बिहार में बदलाव हो सकता है .
बिहार में इस बार बदलाव की बयार है .बिहार में हुये सर्वे के अनुसार बिहार में इस बार बदलाव हो सकता है और नीतिश कुमार के खिलाफ लगातार एंटी इनकंबेसी सामने आ रही है . हालांकि एनडीए का गठबंधन सबसे बड़ा हो सकता है लेकिन चिराग पासवान किंग मेकर की भूमिका में उभर सकते है. शुरुआती रुझान के अनुसार सबसे ज्यादा नुकसान नीतिश कुमार और जेडीयू को ही होगा.
हालांकि एनडीए गठबंधन जिसमें बीजेपी और जेडीयू के साथ जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी शामिल है अभी आगे दिख रही है . इंडिया टुडे के सर्वे के अनुसार एनडीए को 38 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं जबकि आरजेडी कांग्रेस के गठबंधन को 28 फीसदी . फिर भी चुनाव बाद किसी भी गठबंधन को साफ बहुमत के लिए दूसरों से हाथ मिलाना होगा.
हमारे अनुमान के अनुसार
कुल सीट 243
एनडीए 120 से 135
महागठबंधन 94 से 114
अन्य 35 से 42
असल में एलजेपी के अलग हो जाने के कारण हालात बडे उलझ गये है. एक तरफ जहां नीतिश कुमार के खिलाफ एंटी इनकंबेसी है वहीं दूसरी तरफ एलजेपी ने हर जगह पर जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं. जिससे नीतिश को खतरा पैदा हो गया है . एलजेपी के चिराग पासवान लगातार पीए मोदी की तारीफ कर रहे है और कह रहे है कि वो असल में बीजेपी की सरकार बनाना चाहते है नितीश की नहीं .
बिहार में दूसरा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है जिसको बंटवारे में तो 70 सीट मिल गयी है लेकिन सीट बंटवारे में गडबडी और कांग्रेस लीडरशिप के कन्फ्यूजन के चलते अब तक कांग्रेस का माहौल नहीं बन पा रहा है कांग्रेस को पूरा सहारा आरजेडी का ही
है . कई जगहों पर निर्दलीय प्रत्याशी भी जीत सकते है क्योंकि इस बार बिहार के लोग पार्टी के साथ साथ उम्मीदवार को भी तरजीह दे रहे हैं.
मसलन चंपारण के गोविंदगंज सीट पर इस बार युवा उघमी और सामाजिक कार्यकर्ता सर्वेश तिवारी उतर गये हैं यहां पर एलजेपी ने राजन तिवारी और कांग्रेस ने रेप के आरोपी ब्रजेश पांडे को उम्मीदवार बनाया है . दोनो दागी है ऐसे में लोग नये उम्मीदवार को चुन सकते हैं. बिहार में इस बार सोशल मीडिया से चुनाव लडा जा रहा है इसलिए युवा बडी संखया में बदलाव की तरफ भी देख रहे हैं.