नई दिल्ली: रत्नागिरी गैस एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड (RGPPL) के संज्ञान में यह आया है कि कुछ पूर्व सैनिकों का एक समूह भ्रामक, अपूर्ण एवं तथ्यहीन जानकारी प्रसारित कर RGPPL की छवि को नुकसान पहुँचाने का प्रयास कर रहा है। RGPPL इस प्रकार के सभी आरोपों का कड़े शब्दों में खंडन करता है तथा इस विषय में तथ्यात्मक और सही स्थिति स्पष्ट करना आवश्यक समझता है।
वर्ष 1997–98 के दौरान तत्कालीन दाभोल पावर कंपनी (DPC) ने अपनी सहयोगी इकाई ऑफशोर पावर ऑपरेशन (OPO) के माध्यम से परियोजना की सुरक्षा के लिए पूर्व सैनिकों की तैनाती की थी। वर्ष 2000–01 में, एनरॉन के दिवालिया होने के बाद DPC ने रत्नागिरी स्थित डबोल परियोजना को अधूरा छोड़ दिया। इसके पश्चात माननीय बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त कोर्ट रिसीवर ने परियोजना स्थल एवं उससे संबंधित परिसंपत्तियों का कब्ज़ा संभाल लिया।
परियोजना स्थल की सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए कोर्ट रिसीवर द्वारा एक निजी सुरक्षा एजेंसी को नियुक्त किया गया, जिसके अंतर्गत पूर्व सैनिक सुरक्षा कार्य करते रहे।
भारत सरकार के मंत्रियों के समूह (GoM) की निगरानी में जुलाई 2005 में रत्नागिरी गैस एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड (RGPPL) का गठन किया गया। यह कंपनी NTPC लिमिटेड, गेल (इंडिया) लिमिटेड, विभिन्न वित्तीय संस्थानों तथा MSEB होल्डिंग कंपनी के बीच स्थापित एक संयुक्त उपक्रम है।
माननीय बॉम्बे हाई कोर्ट के दिनांक 05/06 अक्टूबर 2005 के आदेश (मुकदमा संख्या 1116/2005) के तहत RGPPL ने दाभोल पावर कंपनी की परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया। उक्त आदेश में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित था कि परिसंपत्तियों का यह हस्तांतरण किसी भी प्रकार की पूर्व देनदारी या कानूनी उत्तरदायित्व के बिना किया जाएगा।
परियोजना का अधिग्रहण करने के पश्चात, RGPPL ने सभी निर्धारित नियमों एवं प्रक्रियाओं का पालन करते हुए दिसंबर 2006 में टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से एक नई सुरक्षा एजेंसी को सुरक्षा कार्य का ठेका प्रदान किया। इसके बाद से संबंधित पूर्व सैनिक किसी भी रूप में RGPPL द्वारा नियुक्त किसी सुरक्षा एजेंसी के अधीन कार्यरत नहीं रहे हैं। यह स्पष्ट किया जाता है कि ये पूर्व सैनिक न तो कभी RGPPL के कर्मचारी रहे हैं और न ही NTPC के पेरोल पर।
इस बीच, संबंधित पूर्व सैनिकों ने दाभोल पावर कंपनी (DPC) के विरुद्ध रत्नागिरी के सहायक श्रम आयुक्त के समक्ष वाद दायर किया। वर्ष 2006 से 2010 के बीच, इन मामलों में RGPPL को भी पक्षकार बनाया गया। उक्त मामलों को श्रम न्यायालय, रत्नागिरी को संदर्भित किया गया, जबकि पूर्व सैनिकों के एक संघ से संबंधित मामला औद्योगिक न्यायालय, कोल्हापुर में भेजा गया।
विस्तृत सुनवाई के उपरांत, श्रम न्यायालय, रत्नागिरी एवं औद्योगिक न्यायालय, कोल्हापुर — दोनों ने ही RGPPL के पक्ष में निर्णय देते हुए मामलों का निपटारा कर दिया। इसके पश्चात, संबंधित पूर्व सैनिकों द्वारा माननीय बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील दायर की गई है, जो वर्तमान में विचाराधीन है।
RGPPL का मानना है कि वर्तमान में प्रसारित की जा रही जानकारी तथ्यों से परे है और इससे कंपनी की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके पीछे किसी दुर्भावनापूर्ण या छिपे हुए उद्देश्य की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। RGPPL ऐसे सभी भ्रामक आरोपों का सख्ती से खंडन करता है और अपने कानूनी अधिकारों की रक्षा हेतु सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।
