newsmantra.in l Latest news on Politics, World, Bollywood, Sports, Delhi, Jammu & Kashmir, Trending news | News Mantra
News Mantra: Exclusive

मन से रावण जो निकाले राम उसके मन में हैं…

दशहरा का मतलब होता है दश हरा .यानि शरीर के दसों विकारों से मुक्ति .जिसमें सबसे बडा है अंहकार . रावण वैसे तो लंका का राजा था . वो प्रकांड विद्वान ,शिवभक्त ,बलशाली और प्रतापी राजा था लेकिन जब अहंकार ने उसे पकड लिया तो कहते है कि उसका अहंकार एक सिर से बढकर दस के बराबर हो गया तभी से उसे दशानन कहने लगे. सच है अगर मन से रावण रुपी अहंकार को निकाल दे बस राम तो सबके मन में हैंl

दशहरे का मतलब केवल शक्ति पूजा नहीं बल्कि भक्ति भी है तभी तो रावण को भले ही बडे मैदानों में खडा कर जलाया जाता है लेकिन राम का ये संदेश भी होता है कि अब सब मिलकर रहें .यही आज की सबसे बडी जरुरत भी है l

देश में दशहरा मनाने को लेकर कई कहानियां प्रचलित है लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित रामायण की वो कहानी है जिसमें रावण ने अपने अंहकार के चलते मां सीता का अपहरण किया तो राम ने वानरों की सेना जुटाकर भी उसे हरा दिया .कहते है कि इसी दिन राम ने रावण का वध किया इसलिए उसके पुतले को जलाया जाता है. लेकिन गहराई से देखे तो इसमें कई संदेश छिपे हैं. पहला महिला के आत्मसम्मान का .राजा या कोई भी किसी को स्त्री के अपमान या अपहरण की इजाजत नही दी जा सकती वरना दंड सबसे बडा होगा .. दूसरा राम वैसे तो विष्णु के अवतार माने जाते है और उस समय वो अयोध्या के निर्वासित राजा भी थे वो चाहते थे तो अय़ोध्या और बाकी राजाओं से सेना मांग सकते थे लेकिन राम ने वानरों और आदिवासियों की सेना बनायी और संदेश दिया कि नेतृत्व सही हो तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं . फिर जब रावण का वध किया तो कहते है कि खुद राम ने लक्ष्मण को रावण से आशीर्वाद लेने भेजा और कहा कि अब अहंकार नहीं है तो रावण प्रखर विद्वान है . राम की इस कथा में बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश सबसे अहम है और यही दशहरा का मतलब भी हैl

एक कहानी ये भी है कि मां दुर्गा ने राक्षसों का वध किया और शक्ति की स्थापना की ताकि सभी लोग शांत से रह सके .मां के इसी प्रताप के कारण कई लोग पूरे नौ दिन उपवास रखते हैं फिर दशहरे की पूजा से नये काम की शुरुआत करते हैं. बुंदेलखंड में इन नौ दिन में गेंहू की बालियां उगाने का चलन है .दशहरे से फसल कटाई की शुरुआत भी होती है .इस तरह यह किसानों का भी त्यौहार है
शमी वृक्ष की पूजा करें l

एक और कहानी महाकाव्य महाभारत से निकलती है। कहानी के अनुसार पांडवों को 12 साल का वनवास और एक वर्ष छुपकर बिताना पड़ा था, क्योंकि उन्हें कौरवों ने जुए के खेल (चौसर) में पराजित कर दिया था। इसलिए उन्होंने निर्वासन के अंतिम वर्ष अलग अलग भेष में रहकर बिताने की योजना बनाई। चूँकि वे नहीं चाहते थे कि कोई और शख्स पहचान पाए कि उन्होंने अपने दिव्य और शक्तिशाली हथियारों को शमी के वृक्ष में छिपाया था।

एक वर्ष के अंत में वे अपने हथियार खोजने के लिए वापस आए और देवी दुर्गा, देवता की पूजा की। वे अपने हथियारों को लाने के बाद कौरवों के खिलाफ युद्ध में सीधे चले गए और बाद में विजयी हुए।

यह आयोजन दशमी में हुआ था और चूंकि बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी, इसलिए उस दिन को नवरात्रि के नौ दिनों को तमस, रज और सत्व के तीन मूल गुणों के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। पहले तीन दिन तमस के होते हैं, जहां देवी दुर्गा और काली की तरह उग्र होती हैं। अगले तीन दिन लक्ष्मी से संबंधित हैं – सौम्य लेकिन भौतिक रूप से उन्मुख देवी। अंतिम तीन दिन मां सरस्वती को समर्पित हैं, जो सत्त्व है। यह ज्ञान और विज्ञान से संबंधित है।

Related posts

Traders to boycott China goods

Newsmantra

क्यो करते है दूध से अभिषेक

Newsmantra

kapil arora first book 5 secrets in best seller books of amazon

Newsmantra

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More