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कोरोना काल के बाद बॉलीवुड को बड़ी चुनौती

मुंबई. करीब दो साल से कोरोना जैसी महामारी के कारण ठप पड़े बॉलीवुड को नये साल के आगमन के साथ नयी चुनौतियों का सामना करने के लिये तैयार रहना होगा. देश में एक अप्रैल से कोरोना से जुड़ी लगभग सारी पाबंदियां समाप्त हो चुकी हैं और सिनेमाघर पूरी क्षमता के साथ शुरू हो चुके हैं. ऐसे में अब बड़ी फिल्मों का इंतजार है लेकिन साउथ के सिनेमा से मिल रही बड़ी चुनौती से भी हिंदी फिल्म के निर्माताओं के सिर चकरा गये हैं.

हालांकि बॉलीवुड ने भी कमर कस ली है. सिनेमाघर 100 प्रतिशत क्षमता के साथ शुरू होते ही अब ब़ड़ी रिलीज की तैयारी चल रही है. अप्रैल में ही अभिषेक बच्चन की दसवीं, शाहिद कपूर की जर्सी, टाइगर श्राफ की हिरोपंति 2 और अजय देवगन और अमिताभ बच्चन की रनवे 34 आयेगी. इसके बाद के महीनों में रणवीर सिंह की जयेशभाई जोरदार, कंगना रनौत की धाकड़, अक्षय कुमार की पृथ्वीराज सहित शमशेरा, ब्रम्हास्त्र, लाल सिंह चड्ढा जैसी फिल्में होंगी.

दक्षिण भारतीय फिल्मों और उनके सितारों की लोकप्रियता के कारण अब प्रभास और अल्लू अर्जुन, घनुष, अजित, मोहन बाबू, विजय देवराकोंडा, चिंया विक्रम, खिचा सुदीप, पवन कल्याण, नागा चैतन्य, रामचरण तेजा, जूनियर एनटीआर, सूर्या, समान्था, रश्मिका मन्दाना जैसों का नाम घर घर गूंज रहा है. बॉक्स ऑफिस पर अभी पुष्पा की धमक कम नहीं हुई थी कि पिछले हफ्ते आई एसएस राजामौली की आरआरआर ने भी बड़ी कमाई कर ली. फिल्म ने दूसरे हफ्ते में ही 800 करोड़ रूपये वर्ल्डवाईड का धंधा कर लिया है, जिसमें 150 करोड़ हिंदी बेल्ट से है.

अभी तो ये शुरूआत जैसा लगता है. आने वाले समय में केजीएफ-2, टाइगर, एसवीपी, सहित कई साउथ से आने वाली फिल्मों से बड़ी हलचल मचने वाली है.साउथ ने बॉलीवुड के बड़े सितारों को छोटे छोटे रोल देना जारी रखा है. एन्थिरन (रोबोट) में एश्वर्या राय, अमिताभ बच्चन (सई रा नरसिम्हा रेड्डी) आरआरआर में आलिया भट्ट और अजय देवगन. ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा. दरअसल साउथ वाले इस बात को जान चुके हैं कि हिंदी फिल्म के कलाकारों के जरिये वो उस बड़े मार्केट को आसानी से कब्जे में ले चुके हैं जिसके लिये उन्होंने बरसों मेहनत की है. पुष्पा के अल्लू अर्जुन कहते हैं कि बॉलीवुड वालों का हमारी इंडस्ट्री में खुले दिल से स्वागत है लेकिन दिक्कत तो ये है कि साउथ के सितारों का स्टारडम इतना ज्यादा है कि यहां के दर्शक बाहर वालों को हजम ही नहीं कर पाते . जूनियर एनटीआर कहते हैं – फिल्मों में अब नॉर्थ और साउथ का अंतर खत्म । केवल इंडियन सिनेमा बचा है। और वही चलेगा.

बीते वर्षों में साउथ के डब कन्टेंट का बोलबाला इतना था कि कभी कोरियन या हॉलीवुड फिल्मों की रीमेक बनाने वाला बॉलीवुड तमिल, तेलुगु और मलयालम पर ज्यादा भरोसा करने लगा. सलमान खान और अक्षय कुमार इसमें काफी आगे रहे. खिलाडी कुमार की लाइफ में साउथ की रीमेक से राउडी राठौर बन कर जो मोड़ आया वो किसी से छिपा नहीं है. निश्चित रूप से बॉलीवुड के लिये साउथ की रीमेक का सौदा फायदा का ही रहा लेकिन ये बात उन्हें बाद में समझ में आई.

मनोज खाडिलकर

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

डिसक्लेमर- इस लेख में लेखक के विचार उनके निजी हैं.

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