सादगी की मिसाल हैं बिहार के ये सीनियर आइएएस
पटना। ये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव हैं। गृह, कैबिनेट जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी इनके जिम्मे है। नाम है डॉ. एस. सिद्धार्थ। 1991 बैच के हैं। तमिलनाडु के रहने वाले हैं और अपनी सादगी और इमानदारी के कारण नीतीश कुमार के बेहद करीबी हैं। सादा जीवन-उच्च विचार के कारण हमेशा चर्चा में रहते हैं। कभी रिक्शे की सवारी तो कभी नुक्कड़ पर चाय पीते उनकी तस्वीर वायरल होती रहती है।
एकबार फिर डॉ. सिद्धार्थ रविवार को एक तस्वीर वायरल होने के बाद चर्चा में आए। कारण, वही उनकी सादगी और आम जनजीवन। दरअसल, रविवार को छुट्टी का दिन था। शाम को घर से झोला उठाया और खुद बिना किसी तामझाम के चल दिये सब्जी खरीदने। राजधानी पटना के राजेन्द्र नगर सब्जी मंडी से अपनी पसंद की करेला, भिंडी, नींबू जैंसी सब्जियां खरीदी और खुद थैला उठाए पैदल ही घर की ओर चल दिये। चाहते तो एक इशारे में सुख-सुविधाओं की लाइन लग जाती। चर्चा इसलिए भी लाजिमी है, क्योंकि जहां कई नौकरशाह की पत्निंयां तक पूरे ठाठ-बाट और गनर के साथ मार्केटिंग के लिए निकलतीं हैं तो सीनियर आइएएस और मुख्यमंत्री के करीबी होने के बावजूद डॉ. सिद्धार्थ का जीवन पूरी तरह सादगी भरा है।
इससे पहले भी कई बार वे किसी नुक्कड़ पर अपनी पंसद की लिट्टी-चोखा तो कहीं नुक्कड़ पर चाय और कहीं अपनी पसंद की अन्य स्ट्रीट फुड खाते कई बार नजर आये हैं। उनको ना पहचानने वाला कोई आम शख्स यह विश्वास ही नहीं कर पायेगा कि ये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव हैं। इनकी सादगी ही है कि मुख्यमंत्री भी उनपर पूरा भरोसा करते हैं। जनहित के मुद्दों पर अहम निर्णयों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
बता दें कि डॉ. एस. सिद्धार्थ 1991 बैच के सीनियर आइएएस अधिकारी हैं। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली से सूचना प्रौद्योगिकी में डॉक्टरेट की डिग्री (पीएचडी) हासिल की है। उन्होंने आइआइटी दिल्ली से ही 1987 में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग में स्नातक (बीटेक) किया। भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) अहमदाबाद से 1989 में एमबीए भी किया। वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से अर्थशास्त्र में पीएचडी भी हैं। फिलहाल मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव हैं। उनके पास वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और कैबिनेट सचिवालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव का पद भी है। वह एलएन मिश्रा इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक डेवलपमेंट एंड सोशल चेंज के निदेशक भी हैं। वह पटना में सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस के अध्यक्ष और निदेशक भी हैं। सारी सुविधाओं के बावजूद वे ठाठ से नहीं, बल्कि आम आदमी की तरह जीवन जीते हैं।