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महाराष्ट्र के नाटक का क्या फायदा या बीजेपी नुकसान में

महाराष्ट्र में दलबदल और बीजेपी के एनसीपी के सरकार बनाने के दस दिन बीत गये हैं और अब इस बात पर बहस हो रही है कि इस पूरी उठापटक या खेल का फायदा बीजेपी को मिलेगा या नुकसान . शुरुआती रुझान यही बता रहे है कि खुद बीजेपी समर्थक या बीजेपी का कोर वोटर इस खेल से खुश नहीं है और उनको लगता है कि भाजपा को इसे करने की जरुरत नहीं थी .
शरद पवार की हैसियत
असल में बीजेपी ने इस खेल के जरिये शरद पवार को उनकी हैसियत दिखाने की कोशिश की है . पिछले महीने से ही उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस ने शरद पवार पर हमले शुरु कर दिये थे और
कहा जा रहा है पवार जिस तरह से राज्य में महाविकास आघाड़ी और केन्द्र में विपक्ष की एकजुटता की कोशिश कर रहे थे उसे ही तोड़ने के लिए ये सब किया गया . लेकिन सी वोटर के सर्वे में साफ पता चलता है कि राज्य में 58 प्रतिशत लोग मानते है कि शऱद पवार फिर से अपनी पार्टी खड़ी करने में कामयाब होगें. दस दिन बीत गये है लेकिन अब तक अजीत पवार अपने पास 53 में से दो तिहाई यानि 36 विधायक सामने नही ला पाये हैं. 17 जुलाई से विधानसभा का सत्र भी शुरु हो रहा है उस समय कुछ विधायकों का मन पलट सकता है. कुल मिलाकर शऱद पवार इतने बड़े झटके से भी संभलते नजर आ रहे हैं. पवार ने राज्य का दौरा भी शुरु कर दिया है जिससे उनको और सहानुभूती मिल सकती है..
एकनाथ शिंदे को नुकसान ..
इस महीने के खेल से सबसे बड़ा नुकसान एकनाथ शिंदे को होता दिख रहा है . शिंदे ने पिछले महीने एक सर्वे मे अपनी लोकप्रियता 26 फीसदी तक दिखा दी थी लेकिन इस खेल के बाद आम लोगों को लगने लगा है कि शिंदे को बीजेपी कभी भी किनारे लगा सकती है .स्पीकर ने भी उनके 40 विधायकों को सात दिन में जवाब का नोटिस दिया है इसके बाद 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला आ सकता है. इस बीच शिंदे की लोकप्रियता तेजी से घट रही है ग्रामीण इलाकों के सर्वे में वो केवल 9 प्रतिशत तक आ गये है. शिंदे को अब अपने ही विधायकों को मनाना पड़ रहा है और एनसीपी के साथ सत्ता की हिस्सेदारी पर सफाई देनी पड़ रही है .राजनीतिक के जानकारों के अनुसार अब शिंदे की हैसियत एकदम कम हो गयी है और वो बीजेपी से कोई बारगेन नही कर सकते .
बीजेपी को फायदा या नुकसान.
महाराष्ट्र में हर कोई इस बात पर चर्चा कर रहा है कि बीजेपी ने ये क्यों किया . यहां तक कि खुद बीजेपी विधायक भी सवाल पूछ रहे है कि जिस एनसीपी को कुछ दिन पहले पीएम मोदी ने करप्ट कहा था उसे ही साथ में क्यों ले लिया ..लेकिन इसके पीछे की एक बड़ी वजह लोकसभा चुनाव की चुनौती बताया जा रहा है कहा जा रहा है कि बीजेपी के सर्वे में पता चला था कि शिंदे के साथ मिलकर वो लोकसभा की 48 सीटों में से राज्य में बीस भी नहीं जीत पायेंगे ..पिछली बार बीजेपी ने 23 और उनकी सहयोगी शिवसेना ने 18 सीट जीती थी . बीजेपी लोकसभा में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती इसलिए ये खेल किया गया . लेकिन अब भी इस बात में संदेह है कि सीटों में सीधे बहुत बढ़ोत्तरी होगी. अगर शिंदे ,बीजेपी और अजीत पवार की सरकार में आपस में खीचतान चलती रही तो निश्चित तौर पर चुनाव में नुकसान होगा और इसका असर लोकसभा की सीटों पर भी होगा.
कुल मिलाकर अभी ये कहना मुश्किल है कि बीजेपी को इस खेल से कितना फायदा होगा या नुकसान लेकिन इतना तय है कि जिस तरह से ये हुआ इससे पूरे देश की छोटी पार्टिंया चौकन्नी जरुर हो गयी है कि बीजेपी उनको तोड़ सकती है .

-संदीप सोनवलकर

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