पटना। मंगलवार को हुई बिहार मंत्रिपरिषद् की बैठक में कुल आठ एजेंडों पर मुहर लगी। मंत्रिपरिषद् की बैठक के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सूचना भवन के सभाकक्ष में पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि राज्य सरकार ने सरकारी मामलों में वकीलों की नियुक्ति में बड़ा बदलाव किया है। राज्य स्तर के मामलों पर सरकारी वकील की नियुक्ति महाधिवक्ता, कानून सचिव की कमेटी करेगी। इसकी अंतिम स्वीकृति कानून मंत्री देंगे। जिलास्तर के मामलों के लिए वकीलों की नियुक्ति डीएम और जिला जज करेंगे। विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट को राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के दिशा-निर्देश के आलोक में राज्य चिकित्सा परिषद (स्टेट मेडिकल काउंसिल) में निबंधन के क्रम में राज्य के मेडिकल कॉलेजों में इंटर्नशिप की सुविधा देने का भी निर्णय लिया गया।
वहीं, उद्योग विभाग के अंतर्गत बिहार बायोफ्यूल्स उत्पादन प्रोत्साहन नीति-2023 की स्वीकृति दी गई। इसके अनुुसार राज्य सरकार द्वारा लागू इथेनॉल प्रोत्साहन नीति-2021 के अन्तर्गत केवल शत-प्रतिशत इथेनॉल उत्पादन करने वाली इकाइयों को प्रोत्साहन देने का लक्ष्य था। वर्तमान में नवीकरणीय उर्जा के विस्तार के लिए इथेनॉल के अलावा कम्प्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) के उत्पादन को भी प्रोत्साहित करने का विचार है। इसी उद्देश्य के साथ राज्य मंत्रिपरिषद ने बिहार बायोफ्यूल्स उत्पादन प्रोत्साहन नीति-2023 के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की।
बायोफ्यूल्स के उत्पादन से जीवाश्म ईंधन के आयात पर राष्ट्रीय निर्भरता कम होगी जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी। इसके उपयोग से पर्यावरणीय प्रदूषण कम होगा एवं किसानों को गन्ना एवं अनाज उत्पाद का शीघ्र भुगतान हो सकेगा। साथ ही कचरा को सम्प्रेस्ड गैस में परिवर्तित करने की सुविधा प्राप्त होगी, जिससे व्यापार के नये अवसर प्राप्त होंगे। इस नीति के तहत शत-प्रतिशत इथेनॉल उत्पादन करने वाली वैसी नई ग्रीन फिल्ड इकाइयाें को प्रोत्साहित किया जाएगा जो ग्रीन फिल्ड के रूप में स्थापित होंगी। साथ ही कम्प्रेस्ड बायो गैस, जैव सीएनजी उत्पादन करने वाली इकाइयां इस नीति के तहत प्रोत्साहित की जाएंगी।
इस नीति के तहत इकाइयों के वाणिज्यिक उत्पादन की तिथि निर्धारित होने के बाद ही वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस नीति के अंतर्गत मात्र वैसी नई बायोफ्यूल इकाइयां विचारणीय होंगी जो जीरो लिक्विड डिस्चार्ज के मापदंडों के अनुरूप स्थापित की जायेंगी। ईटीपी एवं कैप्टीव पावर प्लांट की स्थापना पर होने वाले व्यय को भी स्वीकृत परियोजना लागत में शामिल किया जायेगा।
इस नीति के तहत पूंजीगत अनुदान प्लांट एवं मशीनरी की लागत का 15 प्रतिशत या अधिकतम पांच करोड़ रूपये अनुमान्य होगा। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अति पिछड़ावर्ग की महिला, दिव्यांग, वार विडो, एसिड अटैक पीड़ित एवं थर्ड जेंडर उद्यमियों की स्थिति में पूंजीगत अनुदान प्लांट एवं मशीनरी की लागत का 15.75 प्रतिशत या अधिकतम 5.25 करोड़ रुपये अनुमान्य होगा। इस नीति के अंतर्गत देय अनुदान बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति-2016 के तहत देय अनुदान के अतिरिक्त होगी।
इस नीति के तहत अनुदान प्राप्त करने के लिए इकाइयों को स्टेज-1 क्लीयरेंस के लिए आवेदन देने की अंतिम तिथि 30.06.2024 है। साथ ही इन इकाइयों को दिनांक- 30.06.2025 तक वित्तीय प्रोत्साहन मंजूरी के लिए आवेदन करना होगा। यह नीति संकल्प निर्गत की तिथि से 31.03.2028 तक प्रभावी रहेगी। उद्योग विभाग के ही तहत बिहार राज्य निवेश प्रोत्साहन (वस्त्र एवं चर्म) नीति-2022 की अवधि विस्तार 30 जून 2024 तक करने की स्वीकृति दी गई और आवेदन की तिथि एक वर्ष के लिए बढ़ा दी गई है।