लोग भले माने या माने या इसे खारिज करने की कोशिश करें लेकिन ये तय है कि तीन दिसंबर को पांच राज्यों के चुनावी परिणामों का दूरगामी असर होगा . सबसे बड़ा असर मनोबल पर होगा जीत हार से ज्यादा . कांग्रेस अगर तीन राज्य मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ और तेलंगाना जीत गयी तो वो देश में विरोधी मोर्चे इंडिया गठबंधन को लीड करने की दावेदार होगी वहीं बीजेपी जीती तो पार्टी में आयी सुस्ती हटेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा में फिर से बड़ी जीत का रास्ता तय होगा.
सबसे मजेदार चुनाव तेलंगाना को होगा क्योंकि कांग्रेस अगर जीत जाती है तो कर्नाटक के बाद दक्षिण का सबसे बड़ा उलटफेर होगा . इसके दो संदेश होंगे एक तो कांग्रेस की दक्षिण में दमदार वापसी का रास्ता खुलेगा दूसरा बीजेपी के दक्षिण का दरवाजा बंद हो सकता है. इसलिए पूरे चुनाव में बीजेपी का जोर इस बात पर रहा कि भले उसे सीट कम मिले लेकिन बीआरएस जीतना चाहिये कांग्रेस नहीं . राहुल गांधी ने इसका खुलासा भी किया कि बीजेपी के दो यार ओवेसी और केसीआर लेकिन चुनाव परिणाम के बाद सब भूल जायेगें .
उधर मध्यप्रदेश का चुनाव भी कम दिलचस्प नहीं है . अनुमान बता रहा है कि जीत का अंतर कांग्रेस और बीजेपी में दस से बारह सीटों का ही होगा यानि 2018 की तरह ही मामला फंस सकता है . पिछली बार 35 सीटें ऐसी थी जिन पर अंतर पांच हजार से कम वोटों का था इन्ही पर जोर दोनों ने लगाया है. इसके अलावा बीजेपी ने सांसदों और मंत्रियों को चुनाव में उतारकर चुनाव को उठा दिया है. कहा जा रहा है कि गुजरात की तरह ही बीजेपी एमपी को अपनी प्रयोगशाला मानती है और चुनाव जीतने के लिए सब कुछ किया गया है. कांग्रेस में तकलीफ ये कि कर्नाटक जीतने के बाद वो ओवर कांफिंडेस मे है इसलिए चुनाव पूरी तरह के कमलनाथ पर छोड़ दिया गया है और वो ही जीत हार के जिम्मेदार होंगे . ऐसे में खेल उलट भी सकता है.
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल में मोर्चा संभालकर रखा है और वो जीत के करीब भी है लेकिन बीजेपी ने नक्सल बहुल इलाकों में पहले राउंड में बहुत मेहनत की और वहां बीजेपी को बीस में से 7 या आठ सीट मिल सकती है जबकि पिछली बार यहां 20 में 19 सीट कांग्रेस ले गयी थी ये अंतर भी जीत के मार्जिन को कम कर सकता है. दूसरी तरफ राजस्थान में भले ही अशोक गहलोत ने चुनाव ठीक से लड़ा है लेकिन ये इबारत साफ है कि कांग्रेस किसी भी हालत में 70 सीट से आगे नहीं जा रही है . गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई में हार कांग्रेस की ही होगी .
इन चुनाव परिणामो का असर राष्ट्रीय राजनीती पर जरुर होगा . इंडिया गठबंधन में कांग्रेस अभी किसी से बात नहीं कर रही है .अगर कांग्रेस तीन राज्य जीत गयी तो वो बारगेन करने की हालत में होगी अगर हारी तो झुककर काम करना होगा तब रीजनल पार्टियां हावी हो जायेगी साथ ही कांग्रेस के बहुत से नेता देशभर में इंतजार कर रहे हैं कांग्रेस हारी तो अगला प्रयोग महाराष्ट्र और कर्नाटक में जल्द हो सकता है. कांग्रेस अगर जीत गयी तो फिर देश की हवा पलटेगी और बीजेपी को अगला लोकसभा चुनाव कठिन होगा .यानि सेमीफाइनल जीत हार से ज्यादा मनोबल पर असर डालेगा .
-संदीप सोनवलकर वरिष्ठ पत्रकार