-संदीप सोनवलकर वरिष्ठ पत्रकार
इस साल देश के चुनाव है और देश का जब भी चुनाव होता है तो सत्ता का रास्ता उत्तरप्रदेश से ही निकलता है . उत्तरप्रदेश की 80 सीटें ही तय कर देती है कि देश की कमान कौन संभालेगा .भाजपा ने तो उत्तरप्रदेश में अयोध्या के राममंदिर के सहारे ही अपना चुनाव प्रचार शुरु भी कर दिया और उधर कांग्रेस ने उत्तरप्रदेश की तीन साल से महासचिव रहीं प्रियंका गांधी को हटाकर अनुभवी संगठनकर्ता अविनाश पांडे को महासचिव बनाकर कमान दी है . जाहिर है अब अविनाश पांडे को साबित करना होगा कि वो यूपी में कांग्रेस को फिर से कैसे जिंदा कर पाते हैं. अविनाश पांडे से खास बात की वरिष्ठ पत्रकार संदीप सोनवलकर ने
सवाल .. उत्तरप्रदेश में कैसे बनायेंगे कांग्रेस को चुनौती बहुत बड़ी है .
जवाब … उत्तरप्रदेश में कार्यकर्ता की कमी नहीं है माननीय प्रियंका गांधी ने भी संगठन को आगे ले जाने के लिए बहुत मेहनत की लेकिन अब सबसे बड़ी चुनौती बेहतर चुनावी परिणाम की है . हम इंडिया अलायंस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने जा रहे हैं .सीटों का फैसला पार्टी की समिती और आलाकमान मिल कर करेंगे .उत्तरप्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ता लगातार सड़क पर बने हुये हैं .नये अध्यक्ष अजय राय युवा और जूझारु है .. सबको साथ लेकर चलना है . हम लोगों तक ये बात पहुंचायेंगे कि मोदी सरकार देश का माहौल बिगाड़ रही है और मंहगाई तथा रोजगार जैसे सवालों पर लगातार बचकर चल रही है
सवाल .. बीजेपी राममंदिर का मुददा उठा रही है कैसे इसका मुकाबला करेंगे ..
जवाब .. देखिये राममंदिर के सबसे पहली शुरुआत तो राजीव गांधी जी ने की थी . हमारे लिए ये राजनीति का नहीं बल्कि आस्था का मुददा है. राम सबके है और प्रभु श्री राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं . भगवान राम का मंदिर बने ये सब चाहते हैं लेकिन इसके लिए किसी और समुदाय या लोगों को डराना और आतंकित करना ठीक नहीं है .सबको साथ लेकर ये काम होना चाहिये . हमें भी जब संभव होगा दर्शन करने जायेंगे . इस पर बीजेपी राजनीति करना चाहती है और इसे राजनीति का मुददा बना रही है जबकि ये तो लोगों की आस्था का सवाल है .
सवाल.. गठबंधन में बहुत सी मुश्किलें सामने आ रही है कैसे गठबंधन होगा कितनी सीट पर लड़ेंगे ..
जवाब .. देखिये हम इंडिया अलायंस के साथ चुनाव लड़ेगे इसमें कोई भी संकोच नहीं है.कौन कितनी सीट पर लड़ेगा ये आलाकमान तय करेगा हमारी प्राथमिकता ऐसे उम्मीदवार का चयुन करना होगा जो फासिस्टवादी भाजपा को हरा सके . अगर हमने उत्तरप्रदेश में भाजपा का रथ रोक दिया तो फिर केंद्र में मोदी सरकार की वापसी मुश्किल होगी . लोगों को ये बताना होगा कि हम देश और संविधान को बचाना चाहते हैं. सीटों के बारे में मिलकर तय करेंगे अभी से यह कहना ठीक नहीं कि कौन कितनी सीटें पर लड़ेगा .
सवाल .. मोदी के सामने चेहरा कौन होगा क्या राहुल गांधी चेहरा होंगे ..
जवाब ..माननीय श्री राहुल गांधी लगातार देश के सवालों को उठा रहे हैं और उनकी कही हुयी हर बात सही साबित हो रही है. राहुल जी देश के गरीब . दलित अल्पसंख्यक सबकी बात कर रहे हैं राहुल जी ने ही ओबीसी की जातिगत जनगणना की बात कही है . देश में हम न्याय स्कीम चाहते हैं जिसमें सबको बराबर से तरक्की का मौका मिले ..जब तक देश के हर व्यक्ति को अवसर नहीं मिलेगा तब तक कैसा विकास और किसका विकास . मोदी सरकार तो बस अपने कुछ उघोगपति मित्रों का ही विकास कर रही है और बाकी देश की जनता मंहगाई और बेरोजगारी से परेशान है ..माननीय राहुल गांधी विचार धारा की लड़ाई लड़ रहे है और असली सवाल उठा रहें है तभी तो मोदी सरकार ने उनकी संसद सदस्यता तक छीनने की कोशिश की .हम सत्ता के लिए नहीं देश के लिए काम करना चाहते हैं.
सवाल ..यूपी में ब्राह्मण और सवर्ण समाज बीस फीसदी से ज्यादा है . क्या आप उनको कांग्रेस के साथ जोड़ पायेंगे ..
जवाब.. ये सच है कि मैं ब्राह्मण समाज से हूं और इसका मुझे गर्व भी है लेकिन हमने कभी इस तरह की जातिगत राजनीति नहीं की .. यूपी में हम ब्राह्मण और सवर्ण ही नहीं दलित अल्पसंख्यक और सभी समाज को साथ लेकर चलना चाहते हैं. ब्राह्मण समाज के अपने सवाल है उनको भी रोजगार और मंहगाई की उतनी ही तकलीफ है जितनी बाकी सबको .. हम सबकी बात सुनेंगे और सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश करेंगे .
हमारा मत
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस जिस डरावने गर्त में पड़ी हुई है, वहां से उसका फिर से ऊपर उठना आसान नहीं है। ऐसे दुर्गम हालात में नए प्रभारी अविनाश पांडे से बहुत उम्मीद करना राजनीतिक बेवकूफी ही साबित होगी। हालांकि अविनाश पांडे को बेहद बिगड़े राजनीतिक हालात सम्हालने और सुधारने में महारत हासिल है। अपनी इस सामर्थ्य क्षमता का प्रदर्शन वे राजस्थान में कांग्रेस की सरकार उलटने निकले सचिन पायलट की बगावत को सम्हालकर बखूबी कर चुके हैं। झारखंड में भी प्रभारी के तौर पर हालात को सहेजने में वे सफल साबित रहे हैं। लेकिन जिस पार्टी ने 1947 से 1989 के बीच लगभग चार दशक तक उत्तर प्रदेश पर राज किया वो कांग्रेस अब लोकसभा की केवल एक सीट पर सिमट गई है और 403 सीटों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में केवल दो सीटों तक सिमट कर रह गई कांग्रेस पार्टी को राज्य में यहां से आगे ले जाना पांडे के लिए बड़ी जिम्मेदारी मानी जा रही है।