~ संदीप सोनवलकर, वरिष्ठ पत्रकार
महाराष्ट्र में दोनों गठबंधनों में सीट और टिकट का बंटवारा हो गया है. इससे काफी हद तक चुनाव की तस्वीर साफ दिखायी दे रही है . इस पर एनालिसिस
महाविकास आघाड़ी ..
महाविकास आघाड़ी से सीट बंटवारे में सीनियर नेता शरद पवार का असर साफ दिखाई देता है. शऱद पवार ने लोकसभा चुनाव के बाद भी 96. 96 ,96 का फार्मूला रखा था लेकिन कांग्रेस को लोकसभा सीट पर बढत मिली थी इसलिए उसने इसे नहीं माना . खींचतान के बाद आखिरकार कांग्रेस प्रभारी रमेश चेन्नीथला और उदधव ठाकरे के कहने पर शरद पवार ने सीधे राहुल गांधी से बात की और फिलहाल 85 .85. 85 का फार्मूला बन गया इसके अलावा 18 सीट सहयोगियों को और 15 सीटें बाद में बांटी जायेगी . कहा जा रहा कि कांग्रेस और शिवसेना को 92.92 सीट मिलेगी ..
शरद पवार का खेल
इस खेल से साफ पता चलता है कि शऱद पवार ने चुनाव के बाद के लिए खुद को किंगमेकर बना लिया है . टूटने के बाद शरद पवार के पास केवल 12 विधायक बचे थे और उनकी हैसियत 60 सीट से ज्यादा की नहीं थी तब भी वो 85 सीट लेने में कामयाब हो गये .इससे उनको दो फायदे होगें .
पहला तो ये कि वो ज्यादा से ज्यादा नये उम्मीदवार को टिकट दे पायेंगे . वो ऐसे लोगों को भी टिकट दे रहे है जो जीत सकते है लेकिन गठबंधन के कारण उनको टिकट नही मिल रही . पवार अपने पास से सीट देकर ऐसे लोगं को जिता सकते हैं.
इनमें इँदापुर के हर्षवर्धन पाटिल .अकलूज के मोहिते पाटिल , राजेश टोपे ..राजेंद्र शिंगणे ,संदीप नाईक शामिल है. शऱद पवार को उम्मीद है कि उनकी पार्टी कम से कम 45 सीट जीतेंगे और चुनाव के बाद अजित पवार के विधायक भी उनके पास वापस आ सकते हैं जिससे उनकी संख्या 65 तक जा सकती है .
चुनाव के बाद शऱद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले को सीएम के तौर पर सामने ला सकते हैं.
कांग्रेस को निराशा ..
कांग्रेस ने अब तक सीट सही बांटी है और उसके उम्मीदवार जीत भी सकते है लेकिन बंटवारे में कांग्रेस पीछे रह गयी . अगर कांग्रेस को 110 या उससे ऊपर टिकट मिलती तो वो कम से कम 75 सीट लेकर सबसे बड़ी पार्टी बनती लेकिन अब कांग्रेस को कम सीट मिलने के कारण उनका अनुमान 60 से 65 सीट तक ही रह गया है. लेकिन असल में ये 55 के आसपास रह सकता है. ऐसे में सबसे बड़े दल बनने का उसका सपना पूरा नहीं होगा.
कांग्रेस को विदर्भ में सबसे ज्यादा सीट मिलनी थी लेकिन शऱद पवार और शिवसेना दोनो ने ही वहां पर कई सीट पर खेल बिगाड़ दिया इससे अब कांग्रेस को विदर्भ में अधिकतम 26 सीट ही मिलने का अनुमान है जबकि ये पहले 39 तक जा रहा था .
अभी के हिसाब से कांग्रेस को विदर्भ में 26 .. मराठवाड़ा मे 9 . पश्चिम महाराष्ट्र में 8 . उत्तर महाराष्ट्र में 6 मुंबई में 5 और कोकण में तीन सीट मिलने की संभावना है .
शिवसेना उबाठा की हालत पतली .
शिवसेना उदधव ठाकरे ने जिद करके 85 सीट ले ली है लेकिन उनके पास सही उम्मीदवार नहीं है इसलिए उनकी बहुत सी सीट गिरेंगी. शिवसेना के जयादातार जीतने वाले विधायक अभी एकनाथ शिंदे के साथ है और नये उम्मीदवार पर शिवसेना ठाकरे ने बहुत काम नही किया इसलिए उसके पास जीतने वाले उम्मीदवार कम ही दिख रहे हैं . शिवसेना को कुल मिलाकर 35 से 40 सीट मिलने का अनुमान है.
महायुति में भी झगड़ा ..
