newsmantra.in l Latest news on Politics, World, Bollywood, Sports, Delhi, Jammu & Kashmir, Trending news | News Mantra
News Mantra: ExclusivePolitical

“CAA” के नाम पर क्यों गुमराह होते लोग, जानिये “नागरिकता संशोधन अधिनियम CAA” के बारे में

Know about "Citizenship Amendment Act CAA"

– जानते है आखिर क्या होता है CAA
– किसे होगा इससे लाभ एवं क्यों गुमराह हो रहे लोग
– कुछ पार्टियां क्यों है परेशान
–  ये नागरिकता देने का कानून है

क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम –
देश के दोनों सदनों में 4 साल पहले पास होने के बाद अंततः केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम CAA  नियमों की अधिसूचना जारी कर दी गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 11 मार्च 2024 को शाम 6:00 बजे CAA के नियमों को लेकर अधिसूचना जारी की। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम नियमों की अधिसूचना जारी करने की घोषणा केंद्र सरकार का बहुत बड़ा फैसला है। इसके लिए पोर्टल भी तैयार है, जिसके जरिए गैर मुस्लिम प्रवासी समुदाय के लोग नागरिकता पाने के लिए आवेदन कर सकेंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है।

क्या कहती है वेबसाइट पर सीएए के लिए जारी सुचना –

भारतीय नागरिकता का अधिग्रहण –
– नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए एक विशेष प्रावधान मौजूद है।
– यह विशेष रूप से उन कुछ व्यक्तियों के लिए है जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं और पाकिस्तान या अफगानिस्तान या बांग्लादेश के हिन्दू या सिख या बौद्ध या जैन या पारसी या ईसाई समुदाय से हैं।
– अधिक विस्तृत जानकारी के लिए, व्यक्ति 1955 के नागरिकता अधिनियम में उल्लिखित प्रावधानों का संदर्भ ले सकते हैं।
– आवेदन जमा करने के इच्छुक व्यक्तियों के पास अपना ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर होना चाहिए।
– आवेदक सीएए 2019 के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन जमा करने के लिए बटन पर क्लिक कर सकते हैं और अपने व्यक्तिगत ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर का उपयोग करके लॉग इन कर सकते हैं।

– सीएए 2019 के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन के लिए वेबसाइट लिंक – https://indiancitizenshiponline.nic.in/Login

– विस्तृत जानकारी के लिए CAA  की वेबसाइट पर जारी  इस लिंक पर क्लिक करें –https://indiancitizenshiponline.nic.in/Documents/Annexure.pdf

इन छह समुदायों ( हिन्दू, सिख,बौद्ध,जैन, पारसी, ईसाई) पर अगर कोई भी क़ानूनी करवाई चल भी रही होगी तो अब नहीं चलेगी जैसे विदेशी अधिनियम – 1946 एवं पासपोर्ट अधिनियम – 1920 के तहत सजा हो सकती थी, जो अब नहीं होगी।

यह किसी की नागरिकता छीनने का नहीं बल्कि नागरिकता देने का कानून है। –

आखिर जब ये कानून (हिन्दू, सिख,बौद्ध,जैन, पारसी, ईसाई) जो पाकिस्तान या अफगानिस्तान या बांग्लादेश में अल्पसंख्यक के रूप में पीड़ित या यूँ बोले सताएं गए अल्पसंख्यक थे, उनको नागरिकता दी जा रही है फिर हंगामा क्यों मचा है। विरोध करने वालों का कहना है की ये कानून भेद भाव पैदा करता है। क्योकि इसमें नागरिकता देने के प्रावधान में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है। क्या पाकिस्तान या अफगानिस्तान या बांग्लादेश में मुस्लिम अल्पसंख्यक है या पीड़ित हैं तो जवाब है “नहीं। यह सिर्फ एजेंडाधारियों के द्वारा लोगों को गुमराह किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को रद्द करने के लिए बहुत सारी याचिकाएं भी दायर की गई हैं।

नागरिकता संशोधन अधिनियम में पहले से ही नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मणिपुर, मिजोरम एवं मेघालय के लगभग सभी हिस्सों एवं असम के आदिवासी क्षेत्रो को इससे दूर रखा गया है।

बंगाल में ममता दीदी की क्यों बढ़ी है चिंता, क्यों चर्चा में है “मातुआ समुदाय” , क्या है राजनीतिक मतलब

– पश्चिम बंगाल में सीएए लागू होने के बाद मतुआ समुदाय के लोगों में जश्न का माहौल है। जानते हैं क्यों

अब जब सीएए लागू हो गया है तो मतुआ समुदाय इसके लिए खुशियां मना रहा है क्योंकि मतुआ समुदाय की यह लंबे समय मांग चली आ रही थी, अब जाके उन्हें नागरिकता मिलेगी। हिंदू शरणार्थी, अनुसूचित जाति या दलित समुदाय के रूप में वर्गीकृत, मतुआ समुदाय विभाजन के बाद दशकों से  बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) से किसी तरह जान बचाकर वहां से भाग आये थे, और वे बंगाल की दूसरी सबसे बड़ी अनुसूचित जाति वाली आबादी हैं, जो अधिकतर उत्तर और दक्षिण 24 परगना में प्रवास करते हैं। इनका प्रभाव  नादिया, हावड़ा, कूच बिहार, उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर और मालदा जैसे सीमावर्ती जिलों में है। इनकी संख्या लगभग 1.5 करोड़ हैं, जो उत्तर बंगाल में राजबंशियों के बाद दूसरा सबसे बड़ा है। राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से, बंगाल में 10 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, जिनमें से भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनाव में चार – कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, बिष्णुपुर और बोनगांव पर जीत हासिल की थी। इनकी नागरिकता के बाद चुनाव में एक बहुत बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है।

Related posts

MSDE Partners with World Economic Forum (WEF) to Launch India Skills Accelerator

Newsmantra

RAHUL RAISED ENVIRONMENT ISSUE

Newsmantra

झूठ और अपप्रचार की ये पोल अब खुल रही है पीएम

Newsmantra

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More