प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर बात पर सरकार के खिलाफ आंदोलन करने वाले लोगों को एक नये नाम आंदोलनजीवी से संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे लोगों से बचकर रहने की जरुरत है .उन्होने ये भी कहा कि किसानों से बात करने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए सरकार के रास्ते खुले हैं.
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुयी चर्चा का जवाब देते हुए श्री मोदी ने कहा कि हम लोग कुछ शब्दों से बड़े परिचित हैं- श्रमजीवी, बुद्धिजीवी, ये सारे शब्दों से परिचित हैं। लेकिन मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से देश में एक नई जमात पैदा हुई है, एक नई बिरादरी सामने आई है और वो हैं आंदोलनजीवी। ये जमात आप देखोगे- वकीलों का आंदोलन है, वो वहां नजर आएंगे; स्टूडेंट का आंदोलन है, वो वहां नजर आएंगे; मजदूरों का आंदोलन है, वो वहां नजर आएंगे, कभी पर्दे के पीछे कभी पर्दे के आगे। एक पूरी टोली है ये जो आंदोलनजीवी है। वो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते हैं और आंदोलन में से जीने के लिए रास्ते खोजते रहते हैं। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा, जो सब जगह पर पहुंच करके और बड़ा ideological stand दे देते हैं, गुमराह कर देते हैं, नए-नए तरीके बता देते हैं।
उन्होनें कहा कि देश आंदोलनजीवी लोगों से बचे, इसके लिए हम सबको…और ये उनकी ताकत है…उनका क्या है, खुद खड़ी नहीं कर सकते चीजें, किसी की चल रही हैं तो जाकर बैठ जाते हैं। वो अपना…जितने दिन चले, चल जाता है उनका। ऐसे लोगों को पहचानने की बहुत आवश्यकता है। ये सारे आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं। और यहां पर सब लोगों को मेरी बातों से आनंद इसलिए होगा कि आप जहां-जहां सरकारें चलाते होंगे, आपको भी ऐसे परजीवी आंदोलनजीवियों का अनुभव होता होगा। और इसलिए, उसी प्रकार से एक नया चीज मैं चीज देख रहा हूं। देश प्रगति कर रहा है, हम FDI की बात कर रहे हैं, Foreign Direct Investment. लेकिन मैं देख रहा हूं इन दिनों एक नया एफडीआई मैदान में आया है। ये नए एफडीआई से देश को बचाना है। एफडीआई चाहिए, Foreign Direct Investment. लेकिन ये जो नया एफडीआई नजर में आ रहा है, ये नए एफडीआई से जरूर बचना होगा और ये नया एफडीआई है Foreign DestructiveIdeology, और इसलिए इस एफडीआई से देश को बचाने के लिए हमें और जागरूक रहने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने किसानों को बातचीत का न्यौता देते हुये कहा कि
हमने नए-नए उपाय खोज करके आगे बढ़ना होगा और जैसा मैंने कहा कि कोई भी, कई कानून है हर कानून में दो साल बाद पांच साल के बाद, दो महीने, तीन महीने के बाद सुधार करते ही करते हैं। हम कोई स्टेटिक अवस्था में जीने वाले थोड़े ही हैं जी… जब अच्छे सुझाव आते हैं तो अच्छे सुधार भी आते हैं। और सरकार भी अच्छे सुझावों को और सिर्फ हमारी नहीं हर सरकार ने अच्छे सुझावों को स्वीकारा है यही तो लोकतांत्रिक परंपरा है। और इसलिए अच्छा करने के लिए अच्छे सुझावों के साथ अच्छे सुझावों की तैयारी के साथ हम सबको आगे बढ़ना चाहिए। मैं आप सबको निमंत्रण देता हूं। आइए हम देश को आगे ले जाने के लिए, कृषि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करने के लिए, आंदोलनकारियों को समझाते हुए हमने देश को आगे ले जाना होगा। हो सकता है कि शायद आज नहीं तो कल जो भी यहां होगा किसी न किसी को ये काम करना ही पड़ेगा। आज मैंने किया है गालियां मेरे खाते में जाने दो… लेकिन ये अच्छा करने में आज जुड़ जाओ। बुरा हो मेरे खाते में, अच्छा हो आपके खाते में… आओ मिलकर के चलें। और मैं लगातार हमारे कृषि मंत्री जी लगातार किसानों से बातचीत कर रहे हैं। लगातार मीटिंगें हो रही हैं। और अभी तक कोई तनाव पैदा नहीं हुआ है। एक दूसरे की बात को समझने और समझाने का प्रयास चल रहा है। और हम लगातार आंदोलन से जुड़े लोगों से प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है। लेकिन इस प्रकार से बुजूर्ग लोग वहां बैठे ये ठीक नहीं। आप उन सबको ले जाइए। आप आंदोलन को खत्म कीजिए आगे बढ़ने के लिए मिल बैठ करके चर्चा करेंगे रास्ते खुले हैं। ये सब हमने कहा है मैं आज भी ये सदन के माध्यम से भी निमंत्रण देता हूं।