सीट बंटवारे को लेकर महायुति में भी हालत बहुत अच्छी नहीं है उसमे तीनों दलों को ही बेहतर चुनावी उम्मीदवार नहीं मिल रहे .असल में अभी तीनो दल मिलाकर 180 के ऊपर सिंटिंग विधायक जिनमें से किसी की टिकट काटना संभव नहीं दिखा रहा ऐसे में विधायक के खिलाफ नाराजगी और गददारी जैसे आरोप के चलते बढ़ा नुकसाना हो सकता है.
बीजेपी .
महायुति में बीजेपी के पास 155 सीट आ रही है और वो सबसे बड़ा दल होने की उम्मीद कर रही है लेकिन इस बार उसके साथ शिवसेना ठाकरे नही है ऐसे मे तीनों दलो के वोट आपस मे कितने ट्रासफर होते हे ये कहना कठिन है . बीजेपी ने 102 में से अपने 96 केंडिडेट को रिपीट किया है और साथ ही कुछ बडे नेताओं के बेटों को टिकट दिया है . बीजेपी के विधायकों को शिकायत है कि सरकार में उनका काम नहीं हुआ और उनके कार्यकर्ता चाहते है कि बीजेपी का सीएम बने वो एकनाथ शिंदे के लिए काम नहीं करना चाहते .इस कारण से बीजेपी को अपने कार्यकर्ता में जोश भरना होगा .उनको उम्मीद है कि लाडकी बहना का फायदा मिलेगा लेकिन कितना कहना मुश्किल है. बीजेपी के पास नये जिताउ उम्मीदवार नहीं आ रहे है . पिछली बार 102 में से 37 ऐसे लोग थे जो दूसरी पार्टी से आकर चुनाव जीते थे लेकिन इस बार ज्यादातर शरद पवार के पास जा रहे हैं. इसका संदेश ठीक नहीं है बीजेपी के सर्वे के हिसाब से 58 से 67सीट तक मिलने का अनुमान है . बीजेपी वोट बांटने की रणनीति पर काम कर रही है .,लेकिन इस बार विदर्भ मराठवाडा और आदिवासी इलाकों वाले उत्तर महाराष्ट्र में नुकसान हो सकता है.
शिवसेना शिंदे ..
शिवसेना शिंदे को 74 सीट मिल रही है जिसमें से 52 सीट उसको उन लोगों को देनी पड़ रही है जो शिवसेना के विधायक रहे और निर्दलीय होकर भी सरकार के साथ आये . ऐसे लोगों के खिलाफ पचास खोके का आरोप लगता रहा है . विधायकों के खूब माल कमाने की चर्चा है इसलिए वर्कर उसमे हिस्सा मांग रहा है साथ ही मतदाता नाराज है कि पार्टी बदल ली इसका नुकसान हो सकता है. हालांकि शिंदे अपने उम्मीदवारो को सबसे ज्यादा मदद दे रहे हैं लेकिन चुनावी मुददा उनके पास कुछ नहीं है सिवाय यही सत्ता में आये तो काम करायेंगे . शिंदे सेना के खिलाफ ज्यादातर इलाकों में उदधव ठाकरे के उम्मीदवार है ऐसे में वोट बंटेंगा तो परिणाम चौकाने वाले आ सकते है. शिदे सेना को 26 से 35सीट मिलने का अनुमान है .
अजित पवार एनसीपी ..
महायुत में सबसे कमजोर अजित पवार की एनसीपी है उनके अपने विधायक टूटकर चाचा शऱद पवार के पास जा रहे हैं . कहा जा रहा है कि चाचा जिता नहीं सकते तो हरा तो सकते ही है इसलिए कोई विधायक शऱद पवार से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहता . सिटिंग विधायक के खिलाफ नाराजगी के अलावा सबसे बडा मुददा मुसलिम वोटों को नाराजगी है. एनसीपी को ये वोट मिलता रहै लेकिन अजीत पवार के बीजेपी में जाने के बाद उनके साथ मुस्लिम वोटर जाना नहीं चाहता .इसके अलावा मऱाठा वोटर भी नाराज है कि आरक्षण के सवाल पर अजित पवार ने कुछ नहीं किया . ऐसे मे वो सबसे ज्यादा नुकसान मे रह सकते है. अजित पवार गुट को 15से 22सीट मिल सकती है.
कुल मिलाकर अभी राज्य मे किसी की भी अपने दम पर सरकार बनते नहीं दिख रही . चुनाव में कम से कम 15 निर्दलीय चुनकर आ सकते है. चुनाव मे हर जगह पर बागी उम्मीदवार रहेंगे इससे वोट बंटेगे और जीत का अंतर बहुत कम होगा .