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एनटीपीसी सीपत ने तैयार किया 60 करोड़ का प्रोजेक्ट: फ्लाई ऐश से बनेगी गिट्टी व रेत

पर्यावरण  प्रदूषण  की गंभीर  समस्या से निपटने  की दिशा में एनटीपीसी सीपत ने नैनो क्रांकीट एग्रीगेट (एनएसीए) टेक्नोलाजी से फ्लाई ऐश से रेत व गिट्टी के निर्माण की पहल की है। गिट्टी का निर्माण तो शुरू हो गया है। एनटीपीसी सीपत ने इसके लिए 60 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया है। आने वाले छह माह के अंदर रेत निर्माण भी शुरू हो जाएगा।

वर्तमान में  रोजाना दो टन गिट्टी का निर्माण हो रहा है।  इस सामग्री का उपयोग एनटीपीसी अपने संयंत्र व कालोनियों में करेगा। इससे पर्यावरण को दोहरा लाभ मिलेगा। एक तो फ्लाई ऐश का शत-प्रतिशत निपटान संभव होगा। दूसरा गिट्टी के लिए जमीन से लगातार हो रही पत्थर निकासी व क्रशर से उड़ने वाली खतरनाक स्टोन डस्ट की मात्रा में भी कमी आएगी।

संयंत्र के कार्यकारी निदेशक श्री  घनश्याम प्रजापति ने बताया कि राखड़ का उपयोग सीमेंट, वी-निर्माण इकाइयों, सड़क और फ्लाइओवर में किया जा रहा है। साथ ही सीपत में अब ईंट व टाइल्स के बाद गिट्टी व बालू का निर्माण भी प्रारंभ किया जा रहा है।

सीपत संयंत्र के महाप्रबंधक ऐश टेक्नोलाजी , श्री राजीव सत्यकाम ने बताया कि गिट्टी निर्माण में 80 से 90 प्रतिशत राख, 10 से 20 प्रतिशत सीमेंट या केमिकल प्रयोग किया जाता है।  इसमें 90 प्रतिशत राख, पांच प्रतिशत कोयला और पांच प्रतिशत वैटोनाइट है। इसमें पानी डालकर ग्रैन्यूलेटर्स व ड्रायर्स के जरिए मिश्रण की प्रोसेसिंग के बाद पैलेट्स तैयार किया जाता है। इसके बाद उसे 1,200 से 1,300 डिग्री सेल्सियस उच्च तापमान पर ले जाकर सिन्टरण (ठोस) किया जाता है। इसके बाद स्टोन तैयार किया जाता है। इसमें 2,500 रुपये प्रति क्यूबिक मीटर लागत आएगी।

90 प्रतिशत राख में पांच प्रतिशत सोडियम हाईड्राक्साइट व पांच प्रतिशत सोडियम सेलीगेट को पानी में मिक्स करते हैं। इसके बाद ओवन में मिक्स होकर रेत बनती है। बिजली संयंत्र से निकलने वाली राख में 80 प्रतिशत फ्लाई ऐश और 20 प्रतिशत बाटम ऐश होती है। बाटम ऐश को 50 प्रतिशत तक बालू की जगह उपयोग में लाया जा सकता है। इसके निर्माण में 1,200 रुपये प्रति क्यूबिक मीटर खर्च आएगा।

2,900 मेगावाट  क्षमता वाले  छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े   सीपत संयंत्र में प्रतिदिन 46 हजार टन कोयले की खपत होती है। करीब 23 हजार टन राख प्रतिदिन उत्सर्जित होती है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शत प्रतिशत राख के उपयोग के निर्देश जारी किए हैं।  वर्ष 2021-22 की केंद्रीय विद्युत नियामक प्राधिकरण की रिपोर्ट में सीपत संयंत्र में राख खपत का आंकड़ा 56.29 प्रतिशत रहा .

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