है वोट अभी डालना बाकी है . सरकार के कई काम है लेकिन फिर भी ये कहना कठिन है कि लोग उससे खुश है. इतना ही नहीं गददार और पार्टी तोड़ने का मुददा भी नहीं बन पा रहा .असल में लोग इतने सारे दल और केंडिडेट के कारण कन्फ्यूज्ड है इसलिए चुप भी है और मतदान के दिन ही तय करने वाले है किसे वोट दें. लेकिन इस बीच बीजेपी ने एक बड़ा खतरा मोल ले लिया है और आरक्षण के साथ संविधान के मुददे पर तेजी से रिएक्ट करके कांग्रेस का फायदा कर दिया है.

राहुल गांधी ने सोची समझी रणनीति के तहत महाराष्ट्र में अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत नागपुर में संघ मुख्यालय के बाजू में एक सभागार में संविधान सम्मेलन करके आरक्षण और संविधान का मुददा छेड दिया . साथ ही संघ को सीधी चुनौती देते हुए जातिगत जनगणना की बात कर दी .. राहुल के इस हमले से आर एस एस और भाजपा तिलमिला उठी है और देवेंद्र फणनवीस ने इस तरह की बात करने वालो को अरबन नक्सल बोल दिया . देवेंद्र ने तो यहां तक कह दिया कि सौ से ज्यादा ऐसे संगठन है जो ये साजिश कर रहे हैं. मीडिया के लिए तो ये मसाला खबर है लेकिन ये दांव उल्टा पड़ सकता है .

हरियाणा चुनाव के बाद कहा जा रहा था कि दलित इस बार महाविकास आघाडी के साथ नहीं जायेगा लेकिन ये बहस फिर से महाराष्ट्र में दलितों को एकजुट कर सकती है . महाराष्ट्र में दलितों की संख्या करीब 13 प्रतिशत है और पिछली बार बड़ी संख्या में ये भाजपा के विरोध में गया था . लोकसभा चुनाव में राज्य में दलित मुस्लिम और मराठा गठजोड़ हो गया था . वो फिर से कंसोलिडेट होता दिखने लगा है . मुस्लिम तो पहले ही विरोध में थे जिसमें सीएम योगी आदित्यनाथ ने आकर बंटेगे तो कंटेगे का नारा दे दिया . इसकी तीखी प्रतिक्रिया मुस्लिम जगत में है . यहां तक कि एमआईएम के केंडिडेट परेशान है कि इससे फायदा महाविकास आघाडी को होगा .दूसरी तरफ मनोज जरांगे पाटिल ने पहले केंडिडेट देने का ऐलान किया और बाद में शऱद पवार के समझाने पर मान गये और कह दिया कोई केंडिडेट नहीं देंगे और साथ ही कह दिया कि समाज उन लोगों को वोट न दे जो आंदोलन के विरोध में है.
इस तरह मराठा और मुस्लिम तो विरोध दिख ही रहा है और अब दलित को नक्सल बताकर बीजेपी ने गलत दांव खेल दिया है . ये सच है कि महाराष्ट्र में दलित आँदोलन और राजनीति की जड़े बहुत गहरी है ये भी सच है कि कुछ संगठनों पर नक्सल होने का आरोप भी लगता रहा है लेकिन इसका फायदा बीजेपी को होने के बजाय नुकसान ही होगा . ये संगठन राज्य में अंदर तक पैठ रखते हैं और घऱ घर तक संविधान विरोध का नेरेटिव फिर से फैला सकते हैं.

मराठवाड़ा ,पश्चिम महाराष्ट्र और कोकण के दौरे के बाद मेरा पहला आंकलन यही है कि चुनाव अभी चढा नही है और बहुत से केंडिडेट होने के कारण लोग अभी उदासीन है और अब तक त्यौहार का मूड बना हुआ है . लोगों के उदासीन होने के कारण मतदान कम भी हो सकता है . बहुत से केंडिडेट होने के कारण मतदान बंटेगा और हार जीत का अंतर बहुत कम होगा . ऐसे में ना तो सरकार के पक्ष मे लहर है ना विरोध में लेकिन अगर ये दलित मुस्लीम मराठा का जाति कार्ड फिर से चल गया तो नुकसान महायुति को ही होगा .

मराठावाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र में शरद पवार का गहरा असर दिखाई दे रहा है . शरद पवार लगातार घूम रहे है और उनके केंड़िडेट भी बेहतर है . उनकी पार्टी में टूट होने के कारण उनको नये चेहरे देना आसान हो गया इसलिए सबसे कम बगावत उनकी पार्टी में ही है . शऱद पवार चुनाव में अप्रत्याशित परिणाम दे सकते हैं. पवार की लोकप्रियता का फायदा कांग्रेस और शिवसेना दोनों को मिलता हुआ दिख रहा है .

शिवसेना उदधव ठाकरे का घऱ अभी तक बहुत व्यवस्थित नही हो पाया है . मजबूत केंडिडेट और धन की कमी के कारण उनका प्रचार अब तक जोर नहीं पकड़ा है ..हालांकि उदधव कुल 46 रैली करने वाले है जिसके साथ माहौल बनेगा पर उनकी भी आस अब तक दलित मुस्लिम मराठी वोटों के गठजोड़ पर ही है . उदधव ठाकरे के नेता मानते है कि पार्टी को कई चुनौतियों सामना करना पड़ रहा है और उसके पास अभी बेहतर मैनेजर नही है लेकिन फिर भी पार्टी का परफारमेंस ठीक होगा और चालीस से ज्यादा सीट आ सकती है

राहुल गांधी ने कहा कि संविधान से ही सरकार की अलग-अलग संस्थाएं बनती हैं। अगर संविधान नहीं होता तो इलेक्शन कमीशन भी नहीं बनता। संविधान से हिंदुस्तान का एजुकेशन सिस्टम बना है। अगर ये हट गया तो आपको एक पब्लिक स्कूल, पब्लिक अस्पताल, पब्लिक कॉलेज नहीं मिलेगा। बीजेपी पर हमला करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि जब आरएसएस और बीजेपी के लोग संविधानपर आक्रमण करते हैं, तो वे हिंदुस्तान की आवाज़ पर आक्रमण कर रहे हैं

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