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वंचित मालामाल , कांग्रेस एनसीपी हुये बेहाल

वंचित मालामाल , कांग्रेस एनसीपी हुये बेहाल

संदीप सोनवलकर

 

महाराष्ट्र में कांग्रेस की बुरी तरह हार के कारण तलाश रहे कांग्रेसियों को एक बडा कारण मिल गया है . प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन  आघाडी .जी हां चुनाव परिणामों को अगर बारीक नजर से देखें तो जहां जहां कांग्रेस के उम्मीदवार हारे उनमें से ज्यादातर सीट पर वंचित बहुजन अघाडी को उतने ही वोट मिले जो हार का अंतर है . कई बार तो एक नजर में ऐसा लगता है कि मानो सब कुछ तय सा दिख रहा है . यानि उतने ही वोट जितने में हार जाये .

दरअसल चार महीने पहले ही बनी प्रकाश अंबडेकर की नई आघाडी में असददुदीन ओवैसी और प्रकाश अंबेडकर ने दलित . बौदध. अति पिछडा और मुस्लिम वोटों का समीकरण बनाया .इसलिए चुनाव मे उसे करीब 7.60 प्रतिशत वोट

मिले .इतने वोट कांग्रेस को हराने के लिए काफी थे  . चुनाव मे लग रहा था कि अंबेडकर  की पार्टी को मुस्लिम और दलित वोट नही देगे लेकिन उनको वोट मिले जाहिर है अब विधानसभा में कांग्रेस के लिए एक नई मुसीबत होगी . देखिये कांग्रेस

के दिगगज कैसे हारे वंचित के कारण .

हालांकि अंबेडकर खुद को बीजेपी की बी टीम नही मानते लेकिन जानकार मानते है कि ये सीएम देवेन्द्र फणनवीस की राजनीतिक समझ दिखाती है कि जो वोट विरोध में जा रहा है उसे ट्रांसफर करा दो दूसरे को . ये खेल कांग्रेस एनसीपी समझ नही पाये .

 

 

अशोक चव्हाण ..

प्रदेश में कांग्रेस की कमान संभाल रहे अशोक चव्हाण कभी भी नांदेड से चुनाव नही हारे .ये चव्हाण परिवार की परंपरागत सीट थी लेकिन इस बार अंबडेकर की पार्टी वंचित बहुजन  पार्टी ने ऐसे वोट काटे कि चव्हाण हार गये .चव्हाण को

4लाख 46 हजार वोट मिले  जबकि उनको हराने वाले बीजेपी के प्रताप चिखलीकर को 4.लाख 86 हजार वोट मिले.

सबसे बडी सेंध वंचित बहुजन आघाडी ने लगायी उसके उम्मीदवार को 1 लाख 65 हजार वोट मिल गये . ये सब

चव्हाण के वोट थे .

अशोक चव्हाण ने भीमा कोरेगांव के बाद प्रकाश अंबेडकर को मनाने की कोशिश की थी .लेकिन अंबेडकर कभी 12 सीट तो कभी एनसीपी के बिना लडने की शर्ते रख दी . जाहिर है बात नही बनी और अंबेडकर ने सारी सीटों पर उम्मीदवार दे दिये .

 

सुशील कुमार शिंदे

 

सोलापुर से जीत कर फिर से अपनी राजनीतिक वापसी की उम्मीद कर रहे शिंदे को एक लिंगायत स्वामी ने हरा दिया . बीजेपी ने यहां केंडिडेट भी बदला पर वंचित बहुजन आघाडी ने वोट काट दिये . बीजेपी के स्वामी जय सिददेशवर को 5 लाख 32 हजार वोट मिले जबकि शिंदे को 3 लाख 65 हजार .. मगर खुद प्रकाश अंबेडकर ने इस सीट से उम्मीदवार बनकर 1 लाख 70 हजार वोट ले लिये और शिंदे की हार पर मुहर लगा दी .जबकि शिंदे खुद दलित है और प्रकाश अंबेडकर ने बौदध और मुस्लिम वोट काट लिये .

 

इम्तयाज जलील

असददुदीन ओवैसी की पार्टी ने अंबेडकर के साथ हाथ मिलाकर पहली बार महाराष्ट्र में खाता खोला और शिवसेना के दिगगज चंद्रकांत खैरे को हरा दिया. कभी पत्रकार रहे इम्तयाज जलील ने 2014 में विधानसभा चुनाव जीता था . उनके लिए ये सीट अंबेडकर ने कांग्रेस से मांगी थी लेकिन कांग्रेस नहीं मानी . अशोक चव्हाण पहले ये सीट अपने खास अब्दुल सततार को देना चाह रहे थे लेकिेन वो भी नही दिला पाये तो सततार बागी हो गये . अब ये सीट जलील के खाते में चली गयी . जलील को 3 लाख 88 हजार वोट मिले जबकि शिवसेना के दिगगज चंद्रकांत खेरे को 3लाख 83 हजार . कांग्रेस के उम्मीदवार को केवल 91 हजार वोट मिले . यानि मराठवाडा में वंचित बहुजन आघाडी ने कांग्रेस और शिवसेना दोनो के गढ में सेंध लगा दी  .

 

अकोला.

 

विदर्भ की अहम सीट अकोला में इस बार कांग्रेस को भारी उम्मीद थी लेकिन यहां भी वंचित आघाडी ने उसका रास्ता रोक लिया . बीजेपी के संजय धोत्रे के खिलाफ माहौल था . फिर भी उनको 5 लाख 52 हजार वोट मिले .कांग्रेस के हिदायतुल्ला पटेल को 2 लाख 54 हजार वोट मिले .जबकि प्रकाश अंबडेकर खुद भी यहां से खडे हो गये और 2 लाख 78 हजार वोट ले गये .अगर कांग्रेस और वंचित के वोट नही बंटते तो तस्वीर दूसरी होती ..

 

 

राजू शेटटी

अपनी दम पर ही चुनाव जीतने वाले स्वाभिमानी पार्टी के राजू शेटटी भी इसी वजह से हार गये . वहां शिवसेना के संभाजीराव माने को 5 लाख 82हजार वोट मिले जबकि राजू शेटटी को 4 लाख 87 हजार वोट मिले वहीं वंचित बहुजन आघाडी को 1 लाख 23 हजार वोट मिल गये .ये वोट नहीं कटते तो शायद राजू जीत भी सकते थे

 

अंबेडकर और औवेसी की वंचित बहुजन आघाडी को ने कई और सीटों पर कांग्रेस एनसीपी को जमकर नुकसान पहुंचाया .उसे 40 हजार से डेढ लाख तक वोट मिले और चुनावी गणित बदल गया .

देखिये   वंचित बहुजन आघाडी को

बीड में    91 हजार

भंडारा गोंदिया में 45 हजार

भिवंडी में   51 हजार

बुलढाणा में  1 लाख 72 हजार

माढा में 51 हजार

मुंबई में उततर पूर्व मुंबई में वंचित के उम्मीदवार को 68 हजार वोट मिले .जबकि बाकी सीटों पर 30से 50 हजार वोट

मिले .हालांकि मंबई में शिवसेना बीजेपी उममीदवारो की जीत का अंतर 2 लाख से ज्यादा रहा .

जाहिर है चुनाव में महाराष्ट्र में एक नयी पार्टी का उदय हो रहा है . अगर कांग्रेस एनसीपी नही संभले तो विधानसभा में ये

उनको और बढा झटका देगा . अब दलित , अति पिछडा और मुस्लिम वोट को एक नया विकलप मिल सकता है .

 

 

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