newsmantra.in l Latest news on Politics, World, Bollywood, Sports, Delhi, Jammu & Kashmir, Trending news | News Mantra
News Mantra: Exclusive

अब कोरोना को नियंत्रित नहीं मैनेज करने की जरुरत

कोरोना काल के चालीस दिन पूरे होने को है और देश पूरी तरह से लगभग लाकडाउन की स्थिति में है . सरकार की सबसे बडी चुनौती यही है कि तीन मई के बाद क्या किया जाये .क्योकि एक तरफ जहां लोगों की जान बचानी है वहीं जहान यानी रोजगार को भी बचाना है . एक अनुमान के अनुसार अकेले मार्च अप्रैल में ही चार करोड से जयादा रोजगार का नुकसान हुआ है और इसे आगे नहीं ले जाया जा सकता .

मुझे लगता है कि केन्द्र से लेकर राज्य सरकार इस विचार में लगी है कि कैसे इससे रास्ता निकाला जाये . सबसे पहले तो एक सोच होना जरूरी है . वो ये कि अब कोरोना को नियंत्रित यानि कंट्रोल करने की नहीं बल्कि मैनज करने की जरुरत है . देश में अब कोरोना के रेड जोन .ग्रीन जोन और आरेंज जोन की पहचान ह चुकी है .खुद आईसीएमआर भी मानता है कि अब तक देश में आ रहे मामलों में से 85 प्रतिशत से ज्यादा ए सिम्टमेटिक यानि बिना लक्षण वाले है इनमें से ज्यादातर लोग बिना किसी इलाज के ही ठीक हो रहे हैं .जाहिर है भारत को इससे बडी राहत मिल सकती है. ऐसे में केन्द्र सरकार को राज्य सरकारों से मिलकर मेनेजमैट की तैयारी करनी होगी .

मसलन तीन मई के बाद कितनी दुकाने कौन सी दुकाने खुलनी है ये केवल दिलली में गृहमंत्रालय तय नहीं करे बल्कि राज्यो को इसका पूरा अधिकार दिया जाये .कई राज्य शराब की दुकाने खोलने की बात कर रहे है क्योकि वो राज्यो के लिए आय का बड़ा स्त्रोत है . जीएसटी में भारी कमी दिख रही है ऐसे में राज्यो को नये आय के सत्रोत शराब से आय .पेट्रोल डीजल पर सेस और रजिस्ट्री में छूट जैसे उपाय करने होगे .अब इनकी नीति राज्य ही तय करे केन्द्र नहीं .

दूसरा मसला मजदूरों की वापसी का है .हर राज्य अलग अलग बात कर रहा है ऐसे में एक नीति बने और राज्यो को अपने हिसाब से मैंनेज करने दिया जाये .यानि केन्द्र कहे कि लाकडाउन तो है पर अगर राज्य पास देते है तो वो देश भर में मान्य हो .अभी राज्यो के पास उनके ही राज्य में चल रहे है वापसी के लिए राज्यो के आपस में बात करनी पड रही है . मजदूरों की वापसी और उनको चौदह दिन के क्वारांटाईन में अब तक केन्द्र की तरफ से सीधे राज्यो को पैसा नहीं मिल रहा .अनाज तो बांटा जा रहा है लेकिन राज्यो को मुफ्त अनाज देने पर कोई फैसला नहीं हुआ .केन्र्दीय नीति के हिसाब से राज्यो को अगर एफसीआई से अनाज चाहिये तो चावल 15 रुपये किलो और गेंहू 8 रुपये किलो की दर से मिलेगा .राज्यो के पास इतना खर्च उठाने की हिम्मत नहीं बची .

एक और बड़ा सवाल इँफ्रा के कामो को लेकर है .ज्यादातर राज्य सरकारें केन्द्र प्रयोजित योजना को ही करना चाहती है .कई शहरो में मेट्रो और हाईवे के काम चल रहे है लेकिन अब राज्यो को अपना हिससा जो ज्यादा जगह 25 फीसदी है वो देने में मुश्किल होगी . ऐसे में कोरोना के बाद केनद्र पर राज्रयो की निर्भरता बढती जायेगी .

कोरोना काल के बाद सबसे बड़ा खतरा यही है कि कही केन्द्रीयकरण की राजनीती फिर से पूरी तरह हावी तो नहीं हो जायेगी . राज्यो को हर बार पैसे के लिए केन्द्र की तरफ देखना होगा तो केन्द्र अपनी राजनीती के हिसाब से मदद करेगा .अभी बडी नीति निवेश को लेकर भी बननी है . कई देश अब भारत में निवेश करना चाहते है . हर राज्य उनको अपनी तरफ खींचेगा .ऐसे में केन्द्र को बताना होगा कि कौन सा धंधा कहा लगे . इस पर खींचतान होगा .

Related posts

Srinivasa Raghavan Appointed Chairman of NEXUS Automotive International

Newsmantra

Sushant’s death was a suicide not murder

Newsmantra

Rise of Women Entrepreneurs in the Digital Age

Newsmantra

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More