भारतीय संस्कृति में अटूट विश्वास रखने वाले सुप्रसिद्ध समाजसेवी बोधराज सीकरी ने गुरुग्राम में आम लोगों को आगे बढ़ कर नेत्रदान के लिए प्रेरित किया। बोधराज सीकरी ने हाल ही में अपने दो रिश्तेदारों के मृत्योपरान्त उनके परिजनों द्वारा नेत्रदान का जिक्र करते हुए कहा कि ये बेहद ही आसान और परोपकारी कार्य है। बस आज आवश्यकता है नेत्रदान की जन जागरुकता की। भारतीय संस्कृति में देह दान की महान परम्परा का जिक्र करते हुए बोधराज सीकरी ने कहा कि हम भारतीय महान महर्षि दधीचि के वंशज हैं, जिन्होंने अपनी पूरी देह लोक कल्याण के लिए दान की थी।
130 करोड़ भारतीयों में लगभग 46 लाख लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं जिसका समाधान नेत्रदान से हो सकता है। बोधराज सीकरी कहते हैं कि औसतन 80 लाख मृतकों में मात्र 15-18 हजार लोगों का ही नेत्रदान हो पाता है, जो नगण्य है। अगर हम इसके कारणों पर जायें तो सबसे बड़ा कारण जानकारी का अभाव है। बोधराज सीकरी ने बड़े ही भावुक अन्दाज़ में कहा कि मृत्यु के बाद तो इस शरीर और आंखों का कोई काम नहीं रह जाता अगर आप नेत्रदान करवा देते हैं तो यह मानवता की सबसे बड़ी सेवा होगी। निर्मया चैरिटेबल ट्रस्ट के संकल्प समारोह के लिए डाक्टर त्रिलोकनाथ आहूजा औऱ उनकी पूरी टीम को बधाई देते हुए बोधराज सीकरी ने कहा, आज की युवा पीढ़ी को आगे आकर नेत्र दान का संकल्प करना और करवाना चाहिये।