newsmantra.in l Latest news on Politics, World, Bollywood, Sports, Delhi, Jammu & Kashmir, Trending news | News Mantra
News Mantra: Exclusive

सचिन की फ्लाईट क्रेश, गहलोत का जादू चल गया

सचिन पायलट भले ही असल में पायलट रहे राजेश पायलट के बेटे है लेकिन राजनीति की उडान का उनका अनुभव कमजोर निकला और राजस्थान मे अशोक गहलोत की सरकार गिराने का उनका दांव फेल होता नजर आ रहा है .

असल में सचिन अपनी ताकत को ओवरऐस्टीमेट कर गये और गणित को भूल गये . आखिर कांग्रेस ने सचिन को अधयक्ष पद और उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया . बाकी दो और मंत्री भी हटाये गये . संदेश साफ है कि कांग्रेस इसे सहन नहीं करेगी . कांग्रेस को ये संदेश देना जरुरी था वरना कई और जगह भी ये प्रथा चल निकलती .

राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के पास कांग्रेस के 107 और 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है . इस तरह उनके पास कुल मिलाकर 120 विधायकों का समर्थन है .अगर सचिन अपने दावे के अनुसार 20 विधायकों को कांग्रेस से तोड भी लेते हैं तब भी सरकार नहीं गिरेगी.. तब कांग्रेस के पास 87 विधायक रहेंगे . सारे निर्दलीय किसी भी हालत मे बीजेपी के पास नहीं जायेंगे क्योंकि 7 तो अशोक गहलोत की मदद से ही जीतें हैं.

कयोकि बीजेपी के पास केवल 72 विधायक है. बाकी
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मा.) 2.
भारतीय ट्राइबल पार्टी, 2.
राष्ट्रीय लोक दल, 1. और
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, 3 .. के तीन विधायक है.

इस तरह बीजेपी का गणित किसी भी तरह नहीं बैठ रहा है. अब कांग्रेस चाहे तो दलबदल के आरोप मे सचिन के साथ कथित तौर पर गये सारे 20 विधायकों को अयोग्य भी घोषित करार दे सकती है .ऐसे मे सदन का बहुमत का आंकडा घट जायेगा और गहलोत सरकार बची रहेगी..

असल में राजस्थान की राजनीती को जानने वाले कहते है कि सचिन गूजर है और उनका राजस्थान मे वोट बैंक बहुत कम है इसलिए सचिन को कोई सीएम नही बनने देना चाहता जब तक कि दिल्ली से कांग्रेस हाईकमान साथ ना दे. ऊपर से बीजेपी नेता वसुंधरा राजे कभी नहीं चाहेंगी कि सचिन बीजेपी मे आयें क्योकिं तब वो वसुंधरा के बेटे दुष्यंत के लिए ही खतरा बन जायेंगे. ऐसे मे सचिन की राह सिंधिंया की तरह नहीं है ना ही राजस्थान का गणित मध्यप्रदेश की तरह है .

qqलेकिन दांव नही चला. पर गहलोत कांग्रेस आलाकमान को ये समझाने मे कामयाब हो गये कि सचिन कभी भी बगावत कर सकता है इसलिए ऊपर से कुछ भी दिख रहा हो लेकिन इतना तय है कि सचिन को एक हद से ज्यादा नहीं मनाया जायेगा. गहलोत पहले ही सोनिया और राहुल दोनों कैंप के करीबी है इसलिए राहुल खुलकर सचिन के समर्थन मे नही आ सकते .

असल में जब 2018 में चुनाव के बाद भी सचिन ने सीएम पद का दावा किया था तब राहुल गांधी और सोनिया गांधी के सामने ही कांग्रेस का एक अंदरूनी सर्वे रख दिया गया था जिसमें सचिन के साथ केवल 9 प्रतिशत कांग्रेसी विधायक थे जबकि गहलोत के साथ 46 फीसदी .. इस तरह तभी साफ हो गया था कि सचिन को फिलहाल जूनियर ही रहना होगा .
जानकार ये भी कहते है कि सचिन अब रुकना नहीं चाहते क्योकि उनको राहुल गांधी से कोई उम्मीद नही है .उनको लगता है कि राहुल गांधी खुद ही कमजोर है ऐसे मे उनका कांग्रेस में कोई भविषय नही है. यही जल्दबाजी और निराशा दोनो सचिन के लिए मुश्किल बन गयी है.

Related posts

GITAM Secures INR 4.57 Crore DST-iTBI Grant to Advance AI and ML Research for India’s ‘Viksit Bharat’ Vision

Newsmantra

Padam Shree Raveena Tandon confers National Quality Award 2024 to “The Cottage”

Newsmantra

Vayu’ turned into a “very severe cyclonic storm

Newsmantra

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More