newsmantra.in l Latest news on Politics, World, Bollywood, Sports, Delhi, Jammu & Kashmir, Trending news | News Mantra
News Mantra: Exclusive

हार्दिक गये नहीं भगाये गये कांग्रेस से

गुजरात कांग्रेस के कार्याध्यक्ष होकर भी पार्टी से ऐन चुनाव से पहले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफा अपने मन से नहीं मजबूरी में दिया है .असल में वो कांग्रेस से गये नहीं गुजरात कांग्रेस के नेताओं ने ही उनको कांग्रेस से भगा दिया और आखिरी कील मारी थी खुद कांग्रेस में अपनी जगह खो देने वाले रणनीतीकार प्रशांत किशोर ने ..

अंदर की कहानी ये है कि हार्दिक पटेल जब से कार्याध्यक्ष बनाये गये उसके बाद से ही कांग्रेस में खुद को अकेला पा रहे थे लेकिन उनकी मुश्किलें पिछले साल उस समय से और बढ़ गयी जब लोकल बाडी चुनाव में उनके समर्थकों को टिकट ही नही दिया गया. सबसे बड़ा झगड़ा हुआ सूरत में टिकट को लेकर जब उस समय के गुजरात प्रभारी और अब दिवंगत राजीव सातव ने अपने तरीके से हार्दिक को साइडलाइन करना शुरु किया . करोना काल में केवल सातीव ही ऐसे कांग्रेसी थे जो लगातार राहुल गांधी से मिल रहे थे . राजीव सातव ,के सी वेणुगोपाल और शक्तिसिंह गोहिल की तिकड़ी ने राहुल गांधी के ऐसे कान भरे कि राहुल ने हार्दिक को तरजीह देना बंद कर दिया .इसके बाद हार्दिक ने प्रियंका गांधी से करीबी बढाने की अपील की लेकिन वो भी हार्दिक को न्याय नहीं दिला सकी और आखिर में जब चार महीने पहले से प्रशांत किशोर ने सलाह देना शुरु किया तो राहुल को ये समझा दिया कि हार्दिक की कोई बखत नहीं और प्रशांत किशोर ने खोडियार धाम के प्रमुख नरेश पटेल जो खुद भी पाटीदारों के नेता है उनको बढाया .हार्दिक को लग गया कि अगर नरेश पटेल कांग्रेस में आ गये तो पाटीदारों के नेता नरेश पटेल होंगे हार्दिक नहीं .आखिरकार कांग्रेस की आपसी खींचतान के बीच दो महीने पहले जब बीजेपी के एक बड़े नेता ने हार्दिक से संपर्क किया तो हार्दिक को कांग्रेस छोड़ने के फायदे बताये गये . फिर हार्दिक के ऊपर चल रहे केस हटना शुरु हो गये और उनके जाने की भूमिका बन गयी. ये तभी हो गया था कि हार्दिक जायेंगे लेकिन राहुल ने ये अवसर भी गंवा दिया.

हार्दिक भले जा रहे थे लेकिन राहुल को सार्वजनिक तौर पर उनको बुलाकर मिलना चाहिये था और ये दिखाना था कि कांग्रेस को  हार्दिक की जरुरत है और तब हार्दिक जाते तो कहने को हो जाता कि वो तो बीजेपी के ट्रेप में चले गये . तब हार्दिक उपेक्षा का आरोपभी नहीं लगा पाते लेकिन राहुल के दरबार की हालत ये है कि कोई भी तेजतर्रार नेता को उनके दरबारी टिकने ही नहीं देते. आसाम के हेमंत विश्वशर्मा से लेकर हार्दिक तक ये फेरहिस्त लंबी है.

अब जाहिर है गुजरात चुनाव में कांग्रेस की मुश्किलों काअंत नहीं . एक तरफ तो अहमद पटेल जैसा अनुभवी नेता नहीं दूसरा अब कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं जिसकी दम पर वो सरकार बनाने का विकल्प भी दे सके . नरेश पटेल आ गये तो अलग बात लेकिन पार्टी की अंदरुनी लड़ाई तो उनका भी रास्ता रोक सकती है. .

संदीप सोनवलकर

Related posts

The third edition of Granules Green Heartfulness Run witnesses more than 40000 participants to raise a green cover of 10000 plants

Newsmantra

Evacuation of Indian citizens from Iran

Newsmantra

Johnson’s Baby’s cream, the secret behind a baby’s soft and irresistible cheeks

Newsmantra

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More